साल 1996 के टाइटन कप में भारत का मुक़ाबला ऑस्ट्रेलिया से था। इससे पहले भारत अपना पहला मैच साउथ अफ़्रीका से हार गया, इस मैच को जीतना टीम इंडिया के लिए बेहद ज़रूरी था क्योंकि उसका सब कुछ दांव पर लगा था। ऑस्ट्रेलिया ने इस मैच में 215 रन बनाए थे, जिसमें मार्क टेलर ने शानदार शतक लगाया था। उस दौर में भारत लक्ष्य का पीछा न कर पाने के लिए बदनाम थी। टीम इंडिया ने इसी बदनाम छवि को बरकरार रखते हुए 47 रन पर 4 विकेट गवां दिया। फिर सचिन और जडेजा ने मोर्चा संभाला लेकिन जडेजा भी रन आउट हो गए इस वक़्त भारत को जीत के लिए 90 रन की ज़रूरत थी। सचिन ने अच्छा खेल दिखाया लेकिन वो भी 88 रन के निजी स्कोर पर पवेलियन लौट गए। परंपरा के मुताबिक कई भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने निराश होकर अपने टीवी सेट बंद कर दिए क्योंकि टीम इंडिया की जीत नामुमकिन सी लग रही थी। लेकिन बैंगलौर में शांत पड़े चिन्नास्वामी स्टेडियम में 2 भारतीय खिलाड़ियों को अभी भी जीत का यकीन था। अनिल कुंबले और जवागल श्रीनाथ को इस मैदान में खेलने का तजुर्बा बचपन से था क्योंकि वो यहां कि स्थानीय निवासी थे। श्रीनाथ ने कई बेहतरीन शॉट लगाए जिसमें एक स्ट्रेट में लगाया गया छक्का शामिल था, ऐसे में स्टेडियम में बैठे दर्शकों में थोड़ी उम्मीद बंधी। इस दोनों जोड़ीदारों का किस्मत ने भी काफ़ी साथ दिया जिसकी वजह से कई कैच छूटे तो कई बार दोनों रन आउट से भी बच गए। दोनों के बीच 40 गेंदों में 52 रन की साझेदारी हुई जिससे 49वें ओवर में भारत को यादगार जीत मिली। उस वक़्त स्टेडियम में अनिल कुंबले की मां और दादी भी मौजूद थी जो टीम की हौसलाअफ़ज़ाई कर रहीं थीं। इस मैच को क्रिकेटप्रेमी आज भी याद रखते हैं। ये जीत भारत के लिए उस सीरीज़ में एक अहम मोड़ साबित हुआ। भारत टूर्नामेंट के फ़ाइनल में पहुंचा जिसमें टीम इंडिया ने साउथ अफ्रीका को हराकर टाइटन कप जीता।