अगर किसी खिलाड़ी का चयन टीम इंडिया में होता है तो इसके पीछे उस खिलाड़ी की कड़ी मेहनत और जद्दोजहद शामिल होती है। भारतीय क्रिकेट टीम के लिए चुना जाना किसी कामयाबी से कम नहीं होता और ये बिलकुल सपने के सच होने जैसा है। टीम इंडिया में शामिल होना और भी मुश्किल हो जाता है जब टीम में पहले से बेहतरीन खिलाड़ी मौजूद हों। हांलाकि टीम में चयन होना कामयाबी का सिर्फ़ पहला कदम होता है, खिलाड़ी को मौके का पूरा फ़ायदा उठाना होता है और बेहतरीन प्रदर्शन करना होता है। महज़ एक वनडे से किसी भी खिलाड़ी को आंकना सही नहीं हो सकता, उन्हें ज़्यादा मौके मिलने चाहिए ताकि वो अपने हुनर को दुनिया के सामने ला सकें। कई भारतीय खिलाड़ी ऐसे हैं जो अपने डेब्यू मैच में शानदार प्रदर्शन करने में नाकाम रहे और फिर उन्हें दोबारा मौक़ा नहीं मिला। हम यहां ऐसे ही 5 खिलाड़ियों के बारे में बता रहे हैं।
#5 डोड्डा गणेश
दाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ डोड्डा गणेश 1990 के दशक में भारत के उभरते हुए बॉलर थे। वो कर्नाटक के टीम के सबसे बेहतरीन गेंदबाज़ों में से एक थे, उस वक़्त इस टीम में जवागल श्रीनाथ और अनिल कुंबले जैसे गेंदबाज़ भी शामिल थे। तभी गणेश का चयन टीम इंडिया में हुआ। वो 1996-97 में दक्षिण अफ़्रीका और ज़िम्बाब्वे के दौरे के लिए वनडे टीम में शामिल किए गए। उन्होंने अपना पहला मैच ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ बुलवायो में खेला। भारत ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए महज़ 168 रन बनाए। इसके जवाब में जिम्बाब्वे ने ये मैच 8 विकेट से जीत लिया। इस मैच में गणेश ने 20 रन देकर 1 विकेट हासिल का था। हांलाकि इसके बाद गणेश भारतीय टेस्ट टीम के लिए भी चुने गए और 4 टेस्ट मैच खेला, लेकिन वो दोबारा कोई वनडे मैच नहीं खेल पाए।
#4 पंकज सिंह
राजस्थान के तेज़ गेंदबाज़ पंकज सिंह घरेलू सर्किट में विकेट निकालने में माहिर कहे जाते थे। साल 2009 के घरेलू सीज़न में शानदार प्रदर्शन किया था। साल 2010 में वो जिम्बाब्वे में होने वाली त्रिकोणीय सीरीज़ के लिए टीम इंडिया में चुने गए थे। इस सीरीज़ में भारत के कई उभरते हुए खिलाड़ी थे। पंकज ने अपना डेब्यू मैच बुलवायो में श्रीलंका के खिलाफ़ खेला था। इस मैच में भारत ने पहले खेलते हुए 268 रन बनाए थे। पंकज ने इस मैच में 7 ओवर फेंके थे और 45 रन लुटाए थे। ये प्रदर्शन पंकज के लिए घातक साबित हुआ और वो दोबारा कभी भी टीम इंडिया में कभी नहीं चुने गए। हांलाकि घरेलू सर्किट में उन्होंने अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा और फिर उन्हें इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ के लिए चुना गया। पंकज टेस्ट सीरीज़ में भी अपनी गहरी छाप छोड़ने में नाकाम रहे और इसकी वजह से उनके वनडे में भी आने के सभी रास्ते बंद हो गए। अगर उनका दोबारा चयन किया जाता तो शायद आज उनके करियर की तस्वीर कुछ और ही होती।
#3 परवेज़ रसूल
जम्मू कश्मीर के ऑफ़ स्पिन गेंदबाज़ को घरेलू सर्किट में शानदार प्रदर्शन की बदौलत टीम इंडिया में चुना गया। भारत के महान स्पिनर बिशन सिंह बेदी की कोचिंग की वजह से रसूल के खेल में काफ़ी सुधार आया और साल 2012-13 में उन्होंने घरेलू सर्किट में बेहतरीन गेंदबाज़ी की थी। उनके घरेलू रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें टीम इंडिया की वनडे टीम में चुना गया। वो ऑफ़ स्पिन में माहिर थे और उनकी गेंदबाज़ी को समझना कई बल्लेबाज़ों के लिए मुश्किल होता था। रसूल ने अपना शानदार खेल आईपीएल में भी जारी रखा है जहां सनराइज़र्स हैदराबाद और आरसीबी टीम के लिए खेला है। वनडे में उनका डेब्यू उनकी उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा और वो एक महंगे गेंदबाज़ साबित हुए। उन्होंने साल 2014 में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ ढाका में अपना पहला मैच खेला था। उन्होंने 10 ओवर में 60 रन दिए थे और 2 विकेट भी लिए थे, हांलाकि भारत ने ये मैच जीत लिया था, लेकिन परवेज़ रसूल को इस मैच के बाद भारत की वनडे टीम में खेलने का मौक़ा नहीं मिला।
#2 पंकज धरमानी
पंजाब के विकेटकीपर-बल्लेबाज़ पंकज धरमानी 1990 के दशक में घरेलू सर्किट के बेहतरीन बल्लेबाज़ थे और उन्होंने काफ़ी ज़्यादा रन भी बनाए थे। इस प्रदर्शन की बदौलत उन्हें 1996 के टाइटन कप टूर्नामेंट के लिए टीम इंडिया में चुना गया था। इस टूर्नामेंट में भारत के अलावा दक्षिण अफ़्रीकी और ऑस्ट्रेलियाई टीम शामिल थी। धरमानी ने जयपूर में प्रोटियाज़ टीम के ख़िलाफ़ अपना पहला मैच खेला था। इस मैच में पंकज ने महज़ 8 रन बनाए थे और साउथ अफ़्रीका ने ये मैच जीत लिया था। उस दौर में नयन मोंगिया भारत के फ़ुल टाइम विकेटकीपर थे और बीसीसीआई को एक और विकेटकीपर की शिद्दत से तलाश थी जो बल्लेबाज़ी की ज़िम्मेदारी संभाल सके। इसके वावजूद धरमानी को टीम इंडिया में दोबारा मौक़ा नहीं मिल सका। हांलाक वो पंजाब के लिए खेलते रहे और उनका शानदार खेल जारी रहा। धीर-धीरे टीम इंडिया के चयन से वो दूर होते चले गए। अगर उन्हें और मौक़ा मिला होता तो शायद वो ख़ुद को साबित कर पाते।
#1 भगवत चंद्रशेखर
भगवत चंद्रशेखर एक महान स्पिन गेंदबाज़ थे उन्होंने अपने टेस्ट करियर में बेहतरीन गेंदबाज़ी की थी। वो भारतीय टेस्ट टीम के अहम गेंदाबाज़ थे। हर कोई इस बात से हैरान है कि उन्हें सिर्फ़ एक वनडे मैच खेलने का मौक़ा क्यों मिला जबकि उनके हुनर में कोई कमी नहीं थी। हांलाकि उन्होंने अपने डेब्यू वनडे मैच में अच्छा प्रदर्शन किया था, ऐसे में उनका दोबारा वनडे टीम में न चुना जाना एक रहस्य बनकर रह गया। उन्होंने अपने संन्यास से 3 साल पहले अपना आख़िरी और एकमात्र वनडे मैच खेला था। ये ऑकलैंड में 2 मैचों की सीरीज़ का एक मैच था। इस मैच में न्यूज़ीलैंड ने पहले बल्लेबाज़ी की थी, चंद्रशेखर टीम इंडिया के सबसे कामयाब गेंदबाज़ साबित हुए थे। उनकी इकोनॉमी रेट 3.85 थी, उन्होंने 7 ओवर में 36 रन देकर 3 विकेट हासिल किए थे। हांलाकि भारत ये मैच 80 रन से हार गया था, लेकिन चंद्रशेखर का प्रदर्शन हर कोई याद करते है। उन्हें वनडे टीम में दोबारा मौक़ा मिलना चाहिए था जो हो न सका। लेखक- सोहम समद्दर अनुवादक – शारिक़ुल होदा