वैसे तो टेस्ट रैंकिंग में रविन्द्र जडेजा नंबर 1 पायदान पर हैं, लेकिन टेस्ट टीम में रविचंद्रन अश्विन की जगह पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता। वहीं दूसरी ओर, एकदिवसीय टीम में इस 30 वर्षीय खिलाड़ी की जगह के संबंध में ऐसा नहीं कहा जा सकता। आईसीसी चैंपियन्स ट्रॉफी के अंतिम चरण में अश्विन टीम इंडिया का हिस्सा जरूर रहे, लेकिन शुरुआती मुकाबलों में उन्हें जगह नहीं दी गई। इससे स्पष्ट है कि सीमित ओवरों के प्रारूप में इस खिलाड़ी की जगह टेस्ट क्रिकेट जैसी स्थाई नहीं है। क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद, अश्विन एकदिवसीय और टी-20 क्रिकेट में कुछ खास कमाल नहीं दिखा सके। आंकड़ों के मुताबिक, 2016 की शुरुआत से अश्विन ने अभी तक एक दर्जन से भी कम एकदिवसीय मैच खेले हैं और इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि वनडे टीम में उनकी जगह खतरे में है। अश्विन के विकल्प के तौर पर खिलाड़ियों की एक लंबी फेहरिस्त है, जो वनडे टीम में अपनी जगह के इंतजार में हैं। इस वजह से 2019 विश्व कप के मद्देनजर टीम इंडिया के पास अश्विन के कई विकल्प हैं और समय रहते एक बेहतर खिलाड़ी को तैयार किया जा सकता है। 2019 विश्व कप में ये खिलाड़ी ले सकते हैं अश्विन की जगहः युजवेंद्र चहल हालांकि, इस बाएं हाथ के 26 वर्षीय खिलाड़ी ने बहुत कम एकदिवसीय मैचों में ही टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया है, लेकिन टी-20 में उनके नाम पर किसी भारतीय गेंदबाज द्वारा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का रिकॉर्ड दर्ज है और वह एकमात्र भारतीय हैं, जिन्होंने टी20 में एक ही मैच में 5 विकेट लेने का कारनामा कर दिखाया है। आईपीएल मैचों में लगातार अपने शानदार प्रदर्शन के बावजूद चहल अभी तक वनडे टीम में अपनी जगह बनाने में नाकाम रहे हैं। चहल के पास फर्स्ट क्लास और लिस्ट-A के मैचौं में कुल जितने विकेट हैं, लगभग उतने ही विकेट उनके नाम पर टी20 मैचों में है। इससे यह जाहिर होता है कि वह एकदिवसीय मैचों से ज्यादा टी-20 मैचों के लिए उपयुक्त हैं। हालांकि, हालिया बल्लेबाज लेग स्पिनरों को बेहतर ढंग से नहीं खेल पाते और इस वजह से उन्हें वनडे टीम में जगह दी जा सकती है। टी20 टीम में भी अश्विन हाशिए पर हैं और ऐसे में वनडे टीम में चहल को मौका मिलने में अब देर नहीं। साथ ही, चहल भी इस मौके को भुनाने की पूरी तैयार में होंगे और उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि 2019 विश्व कप में वह टीम इंडिया में अपनी जगह बना सकें। अक्षर पटेल आईसीसी रैंकिंग के हिसाब से सर्वश्रेष्ठ भारतीय गेंदबाज होने के बावजूद न तो चैंपियन्स ट्रॉफी में और न ही वेस्टइंडीज के साथ वनडे सीरीज में पटेल को जगह दी गई। 30 मैचों में शानदार प्रदर्शन के बावजूद भी इस लेफ्ट आर्म स्पिनर को टीम में स्थाई जगह नहीं मिल पाई है। 30 मैचों में 4.5 से कम के इकॉनमी रेट के साथ अक्षर पटेल ने यह साबित कर दिखाया है कि जब भी उन्हें मौका दिया गया है, उन्होंने खुद को साबित किया है। साथ ही, बल्लेबाजी के निचले क्रम में वह बड़े हिटर भी साबित हुए हैं। इसके बाद भी उनका टीम का हिस्सा न होना आश्चर्यजनक होगा। महज 23 वर्षीय युवा अक्षर के पास अभी पर्याप्त समय है और यह सिर्फ समय का खेल है कि उन्हें टीम इंडिया के सबसे बेहतरीन स्पिन-बॉलर ऑलराउंडर के तौर पर खुद को साबित करने