पाकिस्तान ने क्रिकेट जगह को कई ऐसे महान खिलाड़ी दिए हैं, जिन्होंने अपनी काबिलियत से फैंस का दिल जीता है। उच्च स्तरीय तेज गेंदबाजों से लेकर गुणी बल्लेबाजों तक इस देश ने कई दिग्गज खिलाड़ियों को आगे बढ़ाया है। हालांकि, पाकिस्तान के भविष्य के कई स्टार खिलाड़ी ऐसे भी रहे, जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत में तो खूब सुर्खियां बंटोरी, लेकिन वह आगे इस लय को बरक़रार रखने में कामयाब नहीं हुए। इन क्रिकेटरों से नई ऊंचाइयां हासिल करने की उम्मीद थी, लेकिन इनका अंतर्राष्ट्रीय करियर कई कारणों से जल्दी ही समाप्त हो गया। आज हम पाकिस्तान के ऐसे ही पांच क्रिकेटरों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिन्होंने जानदार शुरुआत की, लेकिन जल्द ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर से गायब हो गए।
#5 वाजहतुल्लाह वस्ती
वाजहतुल्लाह वस्ती ने क्रिकेट जगत को हिलाकर रख दिया जब उन्होंने अपने करियर के दूसरे टेस्ट में दोनों पारियों में शतक लगाने की दुर्लभ उपलब्धि हासिल की। श्रीलंका के खिलाफ मार्च 1999 में वस्ती ने पहली पारी में 138 जबकि दूसरी पारी में 121 रन की पारी खेलकर टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाया। उनकी अद्भुत तकनीक और नई गेंद के खिलाफ आकर्षक शॉट खेलने की क्षमता ने उनके पाकिस्तान का हीरो बना दिया था। ऐसा लगने लगा था कि पाकिस्तान को सईद अनवर का सही ओपनिंग जोड़ीदार मिल गया है। वस्ती ने 1999 विश्व कप में अपना शानदार फॉर्म जारी रखा और न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में सईद अनवर के साथ मैच विजयी 190 रन की साझेदारी की। हालांकि, सेमीफाइनल्स में 84 रन की पारी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में उनकी आखिरी अर्धशतकीय पारी रही। दाएं हाथ के बल्लेबाज को इसके बाद टीम में कई मौके मिले, लेकिन वो उम्मीदों पर पूरी तरह खरे नहीं उतरे और जल्द ही टीम से उन्हें बाहर होना पड़ा। श्रीलंका के खिलाफ शानदार शुरुआत के बाद पाकिस्तान के ओपनर ने चार टेस्ट खेले, जिसमें 59 रन बनाए। उनका कम स्ट्राइक रेट और बड़े स्कोर नहीं बना पाने के कारण वन-डे क्रिकेट के लिए उन्हें अनुपयुक्त माना गया। वस्ती 2010 तक पाकिस्तान के घरेलू क्रिकेट में सक्रिय रहे और कई बार पाकिस्तान ए टीम में भी खेले। उन्होंने प्रथम श्रेणी करियर में 8,000 से अधिक रन बनाए। #4 शब्बीर अहमद लंबे कद के शब्बीर अहमद का गेंदबाजी एक्शन अपरंपरागत है। इसकी वजह से उन्हें पिच से अधिक उछाल मिलता था। वह पारी के अंतिम भाग में गेंद को अच्छे से रिवर्स स्विंग कराना जानते थे। अच्छे गुणों के कारण दाएं हाथ के तेज गेंदबाज को जल्द ही राष्ट्रीय टीम से खेलने का मौका मिला और वो संयुक्त रूप से सबसे तेज 50 विकेट लेने वाले पाकिस्तानी गेंदबाज बने। उनकी क्षमता डेब्यू मैच में ही देखने को मिल गई थी, जब बांग्लादेश के खिलाफ कराची की बेजान पिच पर उन्होंने 8 विकेट लिए थे। शब्बीर ने पहली पारी में तीन जबकि दूसरी पारी में 5 विकेट चटकाए थे। इसी वर्ष उन्होंने फैसलाबाद में दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजी क्रम को तहस-नहस करते हुए 6 विकेट चटकाए थे। 2003 में उन्होंने न्यूजीलैंड बल्लेबाजी को ध्वस्त करते हुए हैमिलटन में पांच विकेट लिए। वन-डे क्रिकेट में भी शब्बीर का प्रदर्शन प्रभावी रहा और उन्होंने अधिक रन खर्च नहीं किए। जब शब्बीर अपने चरम पर थे, तब उनके गेंदबाजी एक्शन को संधिग्ध माना गया। यहां से उनके करियर में गिरावट आने लगी। 