धोनी 2007 के आईसीसी टी20 वर्ल्डकप में अपनी टीम को पहले ही फाइनल में पहुंचा चुके थे। जहां उसे पाकिस्तान से टक्कर लेनी थी। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए गौतम गंभीर की शानदार पारी की बदौलत पाकिस्तान के सामने 158 रन का लक्ष्य रखा। पाकिस्तान ने महत्वपूर्ण मौकों पर विकेट खोकर अपने लिए टारगेट मुश्किल बना लिया था। हालांकि जब तक मिस्बाह उल हक क्रीज पर थे, पाकिस्तान की उम्मीदें जिंदा थी। मैच का नतीजा अब आखिरी ओवर में निकलना था, जहां उसे 13 रन की आवश्यकता थी। सभी को उम्मीद थी कि अनुभवी हरभजन सिंह आखिरी ओवर में गेंदबाजी करेंगे। धोनी ने गेंद जोगिंदर शर्मा के हाथ में थमाई, यह देखकर हर कोई हैरान था। मिस्बाह हरभजन सिंह की गेंद पर आसानी से रन बना रहे थे। वहीं जोगिंदर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में आखिरी ओवर में अच्छी गेंदबाजी की थी। यह फैसला उलटा भी पड़ सकता था। मिस्बाह ने फुल टॉस गेंद पर छक्का मार दिया था, पाकिस्तान को जीत के लिए सिर्फ एक चौका या छक्का चाहिए था। हालांकि मिस्बाह का अतिआत्मविश्वास उन पर भारी पड़ गया और अगली ही गेंद पर स्कूप शॉट खेलने के चक्कर में वह शॉट लेग में श्रीसंत के हाथों कैच आउट हो गए। मैच के बाद जोगिंदर शर्मा ने बताया कि धोनी ने मैच से पहले उनसें कहा था कि अगर वह मैच हार जाते है तो सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लेंगे।