5 कारण जिनके चलते भारत टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच में न्यूजीलैंड को कभी नहीं हरा सका

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खेल के सभी तीन प्रारूपों को मिलाकर भारत और न्यूजीलैंड ने 163 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेले हैं। उनमें से, 72-59 की जीत-हार के रिकॉर्ड से भारत आगे है, भारतीयों ने टेस्ट और वनडे दोनों में अपने प्रतिद्वंदी पर महत्वपूर्ण बढ़त बनायी है, लेकिन न्यूजीलैंड ने उन्हें टी20 में पूरी तरह से पछाड़ दिया है। अब तक भारत और न्यूजीलैंड के बीच 5 टी20 मैच खेले गए हैं जिसमें से हर दफा न्यूजीलैंड ने बाजी मारी है। इनमें से दो मैच टी20 विश्व कप के दौरान हुए और दोनों ही बार कीवी टीम ने जीत हासिल की। 1 नवंबर से भारत और न्यूजीलैंड के बीच 3 टी20 मैचों की श्रृंखला शुरु हो रही है। ऐसे में भारतीय टीम के पास इस रिकॉर्ड को सुधारने का सुनहरा मौका है। आइए जानते हैं उन 5 टी20 मैचों के बारे में जब न्यूजीलैंड ने भारत को हराया। हम बताएंगे किस वजह से भारतीय टीम को सभी टी20 मैचों में हार मिली।


# 5. कीवी स्पिनरों को कम आंकना, (नागपुर, 2016)

भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच आखिरी बार साल 2016 के टी20 विश्व कप में खेला गया था। भारत में हुए इस विश्व कप में सबको भारतीय टीम के जीत की उम्मीदें थीं। लेकिन नागपुर में भारतीय टीम को न्यूजीलैंड ने एक बार फिर से हरा दिया।पहले बल्लेबाजी करते हुए न्यूजीलैंड की टीम जब 7 विकेट के नुकसान पर सिर्फ 126 रन ही बना पाई तो लगा कि मजबूत बैटिंग लाइन अप वाली भारतीय टीम ये लक्ष्य आसानी से हासिल कर लेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मिचेल सैंटनर, ईश सोढ़ी और नॅथन मैकलम की स्पिन जोड़ी ने भारतीय टीम को केवल 76 रनों पर ढेर कर दिया। कीवी स्पिनरों को कम आंकने की वजह से भारतीय टीम को हार के रुप में खामियाजा भुगतना पड़ा। # 4. धोनी की अंतिम ओवरों में असफलता, (चेन्नई, 2012) 86efb-1509314296-800 विशाखापट्टनम में शुरुआती मैच के लगातार बारिश से धुलने के बाद, जब भारत और न्यूजीलैंड 2012 में एमए चिदंबरम स्टेडियम में एक-दूसरे के खिलाफ मैच खेलने उतरे तो वह एक भावुक पल था। कैंसर के खिलाफ लड़ाई जीतने के बाद युवराज सिंह एक बार फिर से मैदान पर वापसी कर रहे थे। जहीर खान और इरफान पठान ने पहले कुछ ओवरों में एक-एक विकेट लिए। हालांकि, ब्रेंडन मैकलम ने केन विलियमसन और रॉस टेलर के साथ मिलकर पारी को संभालने की कोशिश की। मैकलम ने काफी अच्छी पारी खेली लेकिन अपने शतक से वो 9 रन दूर रह गए। उन्हें इरफान पठान ने आउट किया और न्यूजीलैंड की टीम ने 20 ओवरों में 167 रन बनाए। जवाब में विराट कोहली के शानदार प्रदर्शन और सुरेश रैना और युवराज सिंह की उपयोगी पारियों की बदौलत भारत आसानी से लक्ष्य का पीछा करते हुए दिख रहा था। विराट कोहली के 70 रन बनाकर आउट होने के बाद कप्तान धोनी मैदान पर आये। लेकिन धोनी मैच में संघर्ष करते दिए और उस तरह की बल्लेबाजी नहीं कर पाए जिसके लिए वो जाने जाते हैं। इसकी वजह से भारतीय टीम लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रही और उसे हार का सामना करना पड़ा। # 3. अंतिम ओवेरों में ख़राब गेंदबाजी, (वेलिंगटन, 2009) f9df2-1509314527-800 न्यूजीलैंड के 2009 के दौरे के दौरान दो मैचों की टी-20 श्रृंखला के अंतिम मैच में भारतीय टीम के निचले क्रम के बल्लेबाज छोटी बाउंड्री का फायदा नहीं उठा सके। वीरेंदर सहवाग ने 11 गेंद में 24 रन की पारी खेली, जिसमे पांच चौके शामिल थे। युवराज सिंह ने 34 गेंदों में अर्धशतक जड़कर सर्वाधिक रन बनाए। हालंकि बाकी बल्लेबाज ज्यादा रन नहीं बना पाए। कीवी कप्तान डेनियल विट्टोरी की शानदार कप्तानी के चलते भारतीय टीम सिर्फ 149 रन ही बना पाई। जवाब में राइडर और ब्रेंडन मैकुलम ने तेज गेंदबाजों पर आते ही प्रहार कर अपने इरादों को स्पष्ट कर दिया। जहीर खान के अलावा, अन्य तेज गेंदबाजों में से कोई भी किसी भी तरह के दबाव बनाने में असफल रहा। अनगिनत अन्य मुकाबलों की तरह, भारतीय टीम को अपने स्पिनरों पर निर्भर होना पड़ा ताकि वे टीम को वापसी कर सकें। हरभजन सिंह और रवींद्र जडेजा ने मध्य में शानदार गेंदबाजी की। जिससे कीवी टीम थोड़ा दबाव में आई। यहीं पर टीम को दो डेथ ओवर स्पेशलिस्ट गेंदबाजों की कमी खली। कानपुर में भारत के पास दो डेथ ओवर स्पेशलिस्ट गेंदबाज थे जिसकी वजह से कीवी टीम अंतिम 4 ओवरों में विकेट होते हुए भी 35 रन नहीं बना पाई। लेकिन उस समय भारतीय टीम के पास ऐसे गेंदबाजों की कमी थी जो कि डेथ ओवर स्पेशलिस्ट हों। जहीर खान पहले ही अपने 4 ओवरों का कोटा पूरा कर चुके थे। उन्होंने अपने आखिरी ओवर में अहम विकेट भी निकाले थे लेकिन अंतिम ओवर में इरफान पठान ने मैकलम के पाले में गेंद डाल दी जिस पर उन्होंने दो छक्के जड़कर कीवी टीम को जीत दिला दी। # 2. रन नहीं चुरा पाना, (क्राइस्टचर्च, 2009) ef1aa-1509314652-800 साल 2009 में भारत ने न्यूजीलैंड का दौरा किया, उस समय भारतीय टीम में कई विश्व स्तरीय खिलाड़ी शामिल थे, तो न्यूजीलैंड एक बदलाव के दौर से गुज़र रही थी और संघर्ष कर रही थी। लेकिन इसके बावजूद भारतीय टीम क्राइस्टचर्च और वेलिंगटन में मैच हार गई। यदि वेलिंगटन में दूसरे मैच में अंतिम ओवर के गेंदबाजों की कमी के कारण भारत मैच हार गया था, तो पहले मैच में भारतीय बल्लेबाजी लाइनअप अच्छा प्रदर्शन करने में असफल रहा। एक ख़राब सतह पर, न्यूज़ीलैंड के तेज गेंदबाजों ने अच्छी गेंदबाज़ी करते हुए भारतीय बल्लेबाजों को मुश्किल में डाल दिया। उन्होंने डॉट बॉल के साथ ऐसी गेंदबाज़ी कि बल्लेबाजों से गलतियों होती रहीं। सहवाग ने सिर्फ 10 गेंदों में 4 छक्के लगा दिए लेकिन इसके बाद और छक्के मारने के प्रयास में वो आउट हो गए। रोहित शर्मा और एम एस धोनी भी असफल रहे। एक समय भारतीय टीम का स्कोर 6 विकेट पर 82 रन था। लेकिन निचले क्रम के बल्लेबाजों ने टीम को 162 के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचा दिया। हालांकि न्यूजीलैंड की टीम ने आसानी से 3 विकेट खोकर ये लक्ष्य हासिल कर लिया। # 1. सलामी बल्लेबाजों से मिली शुरुआत का लाभ न उठा पाना, (जोहानिसबर्ग, 2007) ee999-1509314756-800 भारतीय टीम ने भले ही 2007 का पहला टी20 विश्व कप जीता था लेकिन उस समय भी भारत को न्यूजीलैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। टॉस जीतने के बाद, भारत ने न्यूजीलैंड को पारी के 13 वें ओवर में 91/5 के स्कोर पर ला खड़ा किया। लेकिन क्रेग मैकमिलन और जैकब ओरम की छठे विकेट की साझेदारी ने मुकाबले को बदल दिया। दोनों ने अपनी टीम को एक मजबूत स्कोर पर ला खड़ा किया। सलामी बल्लेबाजी करने आये सहवाग और गंभीर की विस्फोटक शुरुआत के साथ भारत ने अच्छी शुरुआत की और 191 के लक्ष्य का बड़ा हिस्सा बना दिया। मगर जैसे ही दोनों सलामी बल्लेबाजों के विकेट गिरे 'मेन इन ब्लू' ने अचानक राह खो दी। डेनियल विटोरी ने एक ऐसा जाल बुना जिसमें भारतीय मध्य क्रम के विकेट गिरते चले गये और बल्लेबाजी लाइनअप की असफलता ने न्यूजीलैंड को दस रन से जीत दिला दी

Edited by Staff Editor
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