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बायोपिक के ट्रेलर में मिडिल क्लास फैमिली के नब्ज को पकड़ने की कोशिश की गयी है। जो सफलता का पैमाना किताबों को मानता है। खेल या क्रिकेट सिर्फ कुछ समय तक ही ठीक माना जाता है। धोनी के पिता कहते हैं, “खेल कूद अपनी जगह है, लेकिन पढ़ोगे, लिखोगे तभी तो किसी लायक बनोगे।” धोनी ने इन दोनों चीजों में संतुलन साधने की कोशिश की है। लेकिन अंत में उन्होंने क्रिकेट को परिवार की इच्छा के विपरीत चुना। धोनी कहते हैं, “उधर खड़गपुर में जॉब के सिक्यूरिटी में फंस गया न पापा, तो हम आगे कुछ नहीं कर पाएंगे।” धोनी ने अपनी भावना को तरजीह देते हुए इतिहास के सबसे लोकप्रिय खिलाड़ियों में शुमार हो गये।
Edited by Staff Editor