टेस्ट सीरीज में श्रीलंका का उसी के घर पर सूपड़ा साफ करने से एक दिन पहले ही टी-20 और वनडे सीरीज के लिए भारतीय टीम का ऐलान कर दिया गया। हालांकि भारतीय टीम के ऐलान के बाद कुछ चौंकाने वाले परिवर्तन देखने को मिले जबकि टीम में बड़े परिवर्तन करने के लिए नहीं जाना जाता है, लेकिन भारत ने ऐसा ही किया है क्योंकि उन्होंने गेंदबाजी विभाग से कुछ बड़े नामों को आराम दिया है। इस सूची में उमेश यादव, मोहम्मद शमी, रविचंद्रन अश्विन और रविन्द्र जडेजा आदि शामिल हैं।
इसका मतलब ये है कि वनडे और टी-20 के लिए भारतीय गेंदबाजी विभाग की नयी लाइन अप देखने को मिलेगी। टीम में अक्षर पटेल, यजुवेंन्द्र चहल और शर्दुल ठाकुर से सजी युवा गेंदबाजों को जगह दी गई है। वहीं दिनेश कार्तिक की जगह मनीष पांडे को शामिल किया गया है। मनीष पांडे चैंपियंस ट्रॉफी की टीम का हिस्सा थे लेकिन आईपीएल के दौरान लगी चोट के कारण उन्हें बाहर होना पड़ा। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में ए टीमों के टूर्नामेंट में वापसी के दौरान भारत ए की अगुवाई करते हुए 307 रन बनाए और पांच मैचों में सिर्फ एक बार आउट हुए और इसका फायदा श्रीलंका के खिलाफ आगामी सीरीज में मिला है।
भारत को 5 वनडे और एकमात्र टी-20 खेलना है, जिसका आगाज 20 अगस्त से होगा। स्पिन विभाग की जिम्मेदारी युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव और अक्षर पटेल को सौंपी गई है। यॉर्कर विशेषज्ञ जसप्रीत बुमराह, मध्य क्रम के बल्लेबाज केदार जाधव और पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की जगह बरकरार है लेकिन कुछ ऐसे भी खिलाड़ी रहे, जो अपनी जगह बनाने और बचाने में नाकामयाब रहे। आईये बताते हैं उन 5 खिलाड़ियों के बारें में जिन्हें टी-20 और वनडे टीम में नहीं मिली जगह-
श्रेयस अय्यर
जब आईपीएल के जरिये कई खिलाड़ियों ने भारतीय टीम में अपनी जगह बनायी तब श्रेयस मुंबई की तरफ से घरेलू सीजन में शानदार प्रदर्शन करके राष्ट्रीय चयनकर्ताओं के दरवाजे पर दस्तक दे रहे थे। हालांकि दक्षिण अफ्रीका में ट्राई सीरीज के दौरान तीसरे सबसे ज्यादा रन बनाने के बावजूद एक बार फिर से वह टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की करने में नाकामयाब रहे।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में घायल विराट कोहली के कवर के लिए भारतीय टेस्ट टीम में पहले भी नाम आ चुका है, अय्यर पहले से ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का स्वाद ले चुके हैं, हालांकि बाहरी तौर पर वे टीम के इंडिया के साथ थे। तत्कालीन तयशुदा टेस्ट टीम में तोड़ते हुए अपनी जगह बनाना मुश्किल होता है लेकिन उन्होंने सोचा होगा कि उन्हें दक्षिण अफ्रीका में हाल में संपन्न त्रिकोणीय सीरीज में शानदार प्रदर्शन के बाद वन-डे टीम में जगह बनाने का मौका जरुर मिलेगा लेकिन ऐसा हो नहीं सका।
दक्षिण अफ्रीका ए के खिलाफ फाइनल में नाबाद शतक लगाने वाला इस 22 वर्षीय खिलाड़ी ने समय समय पर दिखाया है कि वह बड़े मौकों पर हार नहीं मानता है। आगे श्रेयस को उम्मीद होगी कि वह कब और कैसे वह टीम इंडिया के लिए खेलेंगे।
जयदेव उनादकट
आईपीएल 2017 के फाइनल में राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स का एक अभिन्न अंग रहे जयदेव उनादकट को राष्ट्रीय टीम में चयन ना होने पर निराशा जरूर होगी। 25 वर्षीय बाएं हाथ के गेंदबाज टीम में जगह ना बनाने के कारण बुरा महसूस कर रहे होंगे खासकर तब, जब टीम इंडिया के दो सीमर उमेश यादव और मोहम्मद शमी को आराम दिया गया है।
12 मैचों में 24 विकेट की शानदार औसत के साथ वह तेज गेंदबाज जो पावरप्ले और डेथ ओवर में बेहतरीन बॉलिंग करता है। फिर भी वह साउथ अफ्रीका ए के खिलाफ सीरीज में अपनी जगह बनाने में नाकामयाब रहे। सच्चाई यह है कि वह एक बाएं हाथ के सीमर है और अपनी गेंदबाजी में विविधिताएं लाने का माद्दा रखते हैं जो कि तत्कालीन भारतीय टीम में नजर नहीं आती है।
खासकर यह ध्यान रखते हुए कि जयदेव पहले भी भारत के लिए सभी फॉर्मेट में खेल चुके हैं। ऐसे में चयनकर्ता उनपर भरोसा कर सकते थे।
क्रुनाल पांड्या
