स्लॉटिंग (किसी चीज को एक ही खांचे में ढ़ाल देना- खांचाकरण) एक मानव प्रवृत्ति है यह हमारी मानसिकता का एक हिस्सा है कि हम अपनी धारणा के अनुसार सब कुछ एक खांचे में ढ़ाल देते हैं। क्रिकेट में हम खिलाड़ियों को बल्लेबाज के रूप में तो किसी गेंदबाज के रूप में उसी खांचे में देखते हैं और जब हम हमेशा उन्हें एक ही भूमिका में देखते हैं, तो उनकी स्लॉटिंग एक पहचान बन जाता है। जब भी हमने ग्रीम स्मिथ को देखते थे तो हम जानते थे कि वह दक्षिण अफ्रीकी टीम के कप्तान हैं क्योंकि यही उनके पूरे करियर के दौरान उन्होंने किया था। वह उनके वास्तविक कप्तान थे। जैसे एमएस धोनी को बिना विकेट कीपिंग दस्ताने के सोचना भी मुश्किल होता है। ऐसे में गुस्से में द्रविड़ के कैप फेंकने वाले कांड को कैसे भूला जा सकता है। जब 2015 में आईपीएल के दौरान मुंबई इंडियन्स के हाथों राजस्थान को मिली अप्रत्याशित हार पर राहुल द्रविड़ ने गुस्से में अपने कैप निकाल पर फेंक दी थी जो सभी के लिए बहुत ही ज्यादा अचंभा था क्योंकि द्रविड़ हमारे लिए एक बहुत ‘अच्छे इंसान’ थे। इसी तरह, कुछ खिलाड़ियों को क्रिकेट में 'विशेषज्ञ' के तौर पर पहचाना जाता है। ब्रायन लारा एक विशेषज्ञ बल्लेबाज थे जबकि ग्लेन मैकग्राथ एक विशेषज्ञ गेंदबाज। इसलिए लारा को लेग ब्रेक गेंदबाजी की कल्पना करना संभव नहीं है और वहीं आशीष नेहरा को एक कवर ड्राइव खेलने की कल्पना भी संभव नहीं है। यह स्लॉटिंग को अन्य विभागों में खिलाड़ियों की उपलब्धियों को ढ़कते हुए समाप्त होता है। कुछ खिलाड़ियों को केवल एक बल्लेबाज के रूप में याद किया जाता है और इसलिए उनके गेंदबाजी को नजरअंदाज कर दिया गया। लेकिन आज हम बतायेंगे उन पांच क्रिकेटरों के बारें में जिन्हें विशेषज्ञ बल्लेबाज के रूप में जाना जाता है लेकिन उनकी जादुई गेंदबाजी के बारें में ज्यादा कुछ नहीं पता है साथ ही उनके नाम टेस्ट विकेट भी हैं। बताते हैं उन आश्चर्यनक नामों के बारें में- # 5 वीवीएस लक्ष्मण वीवीएस लक्ष्मण एक ऐसा कलाकार जो घड़ी की सुईयों को भी रोक सकता है जब वह सुंदर ड्राइव या अविश्वसनीय फ्लिक शॉट लगाता है। उन्होंने शायद ही कभी बाउंड्री जड़ी हो बल्कि उन्होंने उन्हें शिल्प और एक कलात्मक स्पर्श के साथ पेंट किया जिसने क्रिकेट को और अधिक सुंदर बना दिया। वह व्यक्ति ने ऑस्ट्रेलिया को उसके चरम पर रहते हुए भी परेशान कर दिया था। लक्ष्मण वास्तव में अपनी चमत्कारी पारी के लिए एक विशेष बल्लेबाज थे जिसने टीम इंडिया की हार को जीत में बदलने में अपना पूरा योगदान दिया। लेकिन यह दांए हाथ का बल्लेबाज अपने बाजुओं का भी कमाल दिखा सकता है और कुछ ओवर भी फेंक सकता है ऐसा कारनामा वीवीएस ने तब किया जब कप्तान नये विचारों से जूझ रहा था। उन्होंने मध्यम पेस के साथ गेंदबाजी की और पर शायद ही कभी बल्लेबाजों को अपनी टर्न से परेशान किया। हालांकि, 134 टेस्ट के अपने करियर के दौरान, उन्होंने 324 गेंदों की बॉलिंग की और दो विकेट भी अपने नाम किए। 