उन्होंने 2007 और 2011 के विश्व कप फ़ाइनल में भारत की ओर से खेलकर टीम को जीत की राह दिखाई। इस सब के बाद भी पिछले एक साल से भारत के लिए नहीं खेले हैं। 2009 में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ टेस्ट मैच बचाकर उन्होंने अपना नाम कमाया। वीरेंदर सहवाग उन्हें भारत की दूसरी वॉल भी कहते थे। उसी के कारण उस साल उन्हें आईसीसी के बल्लेबाजों की रैंक में पहला स्थान मिला था। भारत को उनके बाद पिछले कुछ सालों में एेसा बल्लेबाज़ नहीं मिला है। अभी वे जस्टिन लेंगर के देखरेख में अपना करियर बचाने में लगे है।
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