IPL के 5 खिलाड़ी जिन्हें ‘चार दिन की चांदनी’ कहा जा सकता है

इंडियन प्रीमीयर लीग में खेलना किसी भी युवा क्रिकेटर के लिए शानदार मौक़ा होता है। आईपीएल से पहले किसी भी युवा खिलाड़ी के लिए चयनकर्ताओं की नज़र में आना काफ़ी मुश्किल होता था। ऐसे खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मैच में आने के लिए लंबे घरेलू क्रिकेट करियर का सहारा लेते थे। आईपीएल की शुरुआत के बाद कई युवा क्रिकेटर के लिए चर्चा में आना काफ़ी आसान हो गया। सभी खिलाड़ियों का फ़ोकस अब आईपीएल पर हो चुका है। आईपीएल के 10 सालों में हमने कई खिलाड़ियों को ख़ाक से ख़ास तक का सफ़र करते देखा है। कई खिलाड़ियों ने आईपीएल के ज़रिए टीम इंडिया में जगह हासिल की है तो कई को ऐसा मौक़ा नहीं मिल पाया है। आईपीएल में किसी भी खिलाड़ी पर अच्छे खेल का काफ़ी दबाव होता है। हम यहां उन 5 खिलाड़ियों के बारे में चर्चा कर रहे हैं जो सिर्फ़ एक ही आईपीएल सीज़न में धमाल मचा पाए थे।

#5 सौरभ तिवारी

ये स्टार बल्लेबाज़ पहली बार तब चर्चा आए थे जब उन्होंने 2008 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में शानदार प्रदर्शन किया था। साल 2010 के आईपीएल सीज़न में उन्होंने ख़ूब नाम कमाया था। इस सीज़न में उन्होंने 30 की औसत और 135.59 के स्ट्राइक रेट से 419 रन बनाए थे। इस मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज़ ने अंबाती रायूडु के साथ मिलकर कई जीत की इबारत लिखी थी। 2010 सीज़न में सौरभ के इसी प्रदर्शन की बदौलत मुंबई टीम फ़ाइनल में पहुंची थी। हांलाकि उस साल मुंबई इंडियस ट्रॉफ़ी जीतने में नाकाम रही थी, लेकिन सौरभ तिवारी ने सबको अपना दीवाना बना लिया था। आईपीएल के इसी प्रदर्शन की बदौलत उनका चयन टीम इंडिया में हुआ था। उन्होंने 2 वनडे में महज़ 49 रन बनाए, वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख़ुद को साबित करने में नाकाम साबित हुए। घरेलू सीरीज़ में बुरा प्रदर्शन उनके करियर में गिरावट की वजह बना। साल 2012 के बाद उन्हें आईपीएल में ज़्यादा खेलने का मौका नहीं मिल पाया। वो आईपीएल में ज़्यादातर प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं बन पाए थे।

#4 मनप्रीत गोनी

महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में मनप्रीत गोनी ने शानदार प्रदर्शन किया था। आईपीएल के पहले सीज़न में उन्होंने 16 मैच में 17 विकेट हासिल किए थे। गोनी को एल्बी मॉर्केल, मखाया एंटिनी और लक्ष्मीपति बालाजी जैसे गेंदबाज़ों का बख़ूबी साथ मिला था। पंजाब के इस तेज़ गेंदबाज़ की चमक अगले आईपीएल सीज़न तक फीकी हो गई थी। ज़्यादातर वक़्त वो प्लेइंग इलेवन से बाहर ही दिखाई देते थे। अपने पहले आईपीएल में शानदार खेल की बदौलत उन्हें टीम इंडिया में भी खेलने का मौक़ा मिला। गोनी ने 2 अंतरराष्ट्रीय वनडे मैच खेले, जिसमें उन्होंने 2 विकेट हासिल किए। उन्होंने हांगकांग के ख़िलाफ़ वनडे में डेब्यू किया था। घरेलू क्रिकेट में ख़राब प्रदर्शन के बाद उन्हें ज़्यादा मौक़ा नहीं मिल पाया। इसके अलावा वो कई तरह की चोट का शिकार हुए और टीम से बाहर रहे।