2002 में एंटीगुआ में वेस्टइंडीज के खिलाफ एक अप्रासंगिक टेस्ट मैच में उन्होंने अपना पहला टेस्ट विकेट लेते हुए एडम सैन्फोर्ड को वापस भेजा। छह साल के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कोलकाता में एक अन्य हाई स्कोर टेस्ट मैच के दौरान उन्हें आठवें विकेट के लिए हो चुकी सौ रन की पार्टनरशिप को तोड़ने के लिए बुलाया गया और उन्होंने बेहतरीन गेंदबाजी करते हुए मोहम्मद शमी को वापस भेजा और अपना दूसरा व आखिरी विकेट लिया। #4 शिवनारायन चंद्रपॉल
वेस्टइंडीज बल्लेबाजी की रीढ़ शिवनारायण चंद्रपॉल ने अपने टेस्ट करियर के दौरान अपना अधिकांश समय क्रीज पर बिताया। लंबे समय तक बल्लेबाजी करना चंद्रपॉल की था, साथ ही वह बेहद धैर्य रखने वाला खिलाड़ी थे। आधुनिक युग के बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक चंद्रपॉल क्लासिक और अपने अपरंपरागत बल्लेबाजी रुख के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी बल्लेबाजी के आंकड़े ऐसे हैं कि उनका गेंदबाजी को पूरा तरह से भूला दिया गया। अपने दो दशकों लंबे टेस्ट करियर में उन्होंने 9 टेस्ट विकेट हासिल किए। फेमस ग्राहम थोर्प चंद्रपॉल का पहला टेस्ट शिकार थे और दिलचस्प बात यह है कि वेस्टइंडीज ने अपने करियर के शुरुआती दौर में अक्सर गेंदबाजी की। अपने पहली दस टेस्ट पारियों के दौरान चंद्रपॉल ने 88 ओवर फेंके। वहीं बाकि अपनी 270 पारियों के दौरान उन्होंने सिर्फ 202 ओवर ही किये। वह अपनी बल्लेबाजी पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहे थे और उस समय वेस्टइंडीज की टीम में गेंदबाजी के बहुत सारे विकल्प थे इसलिए उनकी गेंदबाजी कौशल को पीछे छोड़ दिया गया।। हालांकि अपने टेस्ट करियर के दौरान चंद्रपॉल ने 9 विकेट हासिल किए और उन्होंने अपने टेस्ट करियर के दौरान सिर्फ 3 की एक इकोनॉमी रेट का आनंद लिया। #3 महेला जयवर्धने
कोलंबो की बल्लेबाजी के अनुकूल पिच पर श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले भारत को बल्लेबाजी के लिए बुलाया। सदगोपन रमेश और राहुल द्रविड़ की जोड़ी ने श्रीलंका की गलती के लिए उसे दंडित करते हुए दोनों ने दूसरे विकेट लिए 200 से ज्यादा रन जोड़े। रमेश ने अपना शतक पूरा किया और 150 रन बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार थे क्योंकि वह किसी भी श्रीलंकाई बॉलर की पकड़ से दूर थे। श्रीलंका के कप्तान अर्जुन राणातुंगा के पास विकल्प नहीं बचे थे और उनके मुख्य बॉलर कुछ छाप नहीं छोड़ पा रहे थे। जिसके बाद कप्तान ने महेला जयवर्धने के हाथों बॉल थमाई जो पार्ट टाइम बॉलर भी नहीं थे। हालांकि, क्रिकेट में अजीब बातें होती रहती हैं और उसी दिन जयवर्धने ने इस तथ्य को सही साबित कर दिया और श्रीलंका की झोली में रमेश का विकेट गिरा दिया। यह पूरी तरह से अप्रत्याशित था जिसके कारण रमेश को अपनी एकाग्रता में चूक की कीमत चुकानी पड़ी। हालांकि, इस विकेट ने श्रीलंकाई खिलाड़ी की पहचान को नहीं बदला और वह एक विशेषज्ञ बल्लेबाज के रूप में बने रहे। उन्होंने अपना करिर छह टेस्ट विकेटों के साथ समाप्त कर लिया, लेकिन उन्हें ज्यादातर उनकी श्रेष्ठ बल्लेबाजी और रबर जैसी कलाईयों के लिए याद किया जायेगा, जिसका परिणाम उनके अविश्वसनीय स्ट्रोक रहे। #2 एलिस्टेयर कुक
