5 कारण जिनके चलते भारत टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच में न्यूजीलैंड को कभी नहीं हरा सका

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# 3. अंतिम ओवेरों में ख़राब गेंदबाजी, (वेलिंगटन, 2009)
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न्यूजीलैंड के 2009 के दौरे के दौरान दो मैचों की टी-20 श्रृंखला के अंतिम मैच में भारतीय टीम के निचले क्रम के बल्लेबाज छोटी बाउंड्री का फायदा नहीं उठा सके। वीरेंदर सहवाग ने 11 गेंद में 24 रन की पारी खेली, जिसमे पांच चौके शामिल थे। युवराज सिंह ने 34 गेंदों में अर्धशतक जड़कर सर्वाधिक रन बनाए। हालंकि बाकी बल्लेबाज ज्यादा रन नहