5 खिलाड़ियों का टीम में बना रहना हमेशा एक राज रहेगा

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क्रिकेट के खेल ने कई दिग्गजों को देखा है लेकिन ऐसे भी कई खिलाड़ी रहे हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर की कसौटी पर असफल साबित हुए हैं।

प्रतिभा की कमी के कारण नहीं बल्कि बड़े स्तर पर अपने कौशल को दिखा नहीं पाने की अक्षमता इसका कारण रही है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि अगर कोई खिलाड़ी अपने कुछ प्रदर्शनों में नाकामयाब हो जाता है तो चयनकर्ता उसकी वापसी कराना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें उस खिलाड़ी क्षमता पर विश्वास होता है।

हालांकि, कुछ ऐसे उदाहरण भी शामिल हैं जहां बेहद थोड़े रन बनाने के बावजूद वह खिलाड़ी टीम में बने रहे और खेल का आनंद लिया। यहां ऐसे पांच खिलाड़ियों की सूची दी गई है जिनका टीम में बने रहना एक रहस्य है-

इमरान फरहत

प्रतिभा का अभाव पाकिस्तान के लिए कभी भी मुद्दा नहीं रहा है और इसलिए यह बड़े आश्चर्य की बात है कि इमरान फरहत ने औसत दर्जे का प्रदर्शन करने के बावजूद एक दशक से भी ज्यादा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का आनंद लिया।

उन्होंने उस आवश्यक तकनीक पर कभी पकड़ नहीं बनायी जो अच्छे गेंदबाज की गति और बॉलिंग को संभालने के लिए चाहिए होती थी।

इमरान ने 40 टेस्ट मैच और 58 वनडे मैच बेहद साधारण 32 और 30.69 की औसत के साथ पाकिस्तान के लिए खेलें।

पाकिस्तानी चयनकर्ताओं को अच्छी तरह से अहसास होना चाहिए था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतने सारे मैच खेलने वाला यह खिलाड़ी खेल के इतने उच्चतम स्तर की कसौटी पर खरा नहीं उतर रहा है।

चमारा कपूगेदरा

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इस समय श्रीलंका क्रिकेट टीम को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिसमें कप्तानी भी एक है। सच यह है कि चमारा कपूगेदरा अब तक श्रीलंका की एकदिवसीय टीम का नेतृत्व कर रहे हैं।

महेला जयवर्धने और कुमार संगकारा के संन्यास के बाद श्रीलंकाई टीम की बैटिंग लाइनअप में खालीपन आ चुका है लेकिन उनके पास घरेलू स्तर पर ऐसा कोई होना चाहिए जो कपूगेदरा से बेहतर हो और उस जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से निभा सके।

एक विशेषज्ञ बल्लेबाज जिसका औसत 20 के आसपास है, यह अविश्वसनीय है कि इतने कम औसत के साथ कपुगेदरा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रीलंका के लिए 100 से अधिक एकदिवसीय मैच खेलने में सफल रहे हैं। यह तथ्य जानते हुए कि वह लगभग 150 से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुके है लेकिन अभी भी उनको किसी फॉर्मेट में शतक लगाना बाकी है।

हालांकि टेस्ट में उनका औसत कुछ बेहतर नजर आता है। कपुगेदरा ने 8 टेस्ट मैचों में 34 की औसत से रन बनाये हैं। लेकिन जब 2019 विश्व कप को सिर्फ 2 साल बाकी हैं ऐसे में निश्चित तौर पर श्रीलंकाई चयनकर्ताओं के लिए समय आ गया है कि वह आगे का ध्यान रखते हुए युवाओं को मौका दें।

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थिसारा परेरा

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इस सूची में एक और श्रीलंकाई खिलाड़ी का नाम शामिल है और यह नाम कुछ लोगों की भौहों को खड़ा कर सकता है। हां यह सही है कि थिसारा परेरा दुनिया के उन दो गेंदबाजों में से एक है, जिन्होंने वन-डे और टी 20 क्रिकेट दोनों में हैट्रिक ली है।

परेरा ने दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाज रॉबिन पीटरसन के एक ओवर में 34 रन बनाने का भी रिकॉर्ड बनाया था, जो वन-डे इतिहास का दूसरा सबसे मंहगा ओवर रहा था। समस्या यह है कि ऐसी परफॉर्मेंस बहुत ही कम आयी हैं और जो खिलाड़ी 200 मैचों के पास हो उससे यह प्रदर्शन स्वीकार योग्य नहीं है।

