5 ऐसे मैदानी घटनाक्रम जो ये साबित करते हैं कि अनिल कुंबले भारत के महान कोच होंगे

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#4 2007: इंग्लैंड के खिलाफ पूरे सीरीज में भारत के एकमात्र शतकवीर
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क्रिकेट में ही नहीं अब हर खेल में विविधता का होना बहुत ही जरूरी है। अनिल कुंबले को कभी इस खेल का बेहतरीन आलराउंडर नहीं माना जाता था। ऐसे मौके कम ही हैं जब उन्होंने बल्ले से भी प्रभावित किया था। साल 2007 में ओवल, इंग्लैंड में कुंबले ने अपना पहला शतक बनाया था। इससे साबित हुआ था कि अनिल बल्ले और गेंद से एक ही मैच में इतना बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं। केविन पीटरसन की वह गेंद जिसे कुंबले ने कीपर के पीछे से निकालकर एक रन बनाया और इस दिग्गज गेंदबाज़ अपने करियर का एक मात्र शतक बना डाला। कुंबले ने कहा था, “हमने कुछ दिन पहले टीम मीटिंग में इस बात पर डिस्कस किया था कि हमारे बल्लेबाजों को इस सीरीज में शतक बनाना होगा। लेकिन मुझे इस बात का बिलकुल अंदाजा नहीं था कि वह कारनामा मैं करूंगा।” एक कोच के लिए ये जरूरी होता है कि वह विभिन्न भूमिकाओं में खुद को साबित करे जिससे टीम को कोच करने में उसे आसानी हो। एक कोच के लिए ये एक अच्छा शतक था। खास बात: इस पूरी सीरीज में कुंबले एकमात्र खिलाड़ी थे जिन्होंने शतक बनाया था। ऐसे में वह दोबारा ड्रेसिंग रूम में जगह पाने के हक़दार हैं।