ग्यारह हजार रनों के साथ एलिस्टर कुक इंग्लैंड के सबसे सफलतम टेस्ट बल्लेबाज हैं और निश्चित तौर इतिहास में आधुनिक युग के सबसे सफल ओपनरों में से गिने जायेंगे। टेस्ट में जब कुक क्रीज पर नहीं होते हैं तो वह स्लिप पर अपने साथियों से बातचीत करते हुए और बॉल का इंतजार करते हुए दिख जायेंगे। लेकिन कुक की बॉलिंग टेस्ट क्रिकेट के लिए बेहद दुर्लभ क्षण में से एक होता है और यह कारनाम उनके 144 मैच के टेस्ट करियर के दौरान दो बार देखने को मिला है। कुक ने अपने 11 साल के टेस्ट करियर में कुल 18 गेंदे फेंकी है और सात रन दिये हैं। लेकिन इससे ज्यादा आवश्यक बात यह है कि कुक के नाम टेस्ट विकेट भी शामिल है। 2014 में लंदन में भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट इंडिया के पुछल्ले बल्लेबाजो की मजबूत बल्लेबाजी के कारण मैच ड्रॉ की तरफ जाता दिख रहा था। खेल के आखिरी सत्र में कुक ने भारत की दूसरी पारी को खत्म करने के लिए खुद को आक्रमण के लिए लगाया और ईशांत शर्मा का विकेट चटकाया। शर्मा ने सीधे मैट प्रायर के दस्ताने में अपनी गेंद दे दी और इस तरह से कुक ने अपना पहला और एकमात्र टेस्ट विकेट हासिल किया। #1 मार्क बाउचर
मार्क बाउचर का नाम टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपरों में से एक के रूप में गिना जाता है। 21वीं सदी के पहले दशक के दौरान दबंग दक्षिण अफ्रीकी टेस्ट टीम का एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी जो विकेट के पीछे साउथ अफ्रीका की जीत को सुनिश्चित करता था। वहीं वह निचले क्रम में एक बेहतरीन बल्लेबाज भी था। लेकिन जो सबसे अधिक आश्चर्य की बात थी है वह बाउचर गेंदबाजी प्रदर्शन था। अपने 147 टेस्ट करियर के दौरान बाउचर ने केवल एक बार गेंदबाजी की और उस पारी में महत्वपूर्ण रूप से एक विकेट चटकाया। 2005 में एंटीगुआ टेस्ट के दौरान जिसे क्रिस गेल के ट्रिपल सेंचुरी के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है। उस टेस्ट के दौरान खतरनाक साबित हो रहे ड्वेन ब्रावो और वाइट वाशिंगटन के बीच आखिरी विकेट की साझेदारी तोड़ने के लिए स्मिथ ने बाउचर को दस्ताने छोड़कर बॉल लेने की सलाह दी। बाउचर ने अपनी मध्यम गति की गेंदबाजी की जिसने ब्रावो की एकाग्रता को तोड़ दिया और सेंचुरीयन बल्लेबाज ने अपना कैच अश्वेल प्रिंस को पकड़ा दिया। यह गेंद के साथ बाउचर का सबसे अच्छा क्षण था और वह भी दुर्लभ गेंदबाज बने जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में अपनी आखिरी फेंकी गई गेंद पर विकेट लिए थे। लेखक- चैतन्य अनुवादक- सौम्या तिवारी