परेरा को बड़े हिटर के तौर पर एक ऑलराउंडर माना जाता है लेकिन परेरा ने कभी बैट और बॉल से इस ऐसी निरंतरता नहीं दिखायी है जो कि अच्छे प्लेयर के लिए बेहद आवश्यक होता है।

इसके बावजूद, श्रीलंका के चयनकर्ताओं ने टीम में अच्छा संतुलन प्राप्त करने लिए 28 वर्षीय खिलाड़ी की कोशिशों पर अपना विश्वास जारी रखा है।

बैटिंग रिकॉर्ड

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बॉलिंग रिकॉर्ड

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कामरान अकमल

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पाकिस्तान के पास सरफराज अहमद के रूप में उनकी टीम में एक बेहद शानदार विकेटकीपर मौजूद है जिसकी कप्तानी के अंतर्गत पाकिस्तान ने 2017 की चैंपियन ट्रॉफी जीतकर अपनी क्षमता का परिचय दिया है।

हालांकि, उनके पूर्ववर्ती कामरान अकमल ने स्टंप के पीछे अपना दायित्व निभाया था और बल्लेबाज के तौर पर शुरूआत भी अच्छी की लेकिन वह बल्लेबाजी के साथ उतने सफल नहीं हो सके।

वास्तव में उन्होंने छह महीने की अवधि में सात अन्तर्राष्ट्रीय शतक लगाए और बल्लेबाजी लाइन-अप में कहीं भी बल्लेबाज़ी करने वाला क्रिकेटर एक शानदार हिटर भी रहा है। जैसे जैसे उनके फॉर्म में गिरावट होने लगी तो अच्छे दिनों ने बहुत समय तक उनका का साथ नहीं दिया। सबसे बुरी बात तो यह थी वह स्टंप के पीछे आसान मौकों को भी छोड़ने लगा।

यहां और वहां से हटाये जाने के बावजूद, वह हमेशा बहुत ही कम सुधार के साथ राष्ट्रीय टीम में वापसी करने में कामयाब रहे।

सिडनी टेस्ट के दौरान उनका भयावह प्रदर्शन देखने को मिला जहां उन्होंने चार कैच छोड़े और एक आसान रन आउट भी नहीं कर पाये, यहां तक कि इस प्रदर्शन पर आईसीसी को संदेह हुआ कि अकमल मैच फिक्सिंग में शामिल थे।

अकमल ने पाकिस्तानी टीम की तरफ से 53 टेस्ट, 157 वनडे और 58 टी-20 मैच खेले है और बतौर बल्लेबाज के तौर पर चयन के लिए उनका संघर्ष अभी भी जारी। लेकिन नीचे दिये गये आंकड़े को देखकर लोगों को इस संघर्ष पर आश्चर्य जरूर होगा।

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मोहम्मद अशरफुल

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बेहद प्रतिभाशाली मोहम्मद अशरफुल की कहानी ऐसी है जो ऊंचाईयों से शुरू होती है और अपने निम्नतम स्तर पर खत्म होती है, मैच-फिक्सिंग विवाद जो अपने साथ अशरफुल के करियर का अंत लेकर आता है। अशरफुल के आंकड़ों पर नजर डालते हैं तो यह आश्चर्य होता है कि यह जल्द समाप्त नहीं हुआ था।

भले ही बांग्लादेश एक मजबूत टीम ना हो लेकिन अशरफुल जैसे खिलाड़ी को देखना जिसने 61 टेस्ट मैचों 24 की औसत से और 178 वन-डे में 22 की औसत से रन बनाये हो यह अच्छी तस्वीर नहीं बनाता है।

यह सही है कि बांग्लादेश को अशरफुल से काफी ज्यादा उम्मीदें थी जो बहुत कम उम्र में टूट गयीं। नैटवेस्ट त्रिकोणीय सीरीज़ में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी मैच जीतने वाली पारी और चटगांव में भारत के खिलाफ 158 रनों की शानदार पारी अब तक बांग्लादेशी क्रिकेटर द्वारा खेली गई बेहतरीन एंट्री पारी थी।

फिर भी, अशरफुल ने अपनी क्षमता के हिसाब से क्रिकेट नहीं खेली और निश्चित रूप से राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने उनके मामले को संज्ञान में लेना चाहिए था और उन्हें इस बात को महसूस कराया जाना चाहिए था कि उनमें खेल के उच्चतम स्तर पर आवश्यक मानसिक कठोरता नहीं थी।

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लेखक- प्रांजल मेच

अनुवादक- सौम्या तिवारी

Edited by Staff Editor