महेन्द्र सिंह धोनी ने जब वनडे और टी-20 की कप्तानी छोड़ने का फैसला किया तो लाखों प्रशंसकों के दिल टूट गये। पुराने अंदाज में 4 जनवरी को बड़ी ही शांति के साथ उन्होंने इसका ऐलान कर दिया था। दो साल पहले टेस्ट क्रिकेट को भी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अलविदा कहकर सबको चौंका दिया था। उस वक्त किसी ने इसकी कल्पना तक नहीं की थी। धोनी के फैंस के लिए अच्छी खबर तो बस ये ही है कि वो बतौर टीम के सदस्य खेलते रहेंगे। अब दर्शकों का ये मानना है कि वो अब 2019 विश्व कप के बाद क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे। बहुत से एक्सपर्ट तो ये भी अनुमान लगा रहे हैं कि 2017 चैम्पियंस ट्रॉफी बाद ही संन्यास लेने की घोषणा कर सकते हैं। एक अच्छे विकेटकीपर को तैयार करना टीम मैनजमेंट की प्राथमिकता होनी चाहिए। पूर्व कप्तान धोनी का क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद उनकी कमी महूसस न हो इसके लिए ये जरुरी है। धोनी ने एक दशक से ज्यादा भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी सेवा दी है। हम सभी को पता है कि क्रिकेट में इतना लंबा कैरियर ही एक खिलाड़ी को महान क्रिकेटर बना देता है। ये संभावित खिलाड़ी आगे चलकर महेन्द्र सिंह धोनी का रिप्लेसमेंट बन सकते हैं –
19 साल के ऋषभ पंत के लिए पिछले 18 महीने बेहतरीन बीते है, जिसमें उन्होंने ताबड़तोड़ रन बनाए हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि बाएं हाथ के बल्लेबाज पंत आगे चलकर धोनी के उत्तराधिकारी बन सकते हैं। उनकी आक्रमक बल्लेबाजी उक्त बात का समर्थन करती है। अंडर-19 विश्व कप में पंत ने अपनी छाप छोड़ी। टूर्नामेंट में उसने नेपाल के खिलाफ केवल 18 गेंदों में ही अर्धशतक ठोक दिया था। आगे चलकर इसी प्रदर्शन की बदौलत शतक भी लगाया। इस उभरते खिलाड़ी के प्रदर्शन से प्रभावित होकर दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम ने उसे 1.9 करोड़ रुपये में खरीदा। 2016-17 रणजी ट्रॉफी सत्र के बाद पंत ने भारतीय क्रिकेट में खुद को स्थापित कर लिया है। रणजी के इतिहास उसने सबसे तेज शतक लगाया है। इसी सत्र में बेहतरीन तिहरा शतक भी लगाया। सत्र का अंत 972 रन पर किया, और स्ट्राइक रेट 100 के ऊपर था। इंग्लैंड के खिलाफ जनवरी में होने वाले टी-20 के लिए पंत को चुना गया है, यहां से ये आक्रामक बल्लेबाज अपना पदार्पण करेगा। इशान किशन 18 साल के इशान किशान ने लगभग ऋषभ पंत जितना ही प्रभावित किया है। झारखंड के इस खिलाड़ी में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। किशन भी उसी धोनी के राज्य से ही आते हैं, जो उन्हें प्रकृतिक रूप से उनका उत्तराधिकारी बनाती है। वह उसी श्रेणी में शुमार करते हैं, जिसमें पंत जैसे आक्रमक बल्लेबाज शामिल हैं। 