इन 5 खिलाड़ियों को टेस्ट में डेब्यू करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा

भारत और श्रीलंका के बीच हुए दूसरे टेस्ट मैच में श्रीलंका के मलिंडा पुष्पकुमार ने टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया। इससे पहले पुष्पकुमार ने 99 प्रथम श्रेणी मुकाबले खेले हैं। यद्यपि वह मैच की पहली पारी में बढ़िया प्रदर्शन करने से चूक गये थे। लेकिन फिर भी उनके लिए टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करना यादगार रहा। पुष्पकुमार की क्रिकेट यात्रा में धैर्य की अहम भूमिका रही है, आइये डालते हैं ऐसे 5 खिलाड़ियों पर एक नजर जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में बहुत ही देर से डेब्यू किया: एंड्रू सायमंड्स ऑस्ट्रेलियाई वनडे टीम ने साल 2000 से लेकर 2010 तक क्रिकेट पर एकछत्र राज किया है। जिसमें एंड्रू सायमंड्स की भूमिका भी अहम रही है। मध्यक्रम में सायमंड्स ने कई बार ऑस्ट्रेलिया के लिए मैच जिताऊ पारियां खेली हैं। लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें टेस्ट टीम में बहुत देर बाद मौका मिला। इसकी वजह भी टीम का मजबूत होना था। हालांकि प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सायमंड्स ने लगातार रन बनाकर दस्तक देते रहे। लम्बे इंतजार के बाद साल 2004 में श्रीलंका के दौरे पर जाने वाली टीम में चुना गया। तबतक वह वनडे टीम के अहम सदस्य बन चुके हैं। टेस्ट क्रिकेट में पहली गेंद खेलने से पहले सायमंड्स ने 165 प्रथम श्रेणी मैच खेल चुके थे। हालांकि टेस्ट में सायमंड्स की शुरुआत अच्छी नहीं रही और वह पहले मैच में ही जीरो पर आउट हो गये इसके अलावा उन्हें पहला अर्धशतक बनाने के लिए 10 पारियों तक इंतजार करना पड़ा। 26 टेस्ट मैचों में उन्होंने 40.61 के औसत से रन बनाये थे। सुब्रमण्यम बद्रीनाथ बद्रीनाथ ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 57 के औसत से 22 शतक और 6 हजार से ज्यादा रन बनाये उसके बाद उन्हें भारतीय टीम में खेलने का मौका मिला। उन्हें खेलने का मौका भी तब मिला जब साल 2010 पहली पसंद का खिलाड़ी चोटिल हो गया था। अपने डेब्यू मैच में बद्रीनाथ ने अर्धशतक बनाकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। लेकिन बद्रीनाथ को फिर दोबारा मौका नहीं मिला और वह घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बनाते रहे। ऐसा माना जाता है कि बद्रीनाथ का करियर भारतीय क्रिकेट के फैब फोर सचिन, द्रविड़, लक्ष्मण और गांगुली की वजह से इंतजार के गर्त में चला गया। बद्रीनाथ अभी घरेलू क्रिकेट खेल रहे हैं, उनके नाम 10 हजार से ज्यादा रन और 32 शतक दर्ज है। भले ही उन्हें टेस्ट क्रिकेट में उतने मौके न मिले हों लेकिन बीते दो दशक से बद्रीनाथ घरेलू स्तर पर लगातार बेहतरीन खेल दिखा रहे हैं। ब्रेड हॉज जब भी दुनिया के दुर्भाग्यशाली क्रिकेटरों की लिस्ट बनेगी, ब्रेड हॉज का नाम उसमें शीर्ष पर होगा। दायें हाथ के इस बल्लेबाज़ ऑस्ट्रेलिया के स्वर्णिम दौर की भेंट चढ़ गया, जहाँ बेहतरीन बल्लेबाजों और गेंदबाजों की टीम में हॉज को लम्बे समय तक इंतजार करना पड़ा। 