उन बहुत से खिलाड़ियों में से जो देश के लिए खेलना चाहते हैं, अधिकांश तो खेल की रफ़्तार के साथ तालमेल नहीं बैठा पाए। उन्हें बहुत अच्छे रिकॉर्ड के बावजूद दूसरे खिलाडियों के लिए जगह बनानी पड़ती है। लेकिन वे तब भी बढ़िया प्रदर्शन करते हुए प्रशंसकों के दिल में जगह बना लेते हैं। एेसा ही भारत के बहुत खिलाड़ियों के साथ हुआ है। उन्होंने खेल खेला और फिर टीम को बहुत सा योगदान देकर चले गए। क्रिकेट बहुत तेज दौड़ता है पर कुछ खिलाडी हैं जो प्रशंसकों के मन पर छाप छोड़ जाते हैं। और बेकार फ़ॉर्म के बाद भी प्रशंसक चाहते हैं कि वो खेलते रहें। एक नज़र उन खिलाड़ियों पर: 1- ज़हीर खान भारत के एक बेहतरीन तेज गेंदबाज होने के साथ उन्होंने भारत में तेज़ी और स्विंग की वापसी में मदद करी। साथ ही उन्होंने दूसरे गेंदबाज़ों को एक साथ लाकर टीम को मज़बूती प्रदान करी। 2011 में उनका करियर ऊँचाई पर था जब उन्होंने विश्व कप में टीम को सबसे ज़्यादा विकेट लेकर टीम को चैंपियन बनाया। अभी भारत की गेंदबाज़ी को वापस मजबूती प्रदान करने के लिए ज़हीर खान जैसा मेंटर चाहिए। 2- इरफ़ान पठान जब किसी मैच में गेंदबाज बहुत मुसीबत में होते हैं तो एक ही नाम मुँह पर आता है, पठान, जो गेंद को दोनों ओर स्विंग कराकर बल्लेबाजों की मुश्किलें बढ़ा दिया करते थे। पठान एक जादुई गेंदबाज थे, उनका स्विंग और पेस बहुत शानदार था। 2006 में कराची में हैट ट्रिक लेकर उन्होंने भारतीय क्रिकेट को गौरवान्वित किया था। कई बार उन्हें कपिल देव का उत्तराधिकारी भी माना जाता है। फ़ॉर्म से बाहर होने पर उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। वो खेलते रहे पर कभी एक स्थायी जगह नहीं बना पाए। और अब तो उनकी गेंद भी स्विंग नहीं करती। समय उनके साथ नहीं है। 3- गौतम गंभीर उन्होंने 2007 और 2011 के विश्व कप फ़ाइनल में भारत की ओर से खेलकर टीम को जीत की राह दिखाई। इस सब के बाद भी पिछले एक साल से भारत के लिए नहीं खेले हैं। 2009 में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ टेस्ट मैच बचाकर उन्होंने अपना नाम कमाया। वीरेंदर सहवाग उन्हें भारत की दूसरी वॉल भी कहते थे। उसी के कारण उस साल उन्हें आईसीसी के बल्लेबाजों की रैंक में पहला स्थान मिला था। भारत को उनके बाद पिछले कुछ सालों में एेसा बल्लेबाज़ नहीं मिला है। अभी वे जस्टिन लेंगर के देखरेख में अपना करियर बचाने में लगे है। 4- वीरेंदर सहवाग निर्भयता का दूसरा नाम सहवाग, भारत के सबसे बढिया ओपनर में से एक हैं। 36 साल की उम्र में आज उनकी भारतीय टीम में कोई जगह नहीं है, जो उनके प्रशंसकों के लिए बहुत निराशाजनक है। ओडीआई और टी20 दोनों में ही उन्होंने गेंद की बहुत पिटाई करी है। शतक, दोहरा शतक और तिहरे शतक को कौन खिलाडी बाउंड्री से पूरा करता है? सिर्फ सहवाग ही ऐसा कर सकते हैं। आज भी सबसे तेज तिहरे शतक का रिकॉर्ड सहवाग के नाम है। वो अपना तीसरा तिहरा शतक बनाने में 7 रन से असफल रह गए थे। अगर यह तिहरा शतक पूरा हो जाता, तो वे डॉन ब्रेडमैन को भी पीछे छोड़ देते। उम्र के साथ उनका खेल भी धीमा हो गया और उनका हाथ और आँख का तालमेल भी पहले जैसा नहीं रहा। पर प्रशंसकों के कारण वे कहते हैं कि मैं प्रैक्टिस कर रहा हूँ और रिटायर होने से पहले अच्छी पारी खेल कर जाऊंगा। 5- युवराज सिंह [caption id="attachment_138291" align="aligncenter" width="759"] yuvraj singh[/caption] युवराज सिंह के कारण भारत ने ओडीआई और टी20 विश्व कप में जीत दर्ज करी है। युवराज के कारण टीम ने अनेकों मैच जीते हैं पर आज उसी टीम ने उनके लिए दरवाज़े बंद कर दिये हैं। 6 छक्के मारकर, 2002 में नैटवेस्ट फ़ाइनल आदि बहुत बार उन्होंने यादगार प्रदर्शन किया है। 2011 विश्व कप में उन्होंने अपनी सेहत को परे रखकर बढिया प्रदर्शन किया। अभी वे ख़राब फ़ॉर्म में चल रहे हैं। 2015 में आईपीएल में उन्होंने अपना हाथ आज़माया, पर वे नाकामयाब रहे। रहाणे और रैना के कारण उनके खेलने की संभावना और भी कम हो गई है। हालाँकि प्रशंसक आज भी उनके वापस आने की उम्मीद करते हैं। लेखक- एच अनिल, अनुवादक- सेहल जैन