भारत के दिग्गज लेग स्पिनर अनिल कुंबले हाल ही में भारतीय टीम के नए मुख्य कोच बनाये गये हैं। इससे पहले भारतीय टीम का जो भी कोच बना है, उसके मुकाबले में कुंबले से लोगों की काफी आशाएं हैं। कुंबले को क्रिकेट का सबसे ज्यादा तनावपूर्ण काम मिला है। इससे पूर्व में भारतीय टीम ने 5 विभिन्न कोचों का इस्तेमाल किया है। जिनके कार्यकाल में टीम इंडिया का प्रदर्शन मिला जुला रहा है। जिनमें कई कोचों ने अपने काम की शुरुआत ज़ोरदार किया था तो कईयों ने शुरू में अच्छा नहीं किया लेकिन बाद में उन्होंने अपने काम से लोगों को संतुष्ट किया। आज हम इस लेख के ज़रिए भारत के पूर्व 5 कोचों और उनकी पहली सीरीज़ के प्रदर्शन के बारे में बता रहे हैं: #1 जॉन राइट(2000-2005)- ज़िम्बाब्वे का भारत दौरा, 2000/01 न्यूज़ीलैंड के पूर्व खिलाड़ी जॉन राइट को भारतीय क्रिकेट का अबतक सबसे बेहतरीन कोच माना जाता है। वह और तब के भारतीय कप्तान सौरव गांगुली को भारतीय क्रिकेट के बड़े बदलाव के लिए जाना जाता है। राइट ने बहुत ही आसानी से भारतीय टीम को कोच करने की शुरुआत की। अगर उस वक्त ज़िम्बाब्वे को एक मज़बूत टीम माना जाता था। लेकिन भारतीय को ज़िम्बाब्वे को अपने सरजमीं पर हराने में कोई दिक्कत नहीं हुई। पहले भारत और ज़िम्बाब्वे के बीच 2 मैचों की टेस्ट सीरीज हुई थी, जिसमें भारतीय टीम ने एक में जीत हासिल किया और दूसरे टेस्ट में ज़िम्बाब्वे ने बेहतरीन खेल दिखाते हुए टीम इंडिया को ड्रा पर रोक दिया। उसके बाद 5 वनडे सीरीज़ में भारत ने ज़िम्बाब्वे को 4-1 के अंतर से हराया। #2 ग्रेग चैपल(2005-2007)- इंडियन ऑयल कप त्रिकोणीय सीरीज(भारत, श्रीलंका और वेस्टइंडीज़) ग्रेग चैपल भारतीय टीम से जुड़े सबसे बदनाम चेहरे हैं। बतौर कोच चैपल और पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली के बीच काफी अनबन था। जिसे भारतीय क्रिकेट के काले अध्याय में जोड़ा गया। साथ ही वह गांगुली को टीम से निकाले जाने की वजह बने। चैपल ने भारतीय टीम को 2 साल तक कोचिंग दी थी। उन्होंने मई 2005 से टीम इंडिया को कोचिंग देना शुरू किया था। उनकी पहली सीरीज इंडियन ऑयल कप थी जो तीन देशों के बीच श्रीलंका में हुई थी। भारत, श्रीलंका और वेस्टइंडीज़ के बीच हुए इस सीरीज़ में भारत अपने सभी मैच श्रीलंका से हार गया था, लेकिन वेस्टइंडीज़ को हराने की वजह से टीम को फ़ाइनल में खेलने का मौका मिला था। फाइनल में भारत श्रीलंका से 18 रन से हार गया था।#3 गैरी कर्स्टन (2007-2011)- दक्षिण अफ्रीका का भारत दौरा, 3 टेस्ट सीरीज़ गैरी कर्स्टनबिना किसी दो राय के भारत के सबसे बेहतरीन कोच थे। उन्होंने कप्तान एमएस धोनी के साथ बेहतरीन काम किया। उनके कार्यकाल में भारत ने 28 साल बाद विश्वकप जीता था। इसके अलावा भारतीय टीम टेस्ट में नम्बर-1 बनी थी। अगर गैरी भारत के कोच दिसंबर 2007 में बने थे। जबकि उन्होंने अपना काम मार्च 2008 में शुरू किया था। भारत के दौरे पर 3 टेस्ट मैचों की सीरीज़ खेलने दक्षिण अफ्रीका आई थी। इस सीरीज के पहले ही टेस्ट मैच में वीरेंदर सहवाग ने अपनी दूसरी ट्रिपल सेंचुरी बनाई थी। ये मैच ड्रा हो गया था। उसके अगले मैच में प्रोटेस ने भारत को एक पारी से हराया था। जवाब अगले मैच में भारत ने 8 विकेट की जीत दर्ज करके सीरीज को बराबर कर दिया था। #4 डंकन फ्लेचर(2011-2015)- साल 2011 में भारत का वेस्टइंडीज़ दौरा गैरी कर्स्टन के सफल कार्यकाल के बाद ज़िम्बाब्वे के पूर्व क्रिकेटर डंकन फ्लेचर टीम इंडिया के कोच अप्रैल 2011 में नियुक्त किये गये। फ्लेचर का कोचिंग रिकॉर्ड काफी बेहतरीन था। ऐसा माना जा रहा था कि फ्लेचर के कार्यकाल में भारतीय क्रिकेट नई ऊंचाई छुएगा। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। फ्लेचर ने पहली बार वेस्टइंडीज़ के दौरे पर जाने वाली भारतीय टीम के साथ अपनी कोचिंग पारी शुरू की। जहां भारत को एक टी-20, 5 वनडे और 3 टेस्ट खेलने थे। जहां टीम इंडिया ने टी-20 और वनडे सीरीज़ 3-2 से जीत लिया। साथ ही टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज़ को 1-0 से टेस्ट सीरीज़ में भी हरा दिया था। एक तरफ फ्लेचर की शुरुआत बेहद अच्छी रही लेकिन बाद में टीम का हाल काफी बुरा रहा। #5 रवि शास्त्री (2015-2016)- साल 2015 में भारत का बांग्लादेश दौरा डंकन फ्लेचर की कोचिंग खत्म होने के बाद रवि शास्त्री को भारतीय टीम का डायरेक्टर बनाया गया। जहां उन्होंने टीम इंडिया के लिए अपने आखिरी पड़ाव पर बेहतरीन काम किया। फ्लेचर के जाने के बाद से शास्त्री ने भारतीय टीम को कोचिंग दी। टीम का विदेशों में खराब प्रदर्शन भी जारी था। शास्त्री का पहला दौरा बांग्लादेश गयी टीम इंडिया के साथ था। जहाँं टीम को एक टेस्ट और 3 वनडे मैच खेलना था। बारिश की वजह से पहला टेस्ट मैच ड्रा हो गया था। जहां टीम इंडिया मजबूत नजर आ रही थी। हालांकि वनडे में भारत को बांग्लादेश से 1-2 की शर्मनाक हार झेलनी पड़ी थी। लेखक: अभिनव मैसी, अनुवादक: जितेंद्र तिवारी