5 ऐसे काम चलाऊ गेंदबाज़ जिन्होंने वनडे की बड़ी पारियों पर लगाया विराम

VIKRAM SOLANKI

क्रिकेट में अक्सर देखा गया है कि वैसे बल्लेबाज़ जिन्होंने पूरी पारी में शानदार प्रदर्शन करते हुए बड़ा शतक लगाया हो, वह अपनी विकेट ज़ाया कर देते हैं। कई बार तो बल्लेबाज़ों की बड़ी पारियों का शिकार मुख्य गेंदबाज़ की जगह कोई काम चलाऊ गेंदबाज़ कर देता है। वनडे क्रिकेट में ये बात और भी सटीक मालूम पड़ती है, जब बल्लेबाज़ों को किसी नए गेंदबाज़ को समझने का मौक़ा कम मिलता है। आपके सामने ऐसे ही 5 पार्टटाइम गेंदबाज़ों की फ़ेहरिस्त हम रख रहे हैं, जिन्होंने बड़ी मछली का किया शिकार: गेंदबाज़: विक्रम सोलंकी शिकार: सनथ जयसूर्या (152) भारत के उदयपुर में जन्में विक्रम सोलंकी इंग्लैंड के लिए 50 से ज़्यादा मैचो में मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज़ की भूमिका निभाई। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनमें निरंतरता की कमी थी, लिहाज़ा ज़्यादा समय तक टीम का हिस्सा नहीं रह पाए। इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 2006 में लीड्स में खेले गए वनडे मैच में सनथ जयसूर्या ज़बर्दस्त लय में नज़र आ रहे थे। 323 रनों का पीछा करते हुए जयसूर्या ने श्रीलंका को बेहतरीन आग़ाज़ दिलाया और ताबड़तोड़ शतक लगाते हुए बाएं हाथ के इस विस्फोटक बल्लेबाज़ ने मेज़बान टीम को बैकफ़ुट पर ला दिया था। इंग्लिश कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस ने आक्रमण पर काम चलाऊ गेंदबाज़ विक्रम सोलांकी को बुलाया, और अपनी मीडियम पेस गेंदो से सोलंकी ने 152 रनों के स्कोर पर जयसूर्या को अपना शिकार बना लिया। सोलंकी के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की ये इकलौती विकेट थी। गेंदबाज़: सचिन तेंदुलकर शिकार: सईद अनवर (194) unnamed पाकिस्तान के बाएं हाथ के इस बल्लेबाज़ को जाना जाता था वनडे क्रिकेट में विस्फोटक आग़ाज़ के लिए, पहले 15 ओवर का फ़ायदा अनवर शानदार तरीक़े से उठाते थे। 1997 में सईद अनवर ने वेस्टइंडीज़ के दिग्गज बल्लेबाज़ विवियन रिचर्ड्स का 13 साला पुराना रिकॉर्ड तोड़ डाला था, और वनडे क्रिकेट इतिहास की सबसे बड़ी पारी अपने नाम कर गए थे। भारत के ख़िलाफ़ चेन्नई में खेले गए मुक़ाबले में सईद अनवर ने टीम इंडिया के गेंदबाज़ों की जमकर धुनाई की और एक वक़्त दोहरे शतक के क़रीब जा खड़े हुए थे। अनवर इस मैच में ज़्यादातर रनर के साथ खेल रहे थे। अनवर ने इस मैच में चौको और छक्कों की बारिश ला दी थी, भारत के दिग्गज गेंदबाज़ अनिल कुंबले के भी एक ओवर में अनवर ने 24 रन बटोर लिए थे। कप्तान सचिन तेंदुलकर जिन्हें 'मैन विद द गोल्डेन आर्म' भी कहा जाता था, ख़ुद गेंदबाज़ी करने आए और आख़िरकार उन्होंने इस पारी का अंत किया। सचिन ने लेग स्टंप के बाहर ऑफ़ स्पिन गेंद डाली थी और अनवर को स्वीप के लिए ललचाया, अनवर के बल्ले का ऊपरी किनारा लगा और फ़ाइन लेग पर खड़े सौरव गांगुली ने आगे की ओर छलांग लगाते हुए एक शानदार कैच के साथ बेहतरीन पारी का अंत किया। इत्तेफ़ाक से 13 साल बाद सईद अनवर के 194 रनों को सचिन तेंदुलकर ने ही पीछे छोड़ा और वनडे क्रिकेट