श्रीलंकाई क्रिकेट टीम को अभी भी है इन 5 दिग्गजों के विकल्प की तलाश

श्रीलंकाई क्रिकेट लम्बे समय से बदलाव के दौर से गुजर रही है। लेकिन आज भी श्रीलंका के अपने पूर्व दिग्गजों का विकल्प अभी तक नहीं मिला है। आइलैंड की ये टीम मौजूदा समय में बेहद कमजोर हो गयी है। दक्षिण अफ्रीका और बांग्लादेश के खिलाफ इस टीम का प्रदर्शन बेहद ही निराशाजनक रहा है। इसके अलावा टीम आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में ग्रुप चरण से ही बाहर हो गयी थी। हाल ही में टीम ज़िम्बाब्वे से अपने ही घर हुई सीरिज में बुरी तरह से हारी है। जिससे श्रीलंकाई क्रिकेट का ग्राफ काफी नीचे पहुंच गया है। यहाँ तक श्रीलंकाई टीम की फील्डिंग पहले शानदार हुआ करती थी। जिसमें में भी बेहद गिरावट दर्ज हुई है। टीम चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान के साथ हुए मुकाबले में खराब क्षेत्ररक्षण की वजह से हारी थी। टीम के खराब प्रदर्शन के चलते हाल ही में कप्तान एंजेलो मैथ्यूज ने कप्तानी भी छोड़ दी। श्रीलंकाई बोर्ड अपनी युवा टीम को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है, लेकिन ये युवा खिलाड़ी अपने पूर्व दिग्गजों की जगह भरने में नाकामयाब रहे हैं। अचानक दिग्गजों का संन्यास लेना श्रीलंकाई क्रिकेट पर भारी पड़ रहा है। आज उनमें से पांच खिलाड़ियों के बारे में हम आपको बता रहे हैं: चमिंडा वास चमिंडा वास श्रीलंका के सबसे सफल तेज गेंदबाजों में से एक हैं। जिन्होंने लम्बे समय तक श्रीलंकाई टीम की गेंदबाज़ी की अगुवाई। 15 वर्ष के अपने शानदार करियर में वास के नाम कई बेहतरीन रिकार्ड्स रहे हैं। वनडे में उनके नाम एक पारी में 8 विकेट दर्ज हैं। चमिंडा वास को दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाज़ रिकी पोंटिंग, स्टीफन फ्लेमिंग और सचिन तेंदुलकर को भी खेलने में दिक्कतें आई हैं। हालांकि वास को करियर में उतनी चोट नहीं लगी है। जितनी की अन्य तेज गेंदबाजों को चोटें लगती रही हैं। वास ने साल 2009 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। उसके बाद श्रीलंका को वास के समकक्ष का दूसरा गेंदबाज़ आज तक नहीं मिल पाया। वास के बाद चनाका वेलेगेदरा, थिलन तुषारा, इसुरु उदाना और सुरंगा लकमल जैसे युवा गेंदबाजों ने उनकी जगह भरने की कोशिश की। लेकिन आज भी वास की कमी श्रीलंका को खल रही है। सनथ जयसूर्या दुनिया के बेहतरीन सलामी बल्लेबाजों की जब भी बात होगी तब श्रीलंका के इस पूर्व बल्लेबाज़ की बात जरुर होगी। बाएं हाथ के इस बल्लेबाज़ ने अपने आक्रामक अंदाज से एकदिवसीय क्रिकेट में गेंदबाजों में खौफ पैदा कर दिया था। जयसूर्या ने श्रीलंका को कई मुकाबले अकेले दम पर ही जिताएं हैं, इसके अलावा वह एक बेहतरीन बाएं हाथ के स्पिनर भी हैं। जयसूर्या ने कई बार अपनी टीम को तब विकेट दिलाएं हैं, जब टीम को उस वक्त सबसे अधिक जरूरत थी। 22 साल के अपने करियर में जयसूर्या ने युवाओं पर बड़ा ही असर डाला है। साल 2011 में जयसूर्या ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया जिसके बाद उनकी भरपाई श्रीलंकाई टीम नहीं कर पाई। कुसल परेरा, लहिरू थिरिमाने या दिमुथ करुनारत्ने में से किसी भी बल्लेबाज़ ने जयसूर्या की भरपाई नहीं की। हालांकि हाल के दिनों में निरोशन डिकवेला और दनुश्का गुनाथिलका ने अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया है। लेकिन उनमें भी जयसूर्या का अक्स नजर नहीं आया है। महेला जयवर्धने महेला जयवर्धने श्रीलंका के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक रहे हैं। वह श्रीलंका की तरफ से टेस्ट में 10 हजार रन पूरा करने वाले पहले बल्लेबाज़ बने थे। जयवर्धने व संगकारा ने मिलकर लम्बे समय तक श्रीलंकाई मध्यक्रम की जिम्मेदारी संभाली है। जयवर्धने ने कई बार टीम को ऐसे मौके पर जीत दिलाई है, जब वह पूरी तरह बिखराव की ओर बढ़ रही थी। जयवर्धने की बल्लेबाज़ी में काफी विविधता भरी रही है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने टेस्ट में अपनी सर्वश्रेष्ठ 374 रन की पारी खेलकर क्रिकेट के इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाया था। इसके अलावा वह एक बेहतरीन कप्तान भी थे। साल 2015 में जयवर्धने ने संन्यास लिया था और उनकी जगह पर चमारा कपूगेदरा, दिनेश चंडीमल और धनञ्जय डीसिल्वा टीम में आये लेकिन ये सभी बल्लेबाज़ उनकी भरपाई करने में नाकामयाब रहे। मौजूदा समय में घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुसल मेंडिस का प्रदर्शन अच्छा रहा है। ऐसे में उम्मीद है कि श्रीलंका को जल्द ही एक बेहतरीन खिलाड़ी मिल जायेगा और जयवर्धने की खाली जगह भरने में कामयाब होगा। मुथैया मुरलीधरन मुथैया मुरलीधरन क्रिकेट खेल के दिग्गज स्पिनर रहे हैं। 90 के दशक में श्रीलंकाई क्रिकेट के उदय में मुरली का अहम स्थान था। मुरली श्रीलंकाई टीम के ऐसे हथियार थे, जो बल्लेबाजों पर कभी भी कहर बरपा सकता था। विश्व क्रिकेट में सटीक “दूसरा” के लिए भी मुरली को लोग याद करते हैं। दुनिया भर के बल्लेबाज़ मुरली को सबसे कठिन गेंदबाज़ मानते रहे हैं। इसके अलावा मुरलीधरन एक बेहतरीन इन्सान भी थे। जिसने क्रिकेट को जेंटलमैन का खेल बनाये रखा इसी वजह से वह युवा खिलाड़ियों के लिए आदर्श भी हैं। मुरलीधरन ने अपने पूरे करियर में 1300 से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय विकेट लिए हैं। टेस्ट और वनडे में आज भी उनका नाम सबसे ऊपर दर्ज है। दुर्भाग्यवश श्रीलंका को मुरलीधरन जैसा दूसरा गेंदबाज़ आज तक नहीं मिला है। अजन्ता मेंडिस ने शुरू में अपना प्रभाव छोड़ा था, लेकिन बाद में उनकी धार कुंद हो गयी। उसके बाद सूरज रंडीव, सचित्र सेनानायके और दिलरुवान परेरा जैसे गेंदबाज़ टीम में आये लेकिन निरन्तरता में कमी के चलते ये स्पिनर ज्यादा दिन बल्लेबाज़ के सामने संकट नहीं खड़ा कर सके। श्रीलंका को छोटे फॉर्मेट में आज भी एक अदद बढ़िया स्पिनर की दरकार है। कुमार संगकारा श्रीलंका ने विश्व क्रिकेट को कई बेहतरीन बल्लेबाज़ दिए हैं, लेकिन उसमें सबसे ऊपर अगर किसी का नाम आता है, तो वह कुमार संगकारा का नाम है। कुमार संगकारा की भरपाई करना श्रीलंका के लिए सबसे कठिन साबित हो रहा है। 15 साल के करियर में कुमार संगकारा ने 28 हजार से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय रन बनाये हैं। इसके अलावा उनके नाम 63 अंतर्राष्ट्रीय शतक भी दर्ज हैं। इस दिग्गज ने कई रिकार्ड्स तोड़े भी हैं। यहां तक कि ऑनलाइन फैन पोल में संगकारा ने सचिन को पछाड़ते हुए महान वनडे एकादश में जगह भी बनाई है। संगकारा न सिर्फ एक बेहतरीन बल्लेबाज़ थे, बल्कि वह एक बेहतरीन विकेटकीपर भी रहे हैं। उनकी कप्तानी में श्रीलंका साल 2011 के विश्व कप फाइनल में पहुंची थी। साल 2015 में सांगा ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया, जिसके बाद श्रीलंका की टीम बेहद कमजोर हो गयी। मौजूदा समय में टीम स्कोर बोर्ड पर बड़ा स्कोर टांगने में कई बार असफल रही है। ऐसे में उपुल थरंगा और एंजेलो मैथ्यूज की ज़िम्मेदारी और बढ़ गयी है। ये चिंता का विषय है कि सन 1996 की विश्वविजेता टीम 2019 में होने वाले विश्वकप के लिए डायरेक्ट क्वालीफाई करने में सक्षम नहीं दिख रही है। ऐसे में चंडीमल, थरंगा, मैथ्यूज, कुसल परेरा और तिशारा परेरा को आगे आना होगा और बेहतरीन प्रदर्शन करके अन्य खिलाड़ियों के लिए उदाहरण पेश करना होगा। जिससे श्रीलंकाई क्रिकेट पहले की तरह ही मजबूत रहे। लेखक-कोवाली तेजा, अनुवादक- जितेंद्र तिवारी