#3 स्वपनिल असनोदकर

राजस्थान रॉयल्स के पूर्व कप्तान शेन वॉर्न स्वपनिल असनोदकर को ‘गोवा का तोप’ कह कर पुकारते थे । पहले आईपीएल सीज़न में शानदार खेल की बदौलत वो चर्चा में आए थे। असनोदकर ग्रीम स्मिथ के साथ मिलकर राजस्थान टीम की ओपनिंग करते थे। असनोदकर ने साल 2008 के आईपीएल सीज़न में 9 पारियों में 34.55 की औसत और 133.47 की स्ट्राइक रेट से 311 रन बनाए थे। असनोदकर के इस बेहतरीन खेल के बावजूद उन्हें टीम इंडिया में शामिल नहीं किया गया। जब तक वो राजस्थान टीम के सदस्य रहे, उन्हें कप्तान शेन वॉर्न का बख़ूबी साथ मिला। गोवा के इस विस्फोटक बल्लेबाज़ की बदौलत राजस्थान टीम ने आईपीएल का पहला ख़िताब जीता था। बाद में घरेलू क्रिकेट में उनका प्रदर्शन कुछ ख़ास नहीं रहा। वो आईपीएल की अगली नीलामी के दौरान टीम के मालिकों को आर्कषित नहीं कर पाए। मौजूदा वक़्त में वो गोवा टीम का हिस्सा हैं और विजय हजारे ट्रॉफ़ी में उन्होंने शानदार शतक लगाया था।

#2 श्रीनाथ अरविंद

कर्नाटक के ये तेज़ गेंदबाज़ ग़लत वजहों से चर्चा में आए थे। क्रिकेट फ़ैस उन्हें इसलिए यादा रखते हैं क्योंकि उनके एक ओवर में अजिंक्य रहाणे ने 6 गेंदों में लगातार 6 चौके लगाए थे। अरविंद ने 2011 के आईपीएल सीज़न में 13 मैच में शानदार 21 विकेट हासिल किए थे। उनका स्ट्राइक रेट 13.14 और इकॉनमी रेट 8 के क़रीब था। अरविंद साल 2011 में आरसीबी टीम के अहम खिलाड़ी बन गए थे। 2011 के आईपीएल सीज़न के बाद उन्होंने घरेलू क्रिकेट में भी शानदार खेल दिखाया था, लेकिन चोट की वजह से वो आईपीएल में और अच्छा खेल नहीं दिखा पाए थे। उन्होंने टीम इंडिया के लिए मात्र एक टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 44 रन दिए थे। हांलाकि आईपीएल में उनका करियर आगे ज़्यादा बेहतर नहीं हो सका, लेकिन वो आज भी कर्नाटक टीम के अहम खिलाड़ी हैं, वो विनय कुमार और अभिमन्यु मिथुन के साथ मिलकर गेंदबाज़ी करते हैं।

#1 पॉल वॉलथैटी

पॉल वॉलथैटी उस वक़्त अचानक से चर्चा में आ गए थे जब उन्होंने टूर्नामेंट की सबसे पसंदीदा टीम चेन्नई सुपर किंग्स के ख़िलाफ़ शानदार शतक बनाया था। उन्होंने 63 गेंदों में 120 रन की बेहतरीन पारी खेली थी और पंजाब को जीत दिलाई थी। साल 2011 के आईपीएल सीज़न में वॉलथैटी ने 35.61 की औसत से 463 रन बनाए थे। उन्होंने ये साबित किया था कि वो टी-20 के लिए पूरी तरह फ़िट खिलाड़ी हैं। वॉल्थैटी ऑस्ट्रेलिया के महान विकेटकीपर-बल्लेबाज़ एडम गिलक्रिस्ट के साथ पंजाब टीम के लिए ओपनिंग करते थे। गिलक्रिस्ट और वॉलथैटी ने मिलकर कई बार किंग्स इलेवन पंजाब टीम को एक मज़बूत शुरुआत दी थी। हांलाकि इसके बाद लगातार कई चोट की वजह से वॉलथैटी अपने लक्ष्य से दूर हो गए। इसी चोट की वजह से वो घरेलू क्रिकेट से भी लंबे वक़्त के लिए बाहर रहे। अपने इस शानदार आईपीएल सीज़न के बाद वो ज़्यादा नहीं चल पाए और कहीं ग़ायब से हो गए। फ़िलहाल वो पंजाब की घरेलू टीम का भी हिस्सा नहीं हैं। लेखक – शिव धवन अनुवादक – शारिक़ुल होदा