166 प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने के बाद साल 2005 में ब्रेड ने टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था। जहां उन्होंने लगातार रन बनाये। अपने पहले ही टेस्ट में उन्होंने अर्धशतक बनाया उसके बाद अपनी पांचवी पारी में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दोहरा शतक ठोंक दिया। लेकिन चयनकर्ता उनके इस प्रदर्शन से खुश नहीं हुए और उन्हें 2006 में टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया। जबकि उनका औसत 58.42 था। लेकिन हॉज घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बना रहे थे और उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 51 शतक लगाये। लेकिन उन्हें टेस्ट टीम में शामिल नहीं किया गया। इसलिए हॉज ने टी-20 क्रिकेट पर फोकस किया और वह इस फॉर्मेट में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ बन गये। माइकल हसी माइकल हसी विश्व क्रिकेट में मिस्टर क्रिकेट के नाम से मशहूर हुए। जिसकी वजह उनका क्रिकेट लेकर जो समर्पण भाव था, वह शानदार था। ऑस्ट्रेलिया के इस दिग्गज ने 51.52 के औसत से 137 टेस्ट पारियों में 11 हजार से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय रन बनाये हैं। हसी ने अपने शुरूआती दिनों में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में लम्बे समय तक लगातार रन बनाये। लेकिन राष्ट्रीय टीम में बेहतरीन खिलाड़ियों के होने से उन्हें टीम में समय पर जगह नहीं मिली। लेकिन हसी लगातार रन बनाते रहे और अंतत: उन्हें साल 2005 में टीम में शामिल किया गया। जहाँ उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया। हालाँकि 175 प्रथम श्रेणी मैच खेलने के बाद उन्हें टेस्ट में डेब्यू करने का मौका मिला था। अपने पहले 9 पारियों में हसी ने 3 शतक बनाकर टीम में जगह पुख्त कर लिया था। साल 2013 तक हसी ऑस्ट्रेलियाई टीम की सेवा करते रहे और वह मध्यक्रम में लगातार ऑस्ट्रेलिया के लिए रन बनाते रहे। बिली इबादुल्ला पेमेंट भुगतान विवाद को लेकर हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई बोर्ड और खिलाड़ियों के बीच काफी अनबन चला है। जिसमें देश की सेवा जरुरी है या पैसा ये सवाल सबके दिमाग में आया था। जो देश सेवा में पैसे की डिमांड करते हैं, उन्हें बिली इबादुल्ला से सीखना चाहिए। बिली ने लम्बे समय तक अपने क्रिकेट करियर में वार्विकशायर के लिए प्रथम श्रेणी मैच खेलें हैं। सन 1951 में 16 साल की उम्र में इस पाकिस्तानी क्रिकेटर ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया था। जहां उन्होंने रनों का अम्बार लगा दिया है। 1964 में जब वह अपने गृह देश पाकिस्तान वापस आये तो उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पाकिस्तान की तरफ से खेलने का प्रस्ताव आया। 217 प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच खेलने के बाद इबादुल्ला ने पाकिस्तान के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू करने का मौका मिला। कराची टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले ही दिन बिली ने 166 रन बनाये। यही नहीं अब्दुल कादिर के साथ उन्होंने 249 रन की साझेदारी भी निभाई। हालांकि इबादुल्ला ने अगले टेस्ट में खेलने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि पाकिस्तानी बोर्ड ने उन्हें उनकी मांग के अनुसार भुगतान नहीं किया। लेकिन प्रथम श्रेणी क्रिकेट में वह लगातार रन बना रहे थे, इसलिए उन्हें न्यूज़ीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ खेलने के लिए दोबारा वापस बुलाया गया। लेकिन इबादुल्ला इस बार पूरी तरह असफल साबित हुए और उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। उसके बाद उन्होंने न्यूज़ीलैंड के कई खिलाड़ियों को मेंटर करना शुरू किया। लेखक-चैतन्य, अनुवादक-जितेन्द्र तिवारी

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