2005 में उन पर एक वर्ष का प्रतिबंध लगा और इसके बाद वो कभी वापसी नहीं कर सके। 2013 तक उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला, लेकिन अन्य तेज गेंदबाजों के चलते उनकी राष्ट्रीय टीम में वापसी नहीं हो सकी। #3 यासिर हमीद यासिर हमीद का अंतर्राष्ट्रीय करियर अर्श से फर्श तक का सटीक उदाहरण हैं। उन्होंने पहली दो टेस्ट पारियों में दो शतक जमाए, लेकिन अगली 54 पारियों में वो एक बार भी तीन डिजिट में रन नहीं बना सके। हमीद ने बांग्लादेश के खिलाफ 2003 में प्रभावी टेस्ट डेब्यू किया। उन्होंने क्रमशः पहली दो पारियों में 170 व 105 रन बनाए। इसके बाद उनका लचर प्रदर्शन का दौर शुरू हुआ, जिसकी वजह से उन्हें टीम से जल्दी बाहर होना पड़ा। 2004 में न्यूजीलैंड और भारत के खिलाफ अर्धशतकीय पारियां खेलकर उन्होंने वापसी के जोरदार संकेत दिए। लेकिन अनिरंतरता और अन्य ओपनिंग बल्लेबाजों के आने से उनके अंतर्राष्ट्रीय करियर पर विराम लग गया। घरेलू क्रिकेट में प्रभावी प्रदर्शन के कारण हमीद को कई बार टेस्ट क्रिकेट में मौका दिया गया, लेकिन वो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रदर्शन को कायम नहीं रख सके और टीम से बाहर होते रहे। दाएं हाथ के बल्लेबाज ने इंग्लैंड के खिलाफ 2010 में टेस्ट क्रिकेट खेला था, इसके बाद से वो घरेलू क्रिकेट में काफी सक्रिय दिखे हैं। #2 इमरान फरहत आक्रामक सोच और आकर्षक शॉट खेलने की वजह से इमरान फरहत ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था। जब वो बल्लेबाजी कर रहे होते थे, तो फैन को अच्छे शॉट देखने की उम्मीद बनी होती थी। बाएं हाथ के बल्लेबाज को वन-डे के पॉवरप्ले के घातक बल्लेबाजों में से एक माना जाता था। हालांकि, डिफेंस करने की तकनीक से वो खेल के लंबे प्रारूप के लिए भी चुने गए। न्यूजीलैंड के खिलाफ 2001 में टेस्ट डेब्यू में 63 र की पारी खेलने के बाद फरहत ने यासिर हमीद के साथ 2003 में चार शतकीय साझेदारियां की और ओपनर के रूप में अपनी जगह स्थायी कर ली। मगर जल्द ही यासिर हमीद के समान उनका भी अनिरंतर दौर शुरू हुआ और तकनीक में चूक के कारण उन्हें अपनी जगह खोना पड़ी। 2001 में डेब्यू के बाद से 2013 तक फरहत पाकिस्तान टीम में अंदर-बाहर होते रहे। उनके रहते हुए पाकिस्तान को कई भरोसेमंद विकल्प मिले। हालांकि, सलमान बट के उदय से पाकिस्तान के चयनकर्ताओं को फरहत का पर्याप्त विकल्प मिला। जब यह तय हो गया कि फरहत की राष्ट्रीय टीम में वापसी मुमकिन नहीं, तो 34 वर्ष की उम्र में उन्होंने 2016 में संन्यास की घोषणा कर दी। #1 तौफीक उमर तौफीक उमर ने 2001 में बांग्लादेश के खिलाफ शतकीय पारी खेलकर अपना डेब्यू किया और क्रिकेट जगत में धमाकेदार दस्तक दी। बाएं हाथ के बल्लेबाज ने शुरुआत में पाकिस्तान को कई अच्छी पारियां खेलकर तोहफा दिया। 2004 तक तौफीक पाकिस्तान के नियमित सदस्य बनकर चले। हालांकि, भारत के खिलाफ सीरीज में लगातार फ्लॉप होने के कारण उन्हें राष्ट्रीय टीम से अपनी जगह गंवाना पड़ी। घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बनाने के कारण 2010 में चयनकर्ताओं ने उन पर दोबारा भरोसा जताया। उमर ने 2011 में श्रीलंका के खिलाफ 236 रन बनाए, लेकिन इसके बाद वो निरंतर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके और इसका परिणाम उन्हें टीम से बाहर होकर भुगतना पड़ा। तौफीक उमर ने अपना आखिरी टेस्ट 2014 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था।