अपने पहले डेब्यू के बाद से हार्दिक पांड्या ने अपने आप को क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में बहुत ही जल्द स्थापित कर लिया और खुद को भारतीय टीम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना लिया। लेकिन उनके भाई क्रुनाल पांड्या उतने खुशकिस्मत साबित नहीं हुए। क्रुनाल बरोडा और मुंबई इंडियन्स की तरफ से खेलते हैं।
आईपीएल में शानदार परफॉर्मेंस देने के बावजूद जहां उन्होंने बैट और बॉल दोनों से ही महत्वपूर्ण योगदान दिया पर क्रुनाल का चयन भारतीय टीम के लिये नहीं हुआ। जब रविन्द्र जडेजा और रविचन्द्रन अश्विन दोनों को ही आगामी सीरीज के लिए आराम दिया गया ऐसे में क्रुनाल के लिये ये एक सुनहरा अवसर था।
बॉल पर उनकी पकड़ और बल्ले से विस्फोटक क्षमता चयनकर्ताओं का ध्यान इस 26 वर्षीय खिलाड़ी की तरफ खीचने के लिए काफी हो सकती थी लेकिन चयनकर्ताओं अक्षर पटेल और युजवेन्द्र चहल के अनुभव के साथ गये जो पहले से ही भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
ऋषभ पंत
वे केवल 19 साल के हो सकते हैं लेकिन ऋषभ पंत पहले ही टी -20 की शुरुआत कर चुके हैं और घरेलू सर्किट में खुद के लिए एक नाम बना चुके हैं। आईपीएल और अपने घरेलू करियर के सभी प्रारूपों में शानदार शुरूआत के बाद पंत ने इस वर्ष के शुरूआती दौर में इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 मैच से अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत की और हालांकि वह चैंपियंस ट्रॉफी के लिए टीम के साथ नहीं थे पर उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ टी-20 सीरीज में भाग लिया ।
हालांकि, मनीष पांडे और केएल राहुल दोनों की फिटनेस में वापसी का मतलब है कि चयनकर्ताओं ने टीम से प्रतिभाशाली खिलाड़ी को बाहर रखने का फैसला किया है। भारत की टीम श्रीलंका में एकमात्र टी -20 खेल रही है, ऐसे में वह उस टी-20 स्पॉट से आउट होने पर बेहद निराश हो गए होंगे।
हालांकि, दक्षिण अफ्रीका में त्रिकोणीय श्रृंखला में टीम ए के साथ खराब प्रदर्शन भी एक कारण हो सकता है लेकिन उनके पास अभी बहुत उम्र है। यह केवल एक समय की बात है वह जल्द ही टीम इंडिया में दमदार वापसी करेंगे।
हालांकि वहीं यह बात किसी अन्य खिलाड़ी के बारे में नहीं कही जा सकती है।
युवराज सिंह
जब भारतीय क्रिकेट की बात आती है तो युवराज सिंह को कमबैक किंग के नाम से जाना जाता है। चाहे बात हो व्यक्तिगत मुश्किलों से निकलने की या फिर टीम से बाहर होने की युवराज ने बार बार टीम में वापसी की लेकिन 35 साल की उम्र में श्रीलंका के खिलाफ वन-डे टीम में युवराज का शामिल ना होना एक मुश्किल चुनौती साबित हो सकती है।
2013 के बाद से वनडे से बाहर रहे इस खिलाड़ी को 35 साल की उम्र के इस साल की शुरुआत में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में शामिल किया गया था। उन्होंने तत्काल चयनकर्ताओं के विश्वास को सही साबित कर दिया और वापसी के साथ ही अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ एकदिवसीय स्कोर दर्ज किया। जिसके बाद उन्होंने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2017 में भाग लिया और वह वेस्टइंडीज जाने वाली टीम का भी हिस्सा रहे।
उनको टीम से बाहर रखने में कई तर्क दिये जा सकते हैं लेकिन सच तो यह है कि वापसी के बाद से युवराज ने 40 से ज्यादा की औसत से रन बनाए हैं जिसमें उनका स्ट्राइक रेट 100 के पास रहा है। नंबर चार पर बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ी के लिए यह अंक ना सिर्फ शानदार हैं बल्कि अपने करियर औसत और स्ट्राइक रेट से भी ऊपर है।
यदि युवराज को सिर्फ चैंपियंस ट्रॉफी के लिए लाया गया था, तो यह देखना हैरानी भरा था कि वेस्ट इंडीज के खिलाफ सीरीज के लिए उन्हें क्यों चुना गया। हालांकि वह उस सीरीज में अपने नाम के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर सके लेकिन यह सिर्फ कुछ मैचों में था। जिसने देश के लिए 300 से अधिक एकदिवसीय मैचों की खेले हैं, वह स्पष्ट रूप से यह पैमाना पर्याप्त नहीं है।
लेखक- श्रीहरी
अनुवादक- सौम्या तिवारी