5 भारतीय खिलाड़ी जिनकी बायोपिक बन सकती है

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#3 सौरव गांगुली
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भारत के सबसे बेहतरीन और सफल कप्तानों में से एक सौरव गांगुली ने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे और सबको बखूबी पार किया। दादा एक संपन्न परिवार में पैदा हुए। गांगुली की परवरिश उनके बडे़ भाई स्नेहाशीष ने की। स्नेहाशीष बंगाल क्रिकेट टीम के लिए खेलते थे। दाएं हाथ से सब काम करने वाले गांगुली ने बाएं हाथ से बल्लेबाजी करना सिर्फ इसलिए सीखा ताकि वह अपने भाई के क्रिकेट किट का इस्तेमाल कर सकें। घरेलू क्रिकेट में शानदार खेल के बल पर 90 के दशक के शुरुआती दौर में ही दादा को टीम इंडिया में जगह मिल गई। शुरुआत कुछ अच्छी नहीं रही और 1992 में ऑस्ट्रेलिया के दौरे में सिर्फ एक खराब मैच के बाद ही दादा को बाहर कर दिया गया। इसके बाद दादा ने 1996 में टीम में वापसी की और बाकी का सफर ऐतिहासिक बना दिया। दादा को टीम की कप्तानी उस दौर में मिली, जिसे भारतीय क्रिकेट का सबसे बुरा दौर कहा जा रहा था। अजहरूद्दीन फिक्सिंग के मामलों में शामिल पाए गए और फिर दादा ने बतौर कप्तान उनकी जगह ली। हालांकि, दादा ने अपनी नेतृत्वक्षमता से भारतीय क्रिकेट की सूरत को बदल कर रख दिया। उन्होंने टीम में विदेशी धरती पर मैच जीतने का जज्बा पैदा किया। दादा ने ऐसे कई युवाओं पर भरोसा दिखाया, जो टीम इंडिया का सुनहरा भविष्य बन गए। जैसे कि युवराज सिंह, जहीर खान और महेंद्र सिंह धोनी। दादा के करियर में बुरा दौर तब लौटा, जब वह कोच ग्रेग चैपल के साथ लंबे समय तक विवादों में बन रहे, लेकिन दादा ने इस रुकावट को भी पार कर दिखाया। गांगुली पर फिल्म बनाकर लोगों को यह बताया जा सकता है कि वह सचमुच कितने बड़े 'दादा' थे।