5 ऐसे मैदानी घटनाक्रम जो ये साबित करते हैं कि अनिल कुंबले भारत के महान कोच होंगे

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#5 2007-08: ऑस्ट्रेलिया बनाम भारत
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अनिल कुंबले की लीडरशिप और प्रबन्धन पर जिन्हें जरा सा भी शक है। उन्हें 'मंकीगेट कांड' पर गौर करना चाहिए। उन्होंने इस स्कैंडल पर टीम का कुशल नेतृत्व किया था। उन्होंने सिडनी टेस्ट के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा था, “इस टेस्ट मैच में सिर्फ एक ही टीम ने खेल भावना का परिचय दिया।” अपने टीम के साथी खिलाड़ी के ऊपर लगे नस्लीय आरोप को कप्तान कुंबले ने झूठा करार दिया था। उन्होंने बड़े शानदार तरीके से इस विवादों से भरी सीरीज में भारतीय टीम का कुशल नेतृत्व किया था। वह न सिर्फ गेंदबाज़ी से ऑस्ट्रेलियाई टीम पर भारी पड़े थे बल्कि वह बतौर कप्तान अपनी टीम के साथ खड़े रहे। वह एक थिकिंग कप्तान और मजबूत लीडर साबित हुए थे। साल 2007-08 सीरीज कुंबले के कुछ यादगार फैसलों के लिए भी याद की जाएगी। उन्होंने टीम में वीरेन्द सहवाग की वापसी करवाई। सहवाग ने अंतिम दो टेस्ट मैचों में बेहतरीन खेल दिखाया और एडिलेड टेस्ट में यादगार 151 रन बनाकर भारत को हार से बचाया। तीसरे टेस्ट में सुबह के सेशन में इशांत शर्मा ने लगातार रिकी पोंटिंग को परेशान किया लेकिन उनका विकेट लेने में असफल रहे। हालाँकि कुंबले ने इशांत शर्मा में अपना भरोसा बनाये रखा और अंततः इशांत ने खतरनाक पोंटिंग चलता कर दिया। इससे विराट कोहली को काफी फायदा होगा, जो उन्हें टीम की डिमांड पर लड़ने से नहीं रोकेगा लेकिन उन्हें चेक कभी करता रहेगा। हालाँकि कुंबले कप्तान की इज्जत और उन्हें पूरी आज़ादी देंगे। लेकिन वह बीसीसीआई और ड्रेसिंग रूम की राजनीति को कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभाएंगे, ये वक़्त पर ही निर्भर करता है। लेखक: सूव्रा रॉय, अनुवादक: जितेंद्र तिवारी

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