वनडे में 5 ऐसे मौके जब निचले क्रम के बल्लेबाज़ों ने टीम को जीत दिलाई हो

BHUVI-DHONI
#4 जब मैदान में बेहतरीन फ़िनिशर माइकल बेवन उतरे (साल 1996 में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़)
BEVAN

90 के दशक में कंगारू टीम को अजेय माना जाता था क्योंकि उनकी टीम में हर तरह के खिलाड़ी होते थे। विस्फोटक बल्लेबाज़ी क्रम, बढ़ियां स्पिनर, ख़तरनाक विकेटकीपर बल्लेबाज़ और एक बेहतरीन कप्तान, ये सभी खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया को एक मज़बूत टीम बनाते थे। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया की ख़ूबी ये थी कि उनके अंदर जीत की भूख कभी ख़त्म नहीं होती थी भले ही उनकी टीम हार के कगार पर क्यों न हो। 1996 के बेंसन एंड हेजेज़ त्रिकोणीय सीरीज़ के 5वें मैच में ऑस्ट्रेलिया का सामना वेस्टइंडीज़ से हो रहा था। बारिश से बाधित मैच में पहले बल्लेबाज़ी करते हुए वेस्टइंडीज़ ने 172/9 का स्कोर बनाया जिसमें कार्ल हूपर का अहम योगदान था। ऑस्ट्रेलिया के पॉल रायफ़ल ने बेहतरीन गेंदबाज़ी की थी जिसकी बदौलत ऑस्ट्रेलिया को 43 ओवर में 173 रन का लक्ष्य मिला। वेस्टइंडीज़ की तरफ़ से जवाबी हमला करते हुए कर्टली एम्ब्रोज़ और ऑटिस गिब्सन ने बेहतरीन गेंदबाज़ी की और 38 रन के स्कोर पर कंगारू टीम के 6 बल्लेबाज़ो को पवेलियन भेज दिया। ऑस्ट्रेलिया के विकेटकीपर बल्लेबाज़ इयान हिली और माइकल बेवन ने पारी को संभालते हुए स्कोर को 74 रन पर पहुंचा दिया। इसके बाद रोजर हार्पर ने हिली का विकेट झटका, ऐसा लगा कि ऑस्ट्रेलिया की जीत अब नामुमकिन है। लेकिन बेवन ने रायफ़ल को साथ लेते हुए कई रन जोड़े कभी वो फ़ील्डरर्स के बीच से शॉट लगाते, तो कभी दौड़ कर रन लेते थे। एक वक़्त ऐसा आया जब ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 7 रन की ज़रूरत थी जबकि उसे 2 विकेट बचे हुए थे। शेन वॉर्न उसी वक़्त रन आउट हो गए। फिर मैदान में ग्लेन मैक्रगा आए जिन्होंने एक रन लेकर बेवन को स्ट्राइक दे दी। अब कंगारुओं को जीत के लिए 2 गेंदों में 4 रन की ज़रूरत थी। ऐसे में बेवन के स्ट्रेट शॉट को रोजर हार्पर ने बेहतरीन तरीके से रोक दिया, अब ऑस्ट्रेलिया को आख़िरी गेंद में 4 रन की ज़रूरत थी। बेवन ने फिर ऐसा शॉट लगाया कि गेंद अंपायर के पास से गुज़रती हुई बाउंड्री पार हो गई। इस तरह सिडनी में ऑस्ट्रेलिया को एक यादगार जीत हासिल हुई और माइकल बेवन का नाम सर्वणिम इतिहास में दर्ज हो गया ।

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