इंडियन प्रीमियर लीग के 10 वर्षों में, कई टीमों ने प्रतिस्पर्धा में अपने खिलाड़ियों और फ्रैंचाइजियो को सफलता का श्रेय दिया है। स्टीफन फ्लेमिंग का चेन्नई सुपर किंग्स के साथ सफ़र शानदार रहा है। फ्लेमिंग की कोचिंग में सीएसके ने दो बार लीग का ख़िताब जीता। हालांकि, ऐसे कुछ लोग भी हैं, जिन्होंने लीग में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की, लेकिन उन्हें ज्यादा लोग नहीं जानते हैं। आज हम आपको ऐसे ही 5 लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं :
5) 2009 सत्र में डेक्कन चार्जर्स के फील्डिंग कोच थे माइक यंग
2008 में ख़राब सत्र के बाद डेक्कन चार्जर्स को सभी विभागों में बदलाव की जरूरत थी। इस फ्रैंचाइज़ी ने रोबिन सिंह को प्रमुख कोच के पद से हटाया और डैरेन लीमैन को उनकी जगह नियुक्त किया। लीमैन अपना सपोर्ट स्टाफ साथ लेकर आए, जिसमें विंसेंट बार्नेस को गेंदबाजी कोच तथा माइक यंग को फील्डिंग कोच के रूप में नियुक्त किया गया। 61 वर्षीय ने फील्डिंग कोच की भूमिका बखूबी अदा की और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों को शानदार प्रशिक्षण दिया। इसका असर मैच में भी देखने को मिला जब खिलाड़ियों ने चमत्कारिक अंदाज में कैच लपककर सभी को चौंका दिया। यंग के प्रयास काम आए क्योंकि चार्जर्स ने उसी वर्ष ख़िताब जीता। जबकि पिछले सत्र में वह अंक तालिका की सूची में अंतिम स्थान पर थी। 4) 2008 में चेन्नई सुपर किंग्स के कोच बने केप्लर वेसल्स
दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट ने 1992 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी करके कई उतार-चढ़ाव देखे। मगर एक ऐसा व्यक्ति है, जिसका अफ्रीकी क्रिकेट हमेशा शुक्रगुजार रहेगा। वह है केप्लर वेसल्स जिन्होंने टीम का नेतृत्व किया। वेसल्स ने 34 की उम्र में प्रोटीज टीम का 1992 विश्व कप में नेतृत्व किया। संन्यास के बाद वेसल्स ने कोचिंग की ओर रुख कर लिया और काउंटी क्रिकेट में सक्रिय रहे, जहां उन्होंने नॉर्थहेम्पटनशायर का जिम्मा संभाला। 2008 में उन्हें चेन्नई सुपर कींग्स ने अपना प्रमुख कोच बनाया। जिस टीम में दिग्गज नाम शामिल थे, उस टीम को वेसल्स ने अच्छे से संभाला और टीम को ख़िताब के करीब पहुंचाया। टीम ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन फाइनल में वह राजस्थान रॉयल्स से मात खा बैठी। 3) 2008 सत्र में दिल्ली डेयरडेविल्स के गेंदबाजी सलाहकार बने डेनिस लिली आमतौर पर यह देखने को मिला था कि पुराने महारथी क्रिकेटरों ने आईपीएल और टी20 क्रिकेट की खूब आलोचना की थी क्योंकि यह एकतरफा मुकाबला लगता था। इसमें गेंद और बल्ले के बीच प्रतिस्पर्धा की कमी लगी और भी कई कारणों से लीग और प्रारूप की निंदा की गई। मगर आईपीएल के पहले सत्र में दिल्ली डेयरडेविल्स ने क्रिकेट के सर्वकालिक महान तेज गेंदबाजों में से एक डेनिस लिली को टूर्नामेंट शुरू होने से पहले गेंदबाजी सलाहकार के रूप में नियुक्त किया। टीम में ग्लेन मैक्ग्रा, मोहम्मद आसिफ जैसे दिग्गज गेंदबाज थे जबकि यो महेश और प्रदीप सांगवान जैसी प्रतिभा भी शामिल थी। यह निश्चित है कि सभी गेंदबाजों ने डेनिस लिली के साथ शानदार समय व्यतीत किया होगा। सभी को तेज गेंदबाजी के बढ़िया गुर सीखने को मिले होंगे। 2) 2008 सत्र में राजस्थान रॉयल्स के साइकोलोजिस्ट बने जेरेमी स्नेप अधिकांश सुनने में आता है कि संन्यास लेने के बाद क्रिकेटर या तो कोचिंग या फिर कमेंटरी नहीं तो फिर प्रशासनिक गतिविधियों में शामिल होता है। बहुत ही कम सुनने में आता है कि वह इन तीनों विभागों से अलग कुछ कर रहे हो। इंग्लैंड के पूर्व ऑफ़स्पिनर जेरेमी स्नेप ने इस बात को बदलकर रख दिया। 2008 सत्र के लिए राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें साइकोलोजिस्ट के रूप में अपने साथ जोड़ा। स्नेप की मेहनत रंग लाई और शेन वॉर्न के नेतृत्व में टीम ने प्रतियोगिता के उद्घाटन संस्करण का ख़िताब अपने नाम किया। 1) 2008 में मुंबई इंडियन्स सपोर्ट स्टाफ का हिस्सा रहे हर्षा भोगले
आईपीएल का पहला संस्करण न सिर्फ खिलाड़ियों के लिए बल्कि दर्शकों और क्रिकेट में किसी भी तरह शामिल लोगों के लिए बिलकुल नया अनुभव था। मुंबई इंडियन्स लीग की सबसे लोकप्रिय टीमों में से एक थी क्योंकि इसमें सचिन तेंदुलकर, शॉन पोलाक और अन्य दिग्गज खिलाड़ी शामिल थे। सपोर्ट स्टाफ में टीम ने कई दिग्गज नाम शामिल किये, जिन्हें सपोर्ट स्टाफ का अच्छा अनुभव हासिल है। हालांकि, एक ऐसा व्यक्ति भी उसका हिस्सा था जिसे डगआउट में पहली बार बैठे देखा था। हर्षा भोगले को लोग उनकी शानदार कमेंटरी के लिए जानते हैं और इसके चलते उन्होंने काफी लोकप्रियता भी हासिल की। मगर लीग के उद्घाटन संस्करण में भोगले को सचिन तेंदुलकर के नेतृत्व वाली टीम में सलाहकार के रूप में देखा गया। इस संस्करण में टीम अंक तालिका में पांचवें स्थान पर रही थी।