महेंद्र सिंह धोनी बिना किसी बहस के भारत के सबसे सफल कप्तान है। क्रिकेट के मैदान पर लिए उनकें कई फैसलों ने क्रिकेट दिग्गजों को भी हैरान किया है। लेकिन उनकें फैसलों ने टीम इंडिया को कई जीत दिलाई है। वर्ल्डकप वनडे जीतने वाले भारतीय टीम के कप्तान ने आज सबसे हैरानी वाला फैसला लिया। धोनी ने फैसला किया है कि वह अब वनडे और टी20 मैचों की कप्तानी छोड़ रहे हैं। वह विराट कोहली को यह जिम्मेदारी सौंपने के पक्ष में है। भारत में कई कप्तान आए और गए, लेकिन धोनी जैसा कोई नहीं आया. हम आपको वह पांच पल बताते है जब धोनी ने अपने फैसले से सभी को चौंकाया। आईसीसी एकदिवसीय वर्ल्डकप फाइनल 2011 वर्ल्डकप फाइनल से पहले धोनी के फैसलों की मीडिया में काफी आलोचना हो रही थी। वह खुद तो खराब फॉर्म से जूझ ही रहे थे, इसके साथ ही अश्विन की जगह पीयूष चावला को टीम में तरजीह देना किसी को समझ नहीं आ रहा था। फाइनल में भी उन्होंने अश्विन की जगह श्रीसंत को टीम में शामिल कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। श्रीलंका ने श्रीसंत की गेंद पर जमकर रन बनाए और 275 रन का लक्ष्य भारत के सामने रखा। बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत ने सचिन और सहवाग के विकेट जल्दी गवां दिए। गौतम गंभीर और विराट कोहली ने पारी जमाने की कोशिश की, लेकिन कोहली गलत समय पर आउट हो गए। कोहली के आउट होने के बाद सभी को उम्मीद थी कि फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह बल्लेबाजी के लिए आएंगे। धोनी सभी को चौंकाते हुए खुद युवराज से पहले बल्लेबाजी करने आए। उसके बाद उस मैच में धोनी ने नाबाद 91 रन बनाकर भारतीय टीम को 6 विकेट से ऐतिहासिक जीत दिला दी। मैच के बाद धोनी ने कहा कि मैंने आज कुछ फैसलें लिए, अगर आज हम हार जाते तो उन फैसलों पर सवाल उठते। जैसे अश्विन की जगह श्रीसंत को टीम में क्यों शामिल किया। युवराज से पहले मैं बल्लेबाजी के लिए क्यों आया ? इस वजह ने मुझे ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। आईसीसी टी20 वर्ल्डकप फाइनल 2007 धोनी 2007 के आईसीसी टी20 वर्ल्डकप में अपनी टीम को पहले ही फाइनल में पहुंचा चुके थे। जहां उसे पाकिस्तान से टक्कर लेनी थी। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए गौतम गंभीर की शानदार पारी की बदौलत पाकिस्तान के सामने 158 रन का लक्ष्य रखा। पाकिस्तान ने महत्वपूर्ण मौकों पर विकेट खोकर अपने लिए टारगेट मुश्किल बना लिया था। हालांकि जब तक मिस्बाह उल हक क्रीज पर थे, पाकिस्तान की उम्मीदें जिंदा थी। मैच का नतीजा अब आखिरी ओवर में निकलना था, जहां उसे 13 रन की आवश्यकता थी। सभी को उम्मीद थी कि अनुभवी हरभजन सिंह आखिरी ओवर में गेंदबाजी करेंगे। धोनी ने गेंद जोगिंदर शर्मा के हाथ में थमाई, यह देखकर हर कोई हैरान था। मिस्बाह हरभजन सिंह की गेंद पर आसानी से रन बना रहे थे। वहीं जोगिंदर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में आखिरी ओवर में अच्छी गेंदबाजी की थी। यह फैसला उलटा भी पड़ सकता था। मिस्बाह ने फुल टॉस गेंद पर छक्का मार दिया था, पाकिस्तान को जीत के लिए सिर्फ एक चौका या छक्का चाहिए था। हालांकि मिस्बाह का अतिआत्मविश्वास उन पर भारी पड़ गया और अगली ही गेंद पर स्कूप शॉट खेलने के चक्कर में वह शॉट लेग में श्रीसंत के हाथों कैच आउट हो गए। मैच के बाद जोगिंदर शर्मा ने बताया कि धोनी ने मैच से पहले उनसें कहा था कि अगर वह मैच हार जाते है तो सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लेंगे। आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल 2013 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम शानदार प्रदर्शन कर फाइनल में पहुंच चुकी थी। लेकिन फाइनल जैसे बड़े मुकाबले में भारतीय बल्लेबाजी फेल रही। मैच को बारिश के कारण 20 ओवर का कर दिया गया। इन 20 ओवर में भारतीय टीम 7 विकेट के नुकसान पर 129 रन ही बना पाई। उम्मीद थी कि इंग्लैंड की टीम इस लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेगी। छोटे