रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से मशहूर पाकिस्तान का यह तेज गेंदबाज क्रिकेट इतिहास का सबसे तेज गेंदबाज माना जाता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का सबसे तेज गेंद फेंकने का रिकॉर्ड उन्हीं के नाम दर्ज है। इसके बावजूद अख्तर और विवाद हमेशा साथ चलते रहे हैं। अपने 15 साल के करियर में वो कई विवाद, चोट और राजनीति का शिकार हुए। युवा अख्तर ने अपनी गति से चयनकर्ताओं को ध्यान अपनी ओर खींचा और जल्द ही उनका चयन पाकिस्तान की टीम में हो गया। जहां उन्हें वसीम अकरम और वक़ार यूनुस जैसे गेंदबाजों से काफी कुछ सीखने को मिला। 2003 विश्वकप में खराब प्रदर्शन और उसके बाद कई विवादों और चोटों ने अख्तर के करियर को ग्रहण लग दिया था। इन सब के बावजूद यह गेंदबाज लगातार मेहनत करता रहा। कई कानूनी लड़ाईयां और चोट से उबरते हुए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की और काफी समय तक टीम की गेंदबाजी की अगुआई करते रहे। फिर भी बीच-बीच मे वो चोट की वजह से कई महत्वपूर्ण टूर्नामेंट का हिस्सा नहीं बन पाए और 2011 विश्वकप के बाद उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया।