5 ऐसे मैदानी घटनाक्रम जो ये साबित करते हैं कि अनिल कुंबले भारत के महान कोच होंगे

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#3 2004: सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथा टेस्ट
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साल 2004 में भारत ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर था जिसमें सौभाग्य से अनिल कुंबले भी थे। उस वक्त ये माना जा रहा था कि उन्हें टीम के पहली पसंद वाले स्पिन गेंदबाज़ हरभजन के चोटिल होने की वजह से दोबारा बुलाया गया है। तब कुंबले ने चयनकर्ताओं को गलत साबित किया था। ये सीरीज अनिल कुंबले के करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुई और उन्होंने अपने ही स्टाइल में वापसी की। ऑस्ट्रेलिया ने मेलबर्न में हुए बॉक्सिंग डे टेस्ट में जीत हासिल करने के बाद मोमेंटम हासिल कर लिया था। हालांकि इस मैच में भारत ने पहली पारी में कमाल की बल्लेबाज़ी करते हुए बड़ा स्कोर बनाया था। स्टीव वॉ ने धीमी लेकिन अच्छी साझेदारी वाली बल्लेबाज़ी करते हुए भारत की जीत को असम्भव बना दिया था। स्टीव वॉ ने क्रीज़ पर लम्बा समय इसलिए बिताया क्योंकि उन्होंने बिना रिस्क लिए बल्लेबाज़ी की खासकर वह कुंबले को खतरा मान रहे थे। जहां वा मुरली कार्तिक के खिलाफ 5.4 रन प्रति ओवर के हिसाब से रन बना रहे थे, तो वहीं कुंबले की 75 गेंदों पर उन्होंने मात्र 18 रन बनाये थे। वहीं ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में कुंबले ने 8 विकेट लिए थे बाकी दो इरफ़ान पठान ने लिए थे। वहीं दूसरी पारी में कुंबले ने 6 में से 4 विकेट लिए थे। बतौर खिलाड़ी जिन्हें इस दौरे पर मौका ही मिल रहा था उस हिसाब से जंबो का गेंदबाज़ी विश्लेषण देखर हर कोई हैरान था। इससे साबित हुआ कि जंबो में काफी दमखम है।

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