5 विदेशी मैदान जहां भारत को टेस्ट में मिली है सर्वाधिक सफलता

भारत के लंबे और शानदार टेस्ट इतिहास में घर से बाहर खेलना टीम का मजबूत पक्ष नहीं रहा है। विशेष रूप से उपमहाद्वीप के बाहर उनकी परेशानी से सभी अच्छी तरह से परिचित है। हालांकि, इन खामियों के बावजूद टीम का कुछ प्रसिद्ध विदेशी मैदानों में काफी अच्छा टेस्ट रिकॉर्ड रहा है। यहाँ हम एक नज़र ऐसे ही कुछ स्थानों पर डालने जा रहे हैं, जहाँ भारत का प्रदर्शन अच्छा रहा है। परिस्थितियों की असमानता को ध्यान में रखते हुए, केवल एशिया के बाहर स्थानों को हमने ध्यान में रखा है। भारतीय टीम की अर्जित सफलताओं और जीत-हार अनुपात के आधार पर और साथ ही विपक्षी लाइनअप की ताकत के आधार पर इन सफल मैदानों की सूचि तैयार की गई है।

# 5 वांडरर्स स्टेडियम, जोहान्सबर्ग

हालांकि भारत ने घर से बाहर कई जगहों पर एक से अधिक टेस्ट जीत दर्ज की हैं, लेकिन जोहान्सबर्ग के वांडरर्स स्टेडियम में उनका ऐतिहासिक रिकॉर्ड रहा है और अधिक उल्लेखनीय प्रदर्शन रहा है। 'बुलरिंग' में चार मैचों में से उन्होंने एक बार जीत दर्ज की है और अन्य तीन मैच ड्रा रहे हैं। वास्तव में वे दक्षिण अफ्रीका के इस प्रसिद्ध स्थल पर न हारने का रिकॉर्ड रखने वाली एकमात्र टीम हैं। विराट कोहली की टीम 2018 की सीरीज़ के अंतिम टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैदान में उतरी हैं, और 3 दिन के खेल के बाद एक बार फिर भारत इस मैदान पर जीत के करीब लग रहा है। 2006/07 श्रृंखला में राहुल द्रविड़ की टीम ने 123 रन की जीत दर्ज की थी। श्रीशांत के एक करिश्माई स्पेल ने दक्षिण अफ्रीकी मिट्टी पर भारत की दो टेस्ट जीत में से एक जोहान्सबर्ग में रखी थी। हालांकि इसके बाद 2013 में जोहान्सबर्ग में दोनों टीमों के पिछले मुकाबले के दौरान मेजबान टीम एक रिकॉर्ड लक्ष्य का पीछा करते हुए जीत के काफी करीब आ गयी थी पर मैच अंत में ड्रा रहा था।

# 4 हेडिंग्ले क्रिकेट ग्राउंड, लीड्स

हेडिंग्ले क्रिकेट ग्राउंड इंग्लैंड में एकमात्र प्रमुख स्थान है जहां भारत का एक प्रशंसनीय टेस्ट रिकॉर्ड है। स्टेडियम में छह टेस्ट मैचों में से, उन्होंने दो बार जीत और तीन मौकों पर हार का सामना किया है। लीड्स में भारत का शुरुआती प्रदर्शन एक भयावह तरीके से शुरू हुआ क्योंकि फ्रेड ट्रूमैन ने 1952 में भारत की बल्लेबाजी लाइनअप को सिमटा दिया था। 1959 और 1967 में दो और हार के बाद, 1979 में किस्मत बदलनी शुरू हुई जब बारिश के चलते मैच ड्रा रहा। 1986 में इंग्लैंड के दौरे के दौरान, भारत ने हेडिंग्ले में दूसरे टेस्ट में अपनी दूसरी श्रृंखला जीत ली। लॉर्ड्स में एक शानदार जीत से प्रेरित, कपिल देव की टीम ने लीड्स में 279 रन की एक बड़ी जीत दर्ज की। एक ओर जहाँ बल्लेबाज़ी के दौरान दिलीप वेंगसरकर 61 और 102 के स्कोर के साथ एक छोर संभाले खड़े रहे, तो रोजर बिन्नी ने पांच विकेट लेकर इंग्लैंड की बल्लेबाजी लाइनअप को अपने आगे घुटने टिकवा दिए। 2002 में सौरव गांगुली की टीम ने हेडिंग्ले को और भी विशेष स्थल बनाया जब उन्होंने मेजबान टीम को एक पारी और 46 रन से पराजित कर दिया। भारतीय कप्तान के अलावा राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर ने भी शानदार शतक जड़े, जिनके दम पर भारत ने पहली पारी में एक विशाल स्कोर बनाया। इस जीत ने उन्हें श्रृंखला को ड्रा करने में भी मदद की।