का पहला दोहरा शतक लगाया। गेंदबाज़: सौरव गांगुली शिकार: सनथ जयसूर्या (189) unnamed (1) सनथ जयसूर्या जब अपने शबाब पर होते थे, तो मानो जैसे गेंदबाज़ों की ख़ैर नहीं। भारतीय गेंदबाज़ तो श्रीलंका के इस बाएं हाथ के बल्लेबाज़ के पसंदीदा थे, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है 1997 में कोलंबो टेस्ट में भारत के ख़िलाफ़ जयसूर्या की 340 रनों की मैराथन पारी। साल 2000 में शारजाह में खेले गए कोका कोला कप के फ़ाइनल मैच में जयसूर्या पूरी तरह से भारतीय गेंदबाज़ों की बखिया उधेड़ रहे थे। 189 रनों पारी खेलते हुए बांए हाथ के इस बल्लेबाज़ ने श्रीलंका को शारजाह की धीमी पिच पर 299 रनों तक पहुंचा दिया था। सईद अनवर के 194 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ने के कगार पर खड़े जयसूर्या के लिए 48वें ओवर में कप्तान सौरव गांगुली ख़ुद आक्रमण पर आए। पारी में पहली बार गेंदबाज़ी करते हुए दादा ने दूसरी ही गेंद पर जयसूर्या को नयन मोंगिया के हाथो स्टंप्ड आउट कराते हुए इस मैराथन पारी पर विराम लगा दिया। गांगुली ने ऑफ़ स्टंप के काफ़ी बाहर गेंद फेंक डाली, जयसूर्या ने आगे बढ़कर शॉट खेलने की कोशिश की, लेकिन पूरी तरह बीट हुए और विकेट के पीछे मुस्तैद मोंगिया ने स्टंप्स बिखेर दिए। साझेदारी तोड़ने वाले इस गेंदबाज़ ने क़ामयाबी तो हासिल की, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। गेंदबाज़: हैमिल्टन मसाकाद्ज़ा शिकार: क्रिस गेल (215) unnamed (2) क्रिस गेल बेहद ही आक्रमक और मनमौजी क्रिकेटर माने जाते हैं। वर्ल्डकप 2015 में उनके ख़राब फ़ॉर्म की वजह से वेस्टइंडीज़ की युवा टीम में उनकी जगह पर सवाल खड़े कर दिए थे, लेकिन उन्होंने इसका जवाब अपने ही अंदाज़ में दिया। गेल ने वनडे इतिहास का सबसे तेज़ दोहरा शतक लगा डाला और ज़िम्बाब्वे के गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ मैदान के हर कोने में शॉट्स लगाए। गेल ने 215 रन बनाए और इस पारी को अंत किया हैमिल्टन मसाकाद्ज़ा ने जो इस पारी में सातवें गेंदबाज़ थे। गेंदबाज़: मार्लोन सैमुअल्स शिकार: मार्क वॉ (173) unnamed (3) छोटे व़ॉ यानी स्टीव वॉ के जुड़वा भाई मार्क वॉ का खेलने का अंदाज़ बेहद निराला और ख़ूबसूरत था। उनके बल्ले से निकले हुए ऑफ़ साइड में ड्राइव्स बेहद आकर्षक लगते थे, जब वह लय में होते थे तो किसी भी गेंदबाज़ी आक्रमण को तहस नहस करने का माद्दा रखते थे। 2001 में खेले कार्ल्टन कप फ़ाइनल में भी मार्क वॉ ने कुछ ऐसा ही किया था, वॉ ने वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ 173 रनों की पारी खेली थी जो उस समय वनडे इतिहास में ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी पारी थी। हालांकि शुरुआत में मार्क वॉ सहज नहीं दिख रहे थे लेकिन उन्होंने तुरंत ही लय हासिल कर ली और कैरेबियाई गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ जमकर प्रहार किया। मार्क वॉ की इस पारी का अंत किया वेस्टइंडीज़ के काम चलाऊ गेंदबाज़ मार्लोन सैमुअल्स ने। सैमुअल्स की ऑफ़ स्पिन पर वॉ अपनी विकेट गंवा बैठे।

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