5 ऐसी तकनीक जिसने फ़ील्डिंग मे ला दिया है क्रांतिकारी बदलाव

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आज से क़रीब दो दशक पहले बहुत कम ही ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्हें गेंद या बल्ले से नहीं बल्कि उनकी फ़ील्डिंग के लिए जाना जाता था। दक्षिण अफ़्रीका के जॉन्टी रोड्स जैसे फ़ील्डर ने सिर्फ़ अपनी फ़ील्डिंग से सभी को दीवाना बनाया, बल्कि उनकी ही बदौलत आज फ़ील्डिंग का स्तर भी बदल चुका है। अच्छा और चपल फ़ील्ड आज हरेक कप्तान की पसंद बनता जा रहा है, इसके लिए खिलाड़ी अपनी फ़ील्डिंग को शानदार करने के लिए स्लाइड, डाइव और जंप करते हुए आधे मौक़ों को विकेट में तब्दील कर देते हैं। पिछले कुछ दशकों में फ़ील्डींग के स्तर में तेज़ी से बदलाव आए हैं जिसने फ़ील्डिंग को पूरी तरह बदल दिया है। आपके सामने पेश हैं ऐसे ही 5 बदलाव और प्रयोग जिसने इसे बना दिया है और भी मनोरंजक और आकर्षक: # स्लाइड और थ्रो सीमित ओवर के क्रिकेट में बाउंड्री को छोटा कर दिया जाता है, जिससे फ़ील्डर्स को चौका बचाना और भी मुश्किल हो जाता है। आजकल फ़ील्डर्स गेंद को सीमा रेखा से पहले ही पकड़ने के लिए स्लाइड करते हैं, इससे काफ़ी जल्दी गेंद को पकड़ भी लिया जाता है और जोखिम भी कम होता है। स्लाइड भी दो तरीक़ों की होती है, अगर फ़ील्डर सर्किल के अंदर हैं तो पहले वह डाइव लगाते हैं और फिर स्लाइड करते हुए गेंद को अपने कब्ज़े में लेते हैं। दूसरा तरीक़ा ये है कि जब खिलाड़ी सीमा रेखा के पास दौड़ते हुए गेंद को पार होने से बचाते हैं तब वह ऊपर के शरीर से पहले छलांग लगाते हुए और अपने दोनों हाथो को फैलाते हुए गेंद को सीमा रेखा से पहले रोकते हैं, और फिर तेज़ी से थ्रो करते हैं। # रिले फ़ील्डिंग ssj-1472646801-800 सीमा रेखा के क़रीब फ़ील्डिंग करते हुए आजकल के फ़ील्डर्स के बीच साझेदारी भी देखने को मिल रही है। जहां एक फ़ील्डर गेंद का पीछा करते हुए उसे सीमा रेखा से पहले रोकता है, और दूसरा फ़ील्डर थोड़ा पीछे रहता है। जब पहला फ़ील्डर गेंद पकड़कर दूसरे फ़ील्डर के हाथ में दे देता है, तब वह तेज़ी से विकेट की ओर थ्रो करता है जिससे समय बचता है और रन भी। # सीमा रेखा पर कैच पकड़ना poll-1472647054-800 छोटे मैदान और चौड़े बल्लों की वजह से सीमित ओवर क्रिकेट में एक मिसहिट भी छक्के में बदल जाती है। यही वजह है कि सीमा रेखा पर तैनात फ़ील्डरों की भूमिका बेहद अहम हो जाती है। इसका नतीजा ये हुआ है कि आज कई बार ऐसा देखा गया है कि एक फ़ील्डर पहले छलांग लगाता है और गेंद को सीमा रेखा से बाहर जाने से रोकते हुए उसे अंदर की ओर धकेलता है और फिर संतुलन बनाते हुए वापस कैच लपक लेता है। इसी तरह से दो खिलाड़ियों के बीच में भी ये तालमेल आज बिल्कुल आम बात होती जा रही है, जहां एक खिलाड़ी छलांग लगाते हुए छक्का बचाता है और ख़ुद बाहर जाते हुए गेंद को अंतर की ओर उछाल देता है जहां मौजूद दूसरा फ़ील्डर उसे लपक लेता है और इसे रिले कैचिंग कहा जाता है। # नज़दीकी खिलाड़ियों का पहले से अनुमान लगाना screenshot-1472648145-800 क्रिकेट के इस खेल में नज़दीकी खिलाड़ियों का रोल काफ़ी अहम होता जा रहा है, जहां पर एक आधे मौक़ों को विकेट में तब्दील करना इनकी ही ज़िम्मेदारी होती है। इसके लिए फ़ील्डर्स को पहले से ही अनुमान लगाना पड़ता है कि बल्लेबाज़ किधर शॉट खेल सकता है। बल्लेबाज़ की ओर से पैडल स्वीप खेलना या रैम्प शॉट लगाते ही स्लिप के खिलाड़ी ख़ुद को उसके लिए तैयार कर लेते हैं। कुछ इसी तरह स्लिप में खड़े स्टीवेन स्मिथ ने फ़वाद आलम का कैच लेग स्लिप में पकड़ा था। # एक हाथ से सूरज को ढकना और कैच पकड़ना 463695299-1472647118-800 कैच पकड़ने का एक और ऑस्ट्रेलियाई स्टाइल जो ख़ास तौर पर धूप में काफ़ी असरदार साबित होता है। गेंद हवा में हो और धूप में आंख चमक रही हो ऐसे में फ़ील्डर एक हाथ से सूरज को ढकने की कोशिश करते हैं और फिर जब गेंद बिल्कुल आंखो के सामने आज जाती है तो दोनों हाथ से कैच लपक लेते हैं।

Edited by Staff Editor
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