का उचित मौका मिले। अमित मिश्रा 2003 में वनडे करियर की शुरुआत के बावजूद अमित मिश्रा अभी तक 50 वनडे मैच भी नहीं खेल सके हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने जौहर दिखा चुके इस अनुभवी लेग स्पिनर को टीम इंडिया स्थाई जगह नहीं दे पाई है। अगला वर्ल्ड कप इंग्लैंड में खेला जाना है और चैंपियन्स ट्रॉफी में इंग्लैंड की पिच पर टीम इंडिया के स्पिनर्स के निराशाजनक प्रदर्शन को देखते हुए, टीम आगामी विश्व कप में अपने इस अनुभवी गेंदबाज को मौका देने के बारे में सोच सकती है। अमित मिश्रा ने 14 सालों के करियर में अभी तक सिर्फ 34 अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय मैच ही खेले हैं। वनडे मैचों में मिश्रा ने हर मैच में औसतन 2 विकेट लिए हैं और उनका इकॉनमी रेट 5 का रहा है। अगर आईपीएल के प्रदर्शन पर गौर करें तो मिश्रा सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले दूसरे गेंदबाज हैं और वह सिर्फ लसिथ मलिंगा से पीछे हैं। यह मिश्रा का दुर्भाग्य ही तो है कि अक्टूबर 2016 में खेले गए वनडे मैच में महज 18 रन देकर 5 विकेट लेने के बावजूद भी, उन्हें तब से अभी तक किसी एकदिवसीय मैच में मौका नहीं दिया गया। रविचंद्रन अश्विन और रविन्द्र जडेजा से बेहतर वनडे रैंकिंग होने के बावजूद भी इस 34 वर्षीय अनुभवी लेग स्पिनर को चैंपियन्स ट्रॉफी में टीम से बाहर रखा गया। शाहबाज़ नदीम फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 3 से भी कम का इकॉनमी रेट, खाते में 300 विकेट, 4.21 के इकॉनमी रेट के साथ 100 से ज्यादा लिस्ट A विकेट और टी20 क्रिकेट में 7 से भी कम का औसत रखने वाले और अपनी स्टॉक डिलिवरी के लिए लोकप्रिय बाएँ हाथ के इस शानदार स्पिनर को अंतरराष्ट्रीय टीम में जगह न मिलना आश्चर्यजनक है। हालांकि, राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने यह दर्शाया है कि घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन, आईपीएल के एक या दो सीजन में अच्छे प्रदर्शन से अधिक महत्व रखता है। अगर शाहबाज़ नदीम घरेलू क्रिकेट के सभी प्रारूपों में अपना अच्छा प्रदर्शन दिखा पाते हैं, तो यह सिर्फ समय पर निर्भर करता है कि कब उन्हें टीम इंडिया में शामिल किया जाता है। शाहबाज अनुभवी जरूर हैं, लेकिन वह अभी महज 27 वर्षीय हैं और ऐसे में उनके पास पर्याप्त समय है। धीमी पिचों पर भी शाहबाज़ सधी हुई गेंदबाजी करने में सक्षम हैं और वह ऐसी पिचों पर कारगर साबित हो सकते हैं। कुलदीप यादव यह तथ्य भी गौरतलब है कि कुलदीप के टीम इंडिया में शामिल होने से एक ऐसा फैक्टर जुड़ता है, जो बाकी किसी अंतरराष्ट्रीय टीम के पास नहीं है और यह वजह अपने आप में पर्याप्त है कि उन्हें जल्द ही एकदिवसीय टीम इंडिया का नियमित हिस्सा बना लिया जाए। लेग स्पिनर्स फिलहाल ट्रेंड में हैं और ऐसे में चाइनामैन बॉलर को टीम में शामिल करना बेहतर फैसला होगा। जिनमें से बहुत कम ऐसे गेंदबाज हुए हैं, जो लीडिंग स्पिनर बनने का माद्दा रखते हों। सपाट पिचें, जो गेंदबाजों के लिए कुछ खास मददगार नहीं होती, वहां पर भी कुलदीप अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं क्योंकि वर्ल्ड क्रिकेट में फिलहाल बहुत कम बल्लेबाज ऐसे हैं, जो उन्हें सहजता से खेल सकते हैं। साथ ही, बल्ले के साथ भी यादव असहज नहीं है और इसका मतलब है कि वह टीम के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं।