भारत ने घरेलू सत्र के दौरान चारों टेस्ट सीरीज जीती। टीम ने 13 में से 10 मैच जीते जबकि एक में उसे शिकस्त झेलना पड़ी। चेतेश्वर पुजारा और विराट कोहली ने जहां बल्ले से बेहतरीन प्रदर्शन किया वहीं रविंद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन ने गेंद से अपनी चमक बिखेरी। कुछ ऐसे प्रदर्शन भी रहे, जिन्होंने घरेलू सत्र में शानदार प्रदर्शन करके अपनी ख्याति बनाई। ऋद्धिमान साहा, रोहित शर्मा और उमेश यादव इस सूची में शामिल हैं। मगर कुछ ऐसे खिलाड़ी भी रहे, जिन्होंने निराशाजनक प्रदर्शन किया और उनके प्रदर्शन पर सवाल खड़े होना लाजिमी है। चाहे फिटनेस समस्या हो या फिर अपने फॉर्म या रन बनाने में अनिरंतरता, हम आपको यहां पांच खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने भारत के घरेलू सत्र में उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं किया।
मुरली विजय
मुरली विजय से अधिक केवल दो ही बल्लेबाजों ने रन और शतक बनाए। मगर तमिलनाडु के बल्लेबाज का नाम फिर भी इस सूची में शामिल है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में उनके स्तर के प्रदर्शन में गिरावट देखने को मिली। 2013 ने चोट से वापसी के बाद टेस्ट क्रिकेट में तीन वर्षों में विजय की औसत 40 से अधिक की रही है। मगर घरेलू सत्र में उनका औसत 35 के करीब रहा। भले ही विजय ने तीन शतक और तीन अर्धशतक जमाए हो और भारतीय फैंस को खुश करने के लिए यादगार पल दिए हो। मगर वह पूरे सत्र में निरंतर प्रदर्शन करने में नाकाम रहे और इसी वजह से उनकी औसत 40 से कम हो गई। घरेलू सत्र में विजय सात बार सिंगल डिजिट स्कोर में आउट हुए और वह पिछली 21 पारियों में से 13 बार 20 रन का आंकड़ा पार करने में नाकाम रहे। शतक या अर्धशतक बनाकर विशेष पल बनाने वाले विजय का अधिक पारियों में 20 रन का आंकड़ा पार न कर पाना उनकी अनिरंतरता को दर्शाता है। मोहम्मद शमी
6 टेस्ट में 18 विकेट कभी ख़राब वापसी नहीं कहला सकती। मगर मोहम्मद शमी के साथ की परेशानी मैदान पर उनका प्रदर्शन नहीं बल्कि घरेलू सत्र से अधिकांश नदारद रहना है। उन्होंने फिटनेस की समस्या के चलते आधे से ज्यादा मैच नहीं खेले जबकि उनका प्रदर्शन काफी दमदार रहा। 2015 विश्व कप से शमी भारतीय टीम का प्रमुख हिस्सा रहे हैं, लेकिन उनकी फिटनेस चिंता का विषय रही है और यही वजह है कि वो इस सूची में शामिल हैं। उनकी चोट का मतलब भारतीय टीम स्थायी गेंदबाजी आक्रमण के साथ मैदान पर पूरे सत्र में नहीं उतर सकी। हालांकि, शमी की कमी भारतीय टीम को अधिक नहीं खली क्योंकि उसने मैच जीते। मगर विराट कोहली चाहते थे कि शमी अधिक मैच खेले। इसके अलावा शमी ने जितने मैच खेले, उसमें कभी तीन से अधिक विकेट नहीं लिए जो कि अच्छे संकेत नहीं है। अगर पिच तेज गेंदबाजों के लिए भी मददगार हो और शमी का प्रदर्शन बेहतरीन नहीं रहे तो फिर इस सूची में उनका शामिल होना जायज है। इशांत शर्मा
भारतीय गेंदबाजों ने घरेलू सत्र में जो गेंदबाजी की है, उनमें से सिर्फ रविंद्र जडेजा का इकॉनमी रेट इशांत शर्मा से बेहतर है। किसी एक खिलाड़ी के लिए, जिसने टेस्ट करियर में अधिक रन खर्च किए हो, उसके लिए यह नंबर शानदार है। मगर इसके बावजूद वह इस सूची में शामिल है क्योंकि वह अपने प्रभावी आंकड़ों में विकेटों को नहीं जोड़ सके। इशांत को घरेलू सत्र में भाग्य का अधिक साथ नहीं मिला क्योंकि उनकी गेंदों पर कैच टपकाए गए। मगर कई मौकों पर वह अपनी मदद भी नहीं कर सके। इशांत को नो बॉल फेंकना कई बार भारी पड़ा क्योंकि कई मौकों पर वो विकेट लेने में सफल हुए थे। इसी वजह से सर्वाधिक इकोनोमिकल तेज गेंदबाज होने के बावजूद वह 5 मैचों में सिर्फ 9 विकेट ले सके। घरेलू सत्र में भारतीय गेंदबाजों में से सबसे कम विकेट इशांत को ही मिले। भले ही उनका इकॉनमी रेट शानदार रहा हो और वह एक छोर से दबाव बनाने में कामयाब रहे हो, लेकिन नो बॉल और कम विकेट लेने की वजह से उनका नाम इस सूची में शामिल है। अजिंक्य रहाणे
अब थोड़ा संदेह होने लगा है कि अजिंक्य रहाणे भारत के सबसे निरंतर टेस्ट बल्लेबाज हैं। विदेशी धरती पर 50 से अधिक की औसत साबित करती है कि टेस्ट में वो कितने प्रभावी हैं। मगर इस सूची में वो इस वजह से शामिल है क्योंकि घरेलू सत्र में उनका प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा जहां वो रन बनाने के लिए संघर्षरत रहे। उन्होंने 11 मैचों में सिर्फ एक शतकीय पारी खेली।
वेस्टइंडीज में 121 की औसत से रन बनाने वाले रहाणे से भारतीय मध्यक्रम को काफी उम्मीद थी। मगर न्यूजीलैंड के खिलाफ 188 रन की पारी को छोड़ दिया जाए तो वह शेष पूरे सत्र में रनों के लिए संघर्ष करते दिखे। उन्होंने 11 मुकाबलों में केवल तीन अर्धशतकीय पारियां खेली।
बहरहाल, सत्र की समाप्ति उन्होंने 40 से कम की औसत के साथ की, जो कि उनके स्तर का प्रदर्शन नहीं है। रहाणे के ख़राब प्रदर्शन ने कई सवाल भी खड़े किए कि उन्हें भारतीय टीम में नियमित सदस्य बनाए रखना चाहिए या नहीं। मगर अनिल कुंबले और कोहली दोनों ने रहाणे को टीम से हटाने के फैसले का विरोधी किया। दोनों की राय सही निकली, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अंतिम टेस्ट में रहाणे ने कप्तानी का भार संभाला और टीम को सीरीज में 2-1 की जीत दिलाई।
करुण नायर
भारत के लिए अपना दूसरा टेस्ट खेलते हुए करुण नायर टेस्ट में तिहरा शतक ज़माने वाले वीरेंदर सहवाग के बाद दूसरे भारतीय बल्लेबाज बने। मगर एक आकर्षक पारी के अलावा नायर का घरेलू सत्र शानदार नहीं रहा।
टेस्ट करियर में उनका औसत 60 के करीब है, जिसकी शुरुआत इंग्लैंड सीरीज के दौरान हुई। एक तिहरे शतक को अगर हटा दें तो नायर का प्रदर्शन बेहतरीन नहीं कहा जा सकता। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी औसत 13 के करीब रही और चेन्नई टेस्ट के अलावा उन्होंने 5 मैचों में केवल 71 रन बनाए।
शानदार टेस्ट करियर की शुरुआत के बाद अजिंक्य रहाणे का फिट हो जाना नायर के लिए चिंता का सबब बना और तिहरा शतक बनाने के बाद अगले ही मैच में उन्हें बाहर बैठना पड़ा।
नायर को उम्मीद होगी कि वह मौका मिलने पर एक और तिहरा शतक जमाए और साबित करे कि तुक्के में उन्होंने यह कारनामा नहीं किया था बल्कि यह उनकी असली क्षमता है।