2016-17 रणजी ट्रॉफी का सत्र उनके लिए यादगार रहा है। झारखंड के लिए उसने 799 रन का किमती योगदान दिया। टूर्नामेंट में झारखंड की टीम सेमिफाइनल तक पहुंची थी। किशन में नेतृत्व क्षमता पहले से ही नजर आ रही है। अंडर-19 विश्व कप में इसी ने भारतीय टीम का नेतृत्व किया था, जो कि फाइनल में वेस्टइंडीज टीम से हार गई थी। बतौर आक्रमक बल्लेबाज उसने भारतीय क्रिकेट टीम को एक बेहतरीन विकल्प उपलब्ध करा दिया है। संजू सैमसन 22 साल का संजू सैमसन काफी लंबे समय से चर्चा का केन्द्र बना हुआ है। ये यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि इतनी कम उम्र में कोई इतना लोकप्रिय कैसे हो सकता है? करियर के शुरुआती दिनों में ही संजू ने अपनी प्रतिभा से सबको प्रभावित किया है। आईपीएल में खेलने से उसकी प्रतिभा में और निखार आया है। वह किशन और पंत से ज्यादा अनुभवी भी है। 37 प्रथम श्रेणी मैचों में उन्होंने अब तक करीब 2000 रन बना लिए हैं। भातीय क्रिकेट टीम में उनका पदार्पण 2015 जिम्मबावे दौरे पर टी-20 मैच में हो चुका है। आईपीएल में संजू ने पिछले कुछ सत्र में स्टार परफॉर्मर की भूमिका निभाई है। खासतौर पर राजस्थान रॉयल्स की तरफ से खेलते हुए। यहां उनका मार्गदर्शन पूर्व दिग्गज राहुल द्रविड़ ने किया है। पार्थिव पटेल 31 साल के पार्थिव पटेल ने भातीय क्रिकेट टीम में 8 साल के बाद वापसी की है। अतीत में बहुत कम ही क्रिकेटर ने ऐसी कामयाबी हासिल की है। टीम में वापसी को लेकर वो बेहद खुश हैं, और दूसरे क्रिकेटरों के लिए प्रेरणास्त्रोत भी। प्रेरणास्त्रोत इसलिए क्योंकि इसने हिम्मत नहीं हारी और लंबे समय तक टीम में वापसी को लेकर अपनी प्रतिभा को बरकरार रखा। इस साल टेस्ट टीम में जगहा मिलते ही, दोनों हाथों से उसे लपका और बेहतरीन प्रदर्शन कर चयनकर्ताओं को सही ठहराया। अपने प्रदर्शन से टीम में लंबी पारी खेलने का दावा भी ठोक दिया है। रणजी ट्रॉफी के फाइनल में मुंबई के खिलाफ शतक जड़कर उन्होंने साबित कर दिया है कि दबाव में भी वो अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। फाइनल में पार्थिव के शतक के मदद से गुजरात ने पहली बार रणजी पर कब्जा जमाया। कई साल के अनुभव के साथ वो धोनी के रिप्लेसमेंट के लिए सटीक उम्मीदवारों में से एक हैं। केएल राहुल 24 साल के केएल राहुल ने बहुत कम समय काफी प्रशंसक बना लिए हैं। कर्नाटक के इस बल्लेबाज ने भारतीय क्रिकेट टीम में पदार्पण के साथ जो कारनामा किया है, वैसा कम ही लोग कर पाएं हैं। तीनों प्रारूपों में उन्होंने पदार्पण के साथ शतक जड़ा। दो अन्य खिलाड़ी ही ऐसा कर पाएं है। भारतीय टेस्ट टीम में आक्रमक बल्लेबाज के रूप में जुड़ गए हैं। वहीं वनडे और टी-20 में उसने भारतीय क्रिकेट टीम को काफी विकल्प मुहैया करा दिया है। कई मौकों पर उन्होंने विकेटकीपिंग ग्लवस भी पहना है। भारतीय क्रिकेट टीम ने इस तरह का प्रयोग राहुल द्रविड़ के साथ भी किया था, इस राहुल के साथ भी ऐसा हो सकता है। बशर्ते उसकी बल्लेबाजी पर इसका कोई प्रभाव न पड़े। लेकिन अगर विकेटकीपिंग करने में राहुल कामयाब रहते हैं तो ये टीम के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी होगी। टीम को कुछ इसी तरह का विकेटकीपिंग बल्लेबाज चाहिए।