स्कोर के बावजूद धोनी की चतुर कप्तानी और मैच की परिस्थिति को सही भांप कर उन्होंने इंग्लैंड के बल्लेबाजों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने इंग्लैंड के बल्लेबाजों को लगातार दबाव में रखा। इशांत शर्मा के अलावा बाकी सभी गेंदबाजों ने शानदार गेंदबाजी की। इसके बावजूद धोनी ने 18वां ओवर इशांत से करवाया। उस समय इंग्लैंड के बल्लेबाज अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे। इसे देखते हुए धोनी का ये फैसला गलत साबित हो सकता था। लेकिन इशांत ने शानदार गेंदबाजी कर उस ओवर में मॉर्गन और बोपारा को आउट कर दिया। इस ओवर ने पूरे मैच का नक्शा ही बदल दिया। इशांत से पहले ओवर करवा कर धोनी ने आखिरी ओवरों में स्पिनर्स से गेंदबाजी की रणनीति बनाई। धोनी की इस रणनीति ने भारतीय टीम को चैंपियंस ट्रॉफी जीतवा दी। इसके साथ ही धोनी आईसीसी की तीनों ट्रॉफी जीतने वाले पहले कप्तान बन गए। आईसीसी टी20 वर्ल्डकप 2016 vs बांग्लादेश 2016 में भारत में हुए आईसीसी टी20 वर्ल्डकप में ग्रुप के दूसरे मैच में भारत अपने पड़ोसी देश बांग्लादेश से हारते हारते बचा। बांग्लादेश ने भारत की मजबूत बल्लेबाजी क्रम को बांधे रखा और 20 ओवर में केवल 146 रन ही बनाने दिए। बांग्लादेश भारत को फिर से हराने के बारे में सोचने लगा था। भारत के मुख्य गेंदबाजों ने अपने 4 ओवर पूरे कर लिए थे। इसके बाद हार्दिक पांड्या ने आखिरी ओवर में गेंदबाजी की कमान संभाली। अपने मुख्य गेंदबाजों का पहले इस्तेमाल करने पर धोनी सवालों के घेरे में थे। धोनी के फैंस को भी लग रहा था कि भारत यहां से ना जीत पाए। अपने शांत रहने वाले धोनी स्थिति को भांप कर फैसला लेते हैं। हार्दिक पांड्या ने ओवर की चौथी गेंद पर रहीम का और पांचवीं गेंद पर महमुदुल्ला के विकेट ले लिए। बांग्लादेश अभी भी जीत की स्थिति में था, जहां उसे आखिरी गेंद पर जीत के लिए केवल 2 रन और सुपर ओवर के लिए 1 रन चाहिए थे । धोनी के एक शानदार फैसले के कारण भारत ने हारा हुआ मैच जीत लिया। आखिरी गेंद पर धोनी ने पांड्या से बैक ऑफ लैंथ बॉल डालने को कहा। धोनी को पता था कि मुस्ताफिजुर रहमान एक रन लेने के लिए किसी भी हाल भी दौड़ेंगे, इसलिए उन्होंने अपना विकेटकीपिंग ग्लव्स निकाल दिए। और हुआ भी वही रहमान गेंद को नहीं खेल पाए और बाई के रन के लिए दौड़ पड़े। धोनी ने गेंद को पकड़ा और शानदार ढंग से विकेट पर मारकर भारत को एक हारा हुआ मैच जीता दिया। आईसीसी एकदिवसीय वर्ल्डकप सेमीफाइनल vs ऑस्ट्रेलिया ऑस्ट्रेलिया का वर्ल्डकप पर 12 साल तक कब्जा था। भारत अपने घर में हो रहे वर्ल्डकप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हर हाल में हराना चाहता था। धोनी टॉस हार गए और ऑस्ट्रेलिया ने मोटेरा की सपाट पिच पर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। ऑस्ट्रेलिया के पास शेन वॉटसन, रिकी पोंटिंग माइकल क्लार्क और माइकल हसी जैसे धाकड़ बल्लेबाज थे। धोनी ने एक चाल चली और ऑफ स्पिनर आर अश्विन से गेंदबाजी की शुरूआत करवाई। उस समय यह फैसला बेवकूफी भरा लगा। पारी की शुरूआत में ऑस्ट्रेलिया ने तेजी से रन बनाना चाहता था लेकिन अश्विन ने ऑस्ट्रेलिया टीम को जल्दी ही वॉटसन के रूप में झटका दे दिया। अश्विन से शुरुआती ओवर करवाने के साथ धोनी ने सुरेश रैना को लेग स्लिप में फिल्डिंग के लिए खड़ा किया। दाएं हाथ के बल्लेबाजो के लिए ऑफ स्पिनर की गेंद को फाइन लेग की दिशा में खेलना काफी आसान होता है। रैना के लेग स्लिप में होने के कारण ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ऐसा नहीं कर पाए। इससे ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज दबाव में आ गए। अश्विन के खिलाफ कंगारू बल्लेबाजों ने कई डॉट गेंद खेली। वॉटसन भी दबाव में दिखे और 38 गेंद पर 25 रन बनाकर अश्विन की गेंद पर बोल्ड हो गए। ये दबाव बना सिर्फ धोनी की शानदार कप्तानी के कारण। आखिर में भारत ने यह मैच सचिन, गंभीर और युवराज के अर्धशतक की मदद से भारत ने जीत हासिल कर ली।