भारतीय टीम का हिस्सा बनने वाले प्रत्येक खिलाड़ी का करियर ग्राफ एक जैसा नहीं होता। भारतीय क्रिकेट इतिहास में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो प्रतिभाशाली होने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कुछ खास करने में नाकाम रहे। लेकिन इंडियन प्रीमियर लीग में अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर वह दोबारा लाइमलाइट में आ गए हैं। आइए नज़र डालते हैं ऐसे पांच भारतीय क्रिकेटरों पर जिनका अंतर्राष्ट्रीय करियर निराशाजनक रहा लेकिन आईपीएल इतिहास में उन्होंने अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों से लिख दिया है।
अमित मिश्रा
अमित मिश्रा ने 2003 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की लेकिन अनिल कुंबले और हरभजन सिंह जैसे महान स्पिनरों की उपस्थिति के कारण उन्हें सिर्फ 22 टेस्ट और 36 वनडे खेलने का मौका मिला है। हालांकि, इंडियन प्रीमियर लीग में अच्छे प्रदर्शन की वजह से वह लाइमलाइट में आए। मिश्रा ने 136 मैचों में 146 विकेट लेकर अपने आपको आईपीएल इतिहास के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ों में शामिल कर लिया है और वह लसिथ मलिंगा के बाद दूसरे सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ हैं। इसके अलावा आईपीएल इतिहास में मिश्रा 3 बार हैट्रिक बनाने वाले एकमात्र गेंदबाज़ हैं। 35 साल के मिश्रा ने इस सीज़न में दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए बेहतरीन गेंदबाजी की है और उनके बढ़िया प्रदर्शन को देखते हुए लगता कि वह आने वाले सत्रों में भी खेलना जारी रखेंगे।
पियूष चावला
एक और लेग स्पिनर, पियूष चावला ने पहली बार क्रिकेट प्रशंसकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया जब उन्होंने एक घरेलू मैच में सचिन तेंदुलकर को क्लीन बोल्ड किया था। उनके प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें अनिल कुंबले के उत्तराधिकारी के रूप में देखा गया था। उन्होंने 18 साल की उम्र में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज़ किया था और वह 25 वनडे और 2 टेस्ट में टीम इंडिया का हिस्सा रहे। हालाँकि चावला को अपने प्राथमिक हथियार, गुगली का ज़्यादा इस्तेमाल करने पर आलोचना का भी शिकार होना पड़ा लेकिन अपनी इसी क्षमता की वजह से उन्होंने प्रभावशाली प्रदर्शन किया। आईपीएल की बात करें तो चावला ने 142 मैचों में 137 विकेट लिए हैं और वह आईपीएल इतिहास में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों की सूची में तीसरे स्थान पर हैं।
रॉबिन उथप्पा
ऐसा समय था जब रॉबिन उथप्पा अपने शानदार प्रदर्शन की वजह से वीरेंदर सहवाग को सलामी क्रम से भी विस्थापित कर सकते थे। लेकिन, कुछ मैचों में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद उथप्पा का प्रदर्शन लगातार गिरता गया और उनका अंतराष्ट्रीय करियर 46 एकदिवसीय मैचों तक सीमित रह गया जिसमें उन्होंने 25 की औसत से रन बनाए। लेकिन आईपीएल की बात करें तो, उथप्पा ने 163 मैचों में 29 की औसत से 4000 से अधिक रन बनाए हैं। लीग के उच्चतम स्कोरर्स में वह नंबर 5 पर हैं। अपने शानदार प्रदर्शन से वह कोलकाता नाइट राइडर्स के शीर्ष क्रम के महत्वपूर्ण बल्लेबाज़ हैं। हालाँकि 32 वर्षीय इस बल्लेबाज़ का टीम इंडिया में वापसी करना बहुत मुश्किल लगता है।
दिनेश कार्तिक
लिस्ट ए क्रिकेट में दिनेश कार्तिक की औसत और स्ट्राइक रेट क्रमशः 39 और 91 हैं। लेकिन, वनडे क्रिकेट में, उनका औसत 10 अंक गिरकर 29 तक पहुँच जाता है और स्ट्राइक रेट अप्रत्याशित रूप से 72 तक गिर जाता है। कार्तिक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने घरेलू प्रदर्शन की सफलता को दोहराने में नाकाम रहे। उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी के साथ ही अपने अंतराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी लेकिन वह टीम में अपनी जगह बनाने में नाकाम रहे। धोनी ज़ल्दी ही अपने प्रदर्शन से देश टीम इंडिया का अहम हिस्सा बन गए लेकिन, कार्तिक अपने निरंतर गिरते प्रदर्शन की वजह से टीम से बाहर होते गए। हालाँकि आईपीएल में, कार्तिक कई टीमों की ओर से खेले हैं और बढ़िया प्रदर्शन किया है। अब तक उन्होंने 166 मैचों में 26 की औसत और 128 की स्ट्राइक रेट से 3341 रन बनाए। एक आदर्श कप्तान और बल्लेबाज के रूप में, वह इस सीजन में नाइट राइडर्स के बेहद अहम खिलाड़ी हैं। उथप्पा के विपरीत, कार्तिक का अंतरराष्ट्रीय करियर अभी खत्म नहीं हुआ है और उन्होंने टीम इंडिया के मध्य क्रम में अपनी जगह बनाने के लिए मजबूत दावेदारी पेश की है। ग़ौरतलब है कि इस साल निदाहस ट्रॉफी के फाइनल में, कार्तिक ने बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी गेंद में छक्का लगाकर टूर्नामेंट का ख़िताब भारत की झोली में डाल दिया था।
आशीष नेहरा
आशीष नेहरा को वनडे क्रिकेट में एक बेहतरीन भारतीय तेज गेंदबाज होने का तमगा हासिल है। 2003 के विश्व कप में, उन्होंने 6/23 के अपने गेंदबाज़ी आंकड़ों के साथ इंग्लैंड की बल्लेबाजी लाइन-अप को तहस-नहस कर दिया था। अपने सर्वश्रेष्ठ समय में नेहरा ने अपनी अंदर आती हुई गेंदों से विपक्षी टीम के दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को खूब परेशान किया है। 120 वनडे मैचों में नेहरा ने 157 विकेट अपने नाम किये हैं। लेकिन लगातार चोटिल होने और खराब फॉर्म की वजह से वह टीम से अंदर-बाहर होते रहे। भारतीय गेंदबाजों में नए गेंदबाज़ों के आगमन से नेहरा को लगभग भुला दिया गया था लेकिन, उन्होंने आईपीएल में शानदार प्रदर्शन के दम पर राष्ट्रीय टीम में वापसी की और विश्व कप 2011 अपने में अच्छा प्रदर्शन किया। आईपीएल में, उन्होंने 88 मैचों में 7.84 रन प्रति ओवर की दर से 106 विकेट लिए हैं। दिल्ली डेयरडेविल्स, सनराइज़र्स हैदराबाद और चेन्नई सुपर किंग्स में खेलने वाले नेहरा अपनी टीम के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ थे। लेखक: प्रवीण एनवीएस अनुवादक: आशीष कुमार