मोहम्मद अशरफुल
बेहद प्रतिभाशाली मोहम्मद अशरफुल की कहानी ऐसी है जो ऊंचाईयों से शुरू होती है और अपने निम्नतम स्तर पर खत्म होती है, मैच-फिक्सिंग विवाद जो अपने साथ अशरफुल के करियर का अंत लेकर आता है। अशरफुल के आंकड़ों पर नजर डालते हैं तो यह आश्चर्य होता है कि यह जल्द समाप्त नहीं हुआ था।
भले ही बांग्लादेश एक मजबूत टीम ना हो लेकिन अशरफुल जैसे खिलाड़ी को देखना जिसने 61 टेस्ट मैचों 24 की औसत से और 178 वन-डे में 22 की औसत से रन बनाये हो यह अच्छी तस्वीर नहीं बनाता है।
यह सही है कि बांग्लादेश को अशरफुल से काफी ज्यादा उम्मीदें थी जो बहुत कम उम्र में टूट गयीं। नैटवेस्ट त्रिकोणीय सीरीज़ में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी मैच जीतने वाली पारी और चटगांव में भारत के खिलाफ 158 रनों की शानदार पारी अब तक बांग्लादेशी क्रिकेटर द्वारा खेली गई बेहतरीन एंट्री पारी थी।
फिर भी, अशरफुल ने अपनी क्षमता के हिसाब से क्रिकेट नहीं खेली और निश्चित रूप से राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने उनके मामले को संज्ञान में लेना चाहिए था और उन्हें इस बात को महसूस कराया जाना चाहिए था कि उनमें खेल के उच्चतम स्तर पर आवश्यक मानसिक कठोरता नहीं थी।
लेखक- प्रांजल मेच
अनुवादक- सौम्या तिवारी