# 3 क्विंस स्पोर्ट्स क्लब, बुलावायो

बुलावायो का क्विंस स्पोर्ट्स क्लब टेस्ट क्रिकेट की मेजबानी करने वाले जिम्बाब्वे के केवल तीन स्थानों में से एक है। बहुउद्देश्यीय स्टेडियम में भारत ने मेजबानों के साथ दो मौकों पर खेला है और दोनों ही मौकों पर मेहमान टीम विजयी रही है। 2001 में उन्होंने गांगुली के नेतृत्व में 8 विकेट से जीत हासिल की। जब मैच बराबरी पर था, तो निचले क्रम ने झुझारू प्रदर्शन दिखाया और मेहमानों को मैच में मकड़ मजबूत करने में मदद दिलाई। अपने 2005 के ज़िम्बाब्वे दौरे के दौरान भारत ने एक पारी और 90 रन से मेजबानों को हराया। इरफान पठान मैन ऑफ़ द मैच बने थे। उन्होंने पहली पारी में पांच विकेट लिए थे और दूसरे पारी में चार और शिकार किये था। वीवीएस लक्ष्मण ने 140 रन बनाये, जबकि कप्तान गांगुली के मेहनती शतक ने सभी को हैरान किया था।

# 2 ईडेन पार्क, ऑकलैंड

ऑकलैंड का ईडन पार्क न्यूजीलैंड के लिए एक अच्छा घरेलू स्थल नहीं रहा है। उन्होंने 10 मैचों में जीत दर्ज की है लेकिन 15 मैच हारे हैं। भारत के खिलाफ, न्यूजीलैंड ने केवल एक बार मैच जीता और स्टेडियम में पांच मौकों में से दो मैचों में हार का सामना किया। रुसी सुरती के आलराउंड प्रदर्शन और साथ ही ईरापल्ली प्रसन्ना के आठ विकेटो ने 272 रनों की जीत तय की और 1968 की श्रृंखला में 3-1 से मेहमानों ने जीत हासिल कर ली। 1976 के दौरे के दौरान, कप्तान सुनील गावस्कर और अपना पहला मैच खेलने वाले सुरिंदर अमरनाथ के शतक ने भारत को पहली पारी में मजबूत स्कोर तक पहुंचाया। उस मैच में भागवत चंद्रशेखर और प्रसन्ना की गेंदबाज़ी के आगे न्यूजीलैंड ने घुटने टेक दिए। कुछ ड्रॉ के बाद, भारतीयों ने 2014 श्रृंखला के अंतिम टेस्ट के लिए ऑकलैंड में वापसी की। चौथे पारी में एक मुश्किल लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम सिर्फ 40 रन से मैच हार गयी और इस प्रकार ईडन पार्क में अपनी पहली टेस्ट हार का सामना किया।

# 1 क्विंस पार्क ओवल, त्रिनिदाद

स्पिनरों के लिए पारंपरिक रूप से अनुकूल सतह वाला त्रिनिदाद का क्विंस पार्क ओवल भारत के लिए एक अच्छा स्थल रहा है। पोर्ट ऑफ स्पेन में 13 टेस्ट में से, उन्होंने तीन मैच जीते हैं और तीन मैच हारे हैं। ज्यादा बड़ी बात यह है कि एशिया के बाहर का यह एकमात्र स्थल है जहाँ उन्होंने एक स्टेडियम में दो से अधिक टेस्ट जीते हैं। क्विंस पार्क ओवल में अपने पहले चार मैचों से दो बार ड्रा और उतनी ही बार हारने के बाद, भारत ने 1971 में एक प्रसिद्ध जीत दर्ज करके इस जगह के परिणाम को बदल दिया। प्रसन्ना, बिशन सिंह बेदी और श्रीनिवास वेंकटराघवन की स्पिन तिकड़ी ने वेस्ट इंडीज के सर गैरी सोबर्स, क्लाइव लॉयड और रोहन कानाही जैसे बड़े नामों वाले बल्लेबाज़ी क्रम को अपनी गेंदबाज़ी के जाल में फसा दिया। मैच में सात विकेट से मिली जीत ने कैरेबियाई मिट्टी पर मेहमानों की पहली श्रृंखला जीत का रास्ता बनाया। 1976 में, गावस्कर और गुंडप्पा विश्वनाथ के शतकों ने चौथी पारी में 403 रन बना, उस वक़्त के सबसे सफल लक्ष्य का पीछा किया और शानदार जीत दर्ज की। कुछ ड्रॉ और हार का सामना करने के बाद, भारत ने त्रिनिदाद में अपने 2002 के कैरेबियाई दौरे के दौरान अपनी तीसरी जीत दर्ज की। तेंदुलकर की शानदार 117 रनों की पारी और लक्ष्मण के दो अर्धशतकों ने मेहमानों को 37 रनों से जीत दिलायी। इस स्थल पर हाल में सम्पन्न टेस्ट (2016 में) में केवल 22 ओवरों का खेल हो पाया था, क्योंकि गीली आउटफील्ड और अपर्याप्त सुविधाओं के कारण मैच समाप्त करना पड़ा था। लेखक: राम कुमार अनुवादक: राहुल पांडे

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