मध्यप्रदेश भौगोलिक परिपेक्ष में भारत का दूसरा सबसे बड़ा प्रदेश है। जिस तरह मध्यप्रदेश भारत के नक्शे पर स्थापित है, उसे भारत का दिल भी कहा जाता है और इस प्रदेश ने देश को कई महान चीजें भी दी हैं। इस राज्य से पिछले कई सालों में कई क्रिकेटर्स आए हैं। या यूं कहें, कि भारत के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों का मध्यप्रदेश से रिश्ता रहा है। एक नजर उन पांच खिलाड़ियों पर जिनका रिश्ता मध्यप्रदेश से रहा है: मंसूर अली खान पटौदी मंसूर अली खान पटौदी भारत के इतिहास के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक हैं। उनका जन्म मध्यप्रदेश के भोपाल में हुआ था और वो मशहूर क्रिकेटर इफतिकार अली खान के बेटे थे। उनके पिता की मृत्यु के बाद उन्हें नवाब पटौदी कहा जाने लगा जब तक 1971 में भारतीय सरकार ने इस तरह के पद खत्म नहीं किए थे। कुछ लोगों का मानना है कि वो भारत के सबसे महान कप्तान थे। उनके बेखौफ खेलने के अंदाज की तुलना लोग मध्यप्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क के शेर से करते थे और इसीलिए उनको टाइगर पटौदी भी कहा जाने लगा। नरेंद्र हिरवानी नरेंद्र हिरवानी ने जब क्रिकेट जगत में कदम रखा तब ऐसा लगा जैसे मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ नेशनल पार्क का शेर दहाड़ रहा हो। मैदान पर अपनी इसी दहाड़ के लिए वो जाने जाते थे। उत्तरप्रदेश में जन्मे हिरवानी के पिता मध्यप्रदेश से थे और उन्होंने एमपी से ही घरेलू क्रिकेट में डेब्यू किया। कुछ मैचों के बाद उनका करियर ढलान की ओर बढ़ने लगा, लेकिन जिस विस्फोटक अंदाज से उन्होंने आगाज किया था उसे आज भी लोग याद करते हैं। अपने डेब्यू टेस्ट मैच में उन्होंने 136 रन देकर 16 विकेट चटकाए थे, जो कि एक रिकॉर्ड बना। आज भी कोई खिलाड़ी अपने टेस्ट डेब्यू में इस आंकड़े को छू नहीं पाया और आज भी ये रिकॉर्ड हिरवानी के नाम है सयैद मुश्ताक अली पद्मश्री विजेता सयैद मुश्ताक अली का जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था, वो पहले भारतीय खिलाड़ी थे जिन्होंने विदेशी जमीं इंग्लैंड के मैनचेस्टर में शतक लगाने का कारनामा किया था। जिस वक्त ज्यादातर बल्लेबाज सावधानी से बल्लेबाजी करने मैदान पर उतरते थे उस वक्त सयैद मध्यप्रदेश के पन्ना और छतरपुर जिले में बने पन्ना नेशनल पार्क के तेंदुए की तरह निडर और बेबाक अंदाज में बल्लेबाजी करते थे। अपने इसी अंदाज के लिए उन्हें भारतीय इतिहास के सबसे बेखौफ खिलाड़ियों में शुमार किया जाता है। सीके नायडू दाएं हाथ के बल्लेबाज, जिन्हें भारत के पहले टेस्ट कप्तान के तौर पर जाना जाता है, उनका जन्म महाराष्ट्र के नामपुर में हुआ था। हालांकि, उन्होंने अपनी आखिरी सांस 1967 में 72 वर्ष की उम्र में मध्यप्रदेश के इंदौर में ली थी। मध्यप्रदेश में सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान से एक शेर की बहादुरी रखने पर, वह बहुत सम्मानित थे कि होलककर के तत्कालीन शासक ने उन्हें इंदौर में आमंत्रित किया और उन्हें कप्तान बनाया। इस दिग्गज बल्लेबाज ने क्रिकेट को हर सांस में जिया, और यही वजह थी की उन्हेंने 68 साल की उम्र तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलना जारी रखा। इसके अलावा और क्या कहें? वो सच में एक बेहतरीन ऑलराउंडर थे।राहुल द्रविड़ राहुल द्रविड़ मध्यप्रदेश की बड़ी उपलब्धियों में से एक हैं। उनका जन्म इंदौर में हुआ था, राहुल द्रविड़ भारतीय इतिहास में टेस्ट क्रिकेट के एक महान खिलाड़ी हैं। राहुल द्रविड़ के खेलने की तकनीक मध्यप्रदेश के ग्वालियर में बने माधव नेशनल पार्क की तस्वीर की तरह खूबसुरत है, लेकिन जब वो अपना अंदाज बदलते थे तब वो बांधवगढ़ के शेर की तरह भी न्यूजीलैंड के खिलाफ 22 गेंदों में अर्धशतक लगाकर दहाड़ना भी अच्छी तरह जानते थे। पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित, जिन्हें भारतीय टीम की दीवार के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने 52.31 की औसत से 164 टेस्ट मैच में13288 रन बनाए हैं। अपनी तकनीक और टेम्परामेंट की वजह से वो सबसे मुश्किल बल्लेबाजों में से एक रहे और वो भारत के सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों में से भी एक हैं।