5 खिलाड़ी जो टेस्ट क्रिकेट इतिहास में सबसे ज़्यादा बार गोल्डन डक का शिकार हुए

ये ज़रूरी नहीं है कि सिर्फ़ 11वें नंबर का बल्लेबाज़ शून्य पर आउट होता हो, जैसा के कॉमेंटेटर अकसर ये बात दोहराते हैं। कई बार ऐसा देखा गया है कि पुछल्ले बल्लेबाज़ ज़्यादा गंभीरता से बल्लेबाज़ी करते हैं। अगर कोई टॉप ऑर्डर बल्लेबाज़ अपनी पहली ही गेंद पर शून्य पर आउट हो जाए तो ये उसके लिए शर्मिंदगी की बात होती है। कोई भी क्रिकेटर, भले ही वो टॉप ऑर्डर में बल्लेबाज़ी करता हो या लोअर ऑर्डर में, शून्य पर आउट होना कोई नहीं चाहता। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में कई बल्लेबाज़ अपनी पारी की पहली ही गेंद पर शून्य पर आउट हो गए हैं, क्रिकेट की भाषा में इसे ‘गोल्डन डक’ कहते हैं। हम यहां टेस्ट क्रिकेट के उन 5 बल्लेबाज़ों के बारे में बता रहे हैं जो सबसे ज़्यादा बार गोल्डन डक का शिकार हुए हैं।

#5 स्टीव हार्मिसन: 9

इंग्लैंड के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ स्टीव हार्मिसन अपनी टीम के पेस अटैक की अगुवाई करते थे। उन्होंने अपनी गेंदबाज़ी के ज़रिए अपनी टीम के लिए योगदान दे रहे थे। यही वजह थी कि उस वक़्त इंग्लैंड की टीम नई ऊंचाइयों को छू रही थी। जहां तक बल्लेबाज़ी की बात है वो 11 नंबर के विशेषज्ञ बल्लेबाज़ थे एक बार वो अपनी टीम की तरफ़ से एक पारी में सबसे ज़्यादा रन बनाए थे। हार्मिसन तेज़ रन बनाने में माहिर थे, हांलाकि ये रणनीति हमेशा काम नहीं आती है। यही वजह है कि वो टेस्ट में 21 बार शून्य पर आउट हो चुके हैं, इन में से 9 बार वो गोल्डन डक का शिकार हुए हैं। 86 बार उन्हें बल्लेबाज़ी का मौका मिला और 10.47 फ़ीसदी पारी गोल्डन डक की भेंट चढ़ गई थी।

#4 क्रिस मार्टिन : 9

क्रिस मार्टिन न्यूज़ीलैंड टीम का अहम हिस्सा रह चुके हैं, वो टीम में सीम गेंदबाज़ी करते थे। उनकी गेंदबाज़ी बेहद सटीक थी। वो बड़े ही रोचक अंदाज़ में बल्लेबाज़ी करते थे और दर्शकों को रोमांच से भर देते थे। उनकी बल्लेबाज़ी का औसत 2.37 था। लेकिन 71 टेस्ट मैच में वो 36 बार शुन्य पर पवेलियन वापस लौट गए हैं। हारमिसन की तरह क्रिस मार्टिन भी टेस्ट में 9 बार गोल्डन डक का शिकार हुए हैं।

#3 कर्टनी वाल्श : 10

कर्टनी वाल्श की महानता किसी से छिपी नहीं हैं उन्होंने अपने टेस्ट करियर में कपिल देव का रिकॉर्ड तोड़ा था। वैसे तो ज़्यादातर 11वें नंबर के बल्लेबाज़ों से अच्छी पारी की उम्मीद नहीं रहती। जब वाल्श पिच पर आते थे, तो ये फ़ैसला नहीं कर पाते थे कि गेंद को कैसे खेलना है। भले ही उन्होंने गेंदबाज़ी में मिसाल कायम की हो लेकिन बल्लेबाज़ी के मामले में वो बेहद कमज़ोर नज़र आते थे। शून्य पर आउट होना उनके लिए कुछ भी हैरानी की बात नहीं होती थी। 132 टेस्ट मैच में वो 43 बार शून्य पर आउट हो चुके हैं, जो एक विश्व रिकॉर्ड है। इस रिकॉर्ड को कोई भी बल्लेबाज़ तोड़ना नहीं चाहेगा। इन 43 डक आउट में वो 10 बार गोल्डन डक का शिकार हुए हैं। जब भी वो बल्लेबाज़ी करना शुरु करते थे ये पहले ही अंदाज़ा हो जाता था कि वो ज़्यादा देर नहीं टिकेंगे।

#2 रंगना हेराथ : 11

जब रंगना हेराथ ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की थी तब मुथैया मुरलीधरन टीम का अहम हिस्सा थे, हेराथ को मुरली से बहुत कुछ सीखने को मिला था। धीरे-धीरे हेराथ श्रीलंका के टॉप गेंदबाज़ बन गए थे। अपने टेस्ट करियर की शुरुआत से ही वो 11वें नंबर पर बल्लेबाज़ी करने आते थे। दिलचस्प बात ये है कि वो एक बार टेस्ट पारी में 80 रन पर नाबाद रहे थे। 89 टेस्ट मैच में वो 21 बार शून्य पर आउट हो चुके हैं। इन में से 11 बार वो गोल्डन डक का शिकार हुए हैं। उनके करियर में गोल्डन डक का प्रतिशत 8.03 है।

#1 मुथैया मुरलीधरन : 14

मुथैया मुरलीधरण टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ हैं उनके 800 विकेट का रिकॉर्ड आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है और निकट भविष्य में इस रिकॉर्ड के टूटने की उम्मीद भी बेहद कम है। इसलिए इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि वो बल्लेबाज़ी में कितना कमाल दिखा पाए हैं। जब वो बल्लेबाज़ी करने पिच पर आते थे तो वो बल्ले को भी स्विंग कराते थे। वो पिच पर जम जाते थे तो जल्दी रन निकालते थे, लेकिन ज़्यादातर मौक़े पर उनकी पारी जल्द ख़त्म हो जाती थी। मुरलीधरण की बल्लेबाज़ी का औसत 11.68 था। वो पिच पर सिर्फ़ बल्लेबाज़ी की औपचारिकता पूरी करने आते थे। वो 33 बार टेस्ट क्रिकेट में शून्य पर आउट हो चुके हैं। इनमें से 14 बार मुरलीधरण गोल्डन डक का शिकार हुए हैं जो एक विश्व रिकॉर्ड है। उनके गोल्डन डक पर आउट होने का प्रतिशत 8.54 है। लेखक- सोहम समद्दर अनुवादक – शारिक़ुल होदा