5 मशहूर बल्लेबाज़ जो डेब्यू वनडे मैच में गोल्डन डक का शिकार हुए

घरेलू सर्क्रिट में कई साल की कड़ी मेहनत के बाद ही किसी खिलाड़ी को अंतरराष्ट्रीय मैच में खेलने का मौका मिलता है। ये हर क्रिकेटर का ख़्वाब होता है कि वो अपने देश के लिए खेले। अगर किसी को ऐसा मौका मिलता है तो उसकी कोशिश होती है कि वो अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की धमाकेदार शुरुआत करे ताकि टीम में उनकी जगह पक्की हो सके। हांलाकि कई बार चीज़ें उम्मीद के मुताबिक नहीं होती हैं क्योंकि नए खिलाड़ी पर काफ़ी दबाव होता है। यहां तक की सचिन तेंदुलकर भी अपने पहले वनडे मैच में शून्य पर आउट हुए थे, लेकिन टीम को उनकी क़ाबिलियत पर भरोसा था इसलिए उन्हें आगे भी मौका दिया गया। हम यहां उन मशहूर खिलाड़ियों के बारे में बताएंगे जो अपने पहले वनडे मैच में गोल्डन डक का शिकार हुए।

#5 जेसन रॉय, इंग्लैंड

जेसन रॉय ने साल 2015 में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ 5 वनडे मैच की सीरीज़ से अपने वनडे करियर की शुरुआत की थी। एजबेस्टन में पहले वनडे मैच में न्यूज़ीलैंड के कप्तान ब्रैंडन मैक्कुल ने टॉस जीतकर इंग्लैंड को पहले बल्लेबाज़ी करने का मौका दिया। कीवी कप्तान का ये फ़ैसला ख़तरनाक था क्योंकि ये पिच बल्लेबाज़ों के लिए मददग़ार थी। इंग्लैंड की तरफ़ से जेसन रॉय और एलेक्स हेल्स ओपनिंग के लिए आए। बदकिस्मती से जेसन रॉय ट्रेन बोल्ट की गेंद पर गोल्डन डक का शिकार हुए। हांलाकि इसके बावजूद इंग्लैंड ने ये मैच 210 रन के बड़े अंतर से जीत लिया क्योंकि जो रूट और जोस बटलर में शानदार बल्लेबाज़ी की थी। डेब्यू के बाद से ही जेसन रॉय इंग्लैंड टीम के अहम हिस्सा रहे हैं और अब तक 5 शतक भी लगाए हैं।

#4 कैमरन व्हाइट, ऑस्ट्रेलिया

कैमरन व्हाइट ऑस्ट्रेलिया के घरेलू सर्क्रिट में व्हिक्टोरिया टीम के कप्तान थे। उनकी तुलना अकसर शेन वॉर्न से की जाती थी, लेकिन व्हाइट ने अपने बल्लेबाज़ी के हुनर को ज़्यादा निखारा। हांलाकि वो अच्छी लेग स्पिन गेंदबाज़ी करते थे। उन्होंने साल 2005 में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ वनडे में डेब्यू किया था। अपने पहले वनडे मैच में वो ऑस्ट्रेलिया के 6 विकेट गिरने के बाद बल्लेबाज़ी करने आए, लेकिन बदकिस्मती से वो गोल्डन डक का शिकार बने। हांलाकि अगली कुछ सीरीज़ में उन्होंने मैच जिताउ प्रदर्शन किया था, जिसकी वजह से उन्हें 2010-11 की एशेज़ सीरीज़ और 7 वनडे मैच की सीरीज़ में उप-कप्तान बनाया गया था। इसमें से एक वनडे में उन्हें कप्तानी का भी मौका मिला था, जब टीम मैनेजमेंट ने माइकल क्लार्क को आराम दिया था। इसके बाद उनके बुरे फ़ॉम की की वजह से उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था। फ़िलहाल वो बिग बैश लीग में मेलबर्न रेनेगेड्स टीम का हिस्सा हैं।

#3 शोएब मलिक, पाकिस्तान

पाकिस्तान के शोएब मलिक ने साल 1999 में शारजाह में हुई कोका-कोला चैंपियंस ट्रॉफ़ी से अपने वनडे करियर की शुरुआत की थी। श्रीलंका के ख़िलाफ़ उन्हें बल्लेबाज़ी का मौका मिला, लेकिन सनथ जयसूर्या की गेंद पर वो आउट हो गए। हांलाकि आज वो 261 वनडे मैच में 41 अर्धशतक और 9 शतक की मदद से 6975 रन बना चुके हैं। शुरुआत में शोएब मलिक पाकिस्तान टीम में बतौर स्पिन गेंदबाज़ शामिल किए गए थे। इसके बाद उन्हें मध्यक्रम में बल्लेबाज़ी करने का मौका मिला और उनकी बल्लेबाज़ी में ज़बरदस्त निखार आया। उनकी गेंदबाज़ी शक के दायरे में आई जिसकी वजह से उन्हें सर्ज़री भी करानी पड़ी, ताकि उनका एक्सन सही हो पाए। शोएब जल्द ही वनडे में 7000 रन के आंकड़े को पार कर सकते हैं, ऐसा करने वाले वो पाकिस्तान के 8वें बल्लेबाज़ बन जाएंगे।

#2 सुरेश रैना, भारत

सुरेश रैना मध्यक्रम के आक्रामक बल्लेबाज़ हैं उन्होंने साल 2005 में श्रीलंका के ख़िलाफ़ अपने वनडे करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने बल्लेबाज़ी करते हुए सबसे पहले मुथैया मुरलीधरन की गेंद का सामना करना पड़ा था जिस पर वो आउट हो गए थे। रैना ऐसे पहले भारतीय बल्लेबाज़ी हैं जिन्होंने तीनों फ़ॉर्मेट में शतक लगाया है। 223 वनडे मैच में उन्होंने 35.6 की औसत से 5568 रन बनाए हैं। उन्होंने अपने शानदार खेल से साल 2011 के वर्ल्ड कप में भारत को जीत दिलाने में मदद की थी। वो शॉट पिच गेंद को खेलने में सहज़ नहीं रहे हैं। 2015 में दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ ख़राब प्रदर्शन के बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था।

#1 महेंद्र सिंह धोनी, भारत

इंडिया-ए की तरफ़ से शानदार प्रदर्शन के बाद साल 2004 में महेंद्र सिंह धोनी टीम इंडिया में जगह मिली थी। उन्होंने अपना पहला मैच बांग्लादेश के ख़िलाफ़ खेला था। उस मैच में वो बिना किसी गेंद का सामना करते हुए रन आउट हो गए थे। वो भी गोल्डन डक का शिकार हुए। इसके कुछ दिनों बाद उन्होंने विशाखापट्नम में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ शानदार शतक लगा था और टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की की थी। साल 2007 में उन्हें टीम इंडिया की कप्तानी सौंपी गई थी और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। लेखक- हरि प्रसाद अनुवादक- शारिक़ुल होदा

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