ऑस्ट्रेलिया का वर्ल्डकप पर 12 साल तक कब्जा था। भारत अपने घर में हो रहे वर्ल्डकप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हर हाल में हराना चाहता था। धोनी टॉस हार गए और ऑस्ट्रेलिया ने मोटेरा की सपाट पिच पर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। ऑस्ट्रेलिया के पास शेन वॉटसन, रिकी पोंटिंग माइकल क्लार्क और माइकल हसी जैसे धाकड़ बल्लेबाज थे। धोनी ने एक चाल चली और ऑफ स्पिनर आर अश्विन से गेंदबाजी की शुरूआत करवाई। उस समय यह फैसला बेवकूफी भरा लगा। पारी की शुरूआत में ऑस्ट्रेलिया ने तेजी से रन बनाना चाहता था लेकिन अश्विन ने ऑस्ट्रेलिया टीम को जल्दी ही वॉटसन के रूप में झटका दे दिया। अश्विन से शुरुआती ओवर करवाने के साथ धोनी ने सुरेश रैना को लेग स्लिप में फिल्डिंग के लिए खड़ा किया। दाएं हाथ के बल्लेबाजो के लिए ऑफ स्पिनर की गेंद को फाइन लेग की दिशा में खेलना काफी आसान होता है। रैना के लेग स्लिप में होने के कारण ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ऐसा नहीं कर पाए। इससे ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज दबाव में आ गए। अश्विन के खिलाफ कंगारू बल्लेबाजों ने कई डॉट गेंद खेली। वॉटसन भी दबाव में दिखे और 38 गेंद पर 25 रन बनाकर अश्विन की गेंद पर बोल्ड हो गए। ये दबाव बना सिर्फ धोनी की शानदार कप्तानी के कारण। आखिर में भारत ने यह मैच सचिन, गंभीर और युवराज के अर्धशतक की मदद से भारत ने जीत हासिल कर ली।