5 खिलाड़ी जो बिना खेले ही चैंपियंस ट्रॉफी विजेता टीम के हिस्सा रहे

चैंपियंस ट्रॉफी 2017 ग्रुप स्टेज के आखिरी राउंड में है, जिसमें अब कुछ ही मुकाबले खेले जाने हैं। हालांकि टूर्नामेंट धीरे-धीरे अपने अंत की ओर बढ़ रहा है, लेकिन जब खेल मैदान पर रहा होता है तो उसका रोमांच अपने चरम पर होता है। इंग्लैंड, भारत और बांग्लादेश ने सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली है। टूर्नामेंट का चौथा सेमीफाइनलिस्ट श्रीलंका और पाकिस्तान के मैच के परिणाम पर डिपेंड करेगा। श्रीलंका से भारत की करारी हार की वजह से ग्रुप बी के सभी मैच जो बचे हुए थे वह क्वार्टरफाइनल बन गये थे। चैंपियंस ट्रॉफी में वर्षानुवर्ष कई बेहतरीन क्रिकेटर खेलते रहे हैं, जिनमें से कई दिग्गजों ने ट्रॉफी पर कब्जा भी जमाया है। हालाँकि कुछ ऐसे खिलाड़ी भी रहे हैं, जिन्होंने बिना खेले ही ट्रॉफी जीती है। आज हम आपको ऐसे ही 5 खिलाड़ियों के बारे में बता रहे हैं: इरफ़ान पठान, 2013 इरफ़ान पठान भारत के लिए तीन चैंपियंस ट्रॉफी खेल चुके हैं, साल 2004, 2006 और 2013 में वह टीम के सदस्य रहे थे। 2004 में पठान ने दो मैचों में 5 विकेट और 2006 में उन्होंने 4 विकेट और 29 रन भी बनाये थे। पठान साल 2013 में टीम में चुने गये थे। लेकिन श्रीलंका के खिलाफ वार्मअप मैच में पांच ओवर की गेंदबाज़ी में 45 रन देने की वजह से पठान पूरी चैंपियंस ट्रॉफी में बेंच पर बैठे रहे थे। यही नहीं उन्हें दूसरे वार्मअप मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम में शामिल भी नहीं किया गया था। वहीं इशांत शर्मा, भुवनेश्वर कुमार और उमेश यादव ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया था। जिसकी वजह से भारत इन्हीं तेज गेंदबाजों के साथ दक्षिण खिलाफ उतरा था। जिसके बाद भारत पूरे टूर्नामेंट इसी एकादश के साथ खेला था। भारत ने फाइनल में इंग्लैंड को हराकर चैंपियंस ट्रॉफी पर कब्जा जमाया था। डेविड हसी, 2009 डेविड हसी ने साल 2009 में दक्षिण अफ्रीका में हुए चैंपियंस ट्रॉफी खेला था। हसी ने आईपीएल में जोरदार प्रदर्शन के दम पर ऑस्ट्रेलियाई टीम में जगह बनाई थी। मध्यक्रम में कैमरून वाइट, कैलम फर्गुसन, माइकल हसी और जेम्स होप्स मौजूद थे। इस पूरे टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया ने चार खिलाड़ियों को मध्यक्रम में मौका दिया, जिसकी वजह से डेविड हसी को पूरे टूर्नामेंट में बाहर बैठना पड़ा था। कैलम फर्गुसन और जेम्स होप्स ने को छोड़कर बाकी मध्यक्रम के बल्लेबाजों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। हसी को एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला, लेकिन ऑस्ट्रेलिया चैंपियंस ट्रॉफी का विजेता बना। साइमन कैटिच, 2006 साइमन कैटिच ऑस्ट्रेलियाई टीम में साल 2000 में शामिल किये गये थे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के दिग्गजों रिकी पोंटिंग, एडम गिलक्रिस्ट, मैथ्यू हेडन और डेमियन मार्टिन की वजह से कैटिच 100 से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय मैच नहीं खेल सके। साल 2005-06 के सीजन में बल्ले से कैटिच का प्रदर्शन बेहतरीन रहा था, जिसकी वजह से उन्हें चैंपियंस ट्रॉफी के लिए ऑस्ट्रेलियाई टीम में चुना गया। लेकिन इसके एक महीने पहले मलेसिया में DLF कप में उनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। जिसकी वजह से कैटिच की जगह ऑस्ट्रेलियाई टीम मैनेजमेंट ने शेन वाटसन को सलामी बल्लेबाज़ी की जिम्मेदारी सौंप दी। जिन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया और फाइनल मैच में मैन ऑफ़ द मैच भी बने। मखाया नतिनी, 1998 मखाया नतिनी अपनी पीढ़ी के बेहतरीन गेंदबाजों में से एक रहे हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में जब पदार्पण किया था, तभी चैंपियंस ट्राफी की शुरुआत हुई थी। तब इस टूर्नामेंट का नाम आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी था। चैंपियंस ट्राफी से नौ महीने पहले मखाया ने अपना डेब्यू किया था। जहाँ न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 31 रन देकर 2 विकेट लिए थे। जिसके बाद दक्षिण अफ़्रीकी टीम में 21 वर्ष के नतिनी को चैंपियंस ट्रॉफी के लिए टीम में शामिल किया गया। हालाँकि नतिनी को पूरे टूर्नामेंट में एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला, क्योंकि जैक्स कालिस और स्टीव एलवर्थी ने दक्षिण अफ़्रीकी टीम की तरफ से तेज गेंदबाज़ी का जिम्मा उठाया और अच्छा प्रदर्शन भी किया। फाइनल में दक्षिण अफ्रीका ने वेस्टइंडीज को हराकर ख़िताब पर कब्जा किया। तिलकरत्ने दिलशान, 2002 श्रीलंका और विश्व क्रिकेट के इतिहास में दिलशान का नाम महान खिलाड़ियों में दर्ज है। लेकिन 1999 में तिलकरत्ने दिलशान ने डेब्यू किया था। जिसके बाद 2000 में उनका करियर गति पकड़ रहा था। जिसके चलते उन्हें 2002 में चैंपियंस ट्रॉफी की टीम में शामिल किया गया था। लेकिन पूरे टूर्नामेंट में उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला था। साल 2002 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में श्रीलंकाई टीम में अरविन्द डीसिल्वा, महेला जयवर्धने और रसेल अर्नाल्ड जैसे खिलाड़ी थे। उन दिनों दिलशान मध्यक्रम में खेलते थे, इसलिए इन नामचीन खिलाड़ियों के टीम में होने से उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला था। जबकि भारत और श्रीलंका चैंपियंस ट्रॉफी के संयुक्त विजेता घोषित किये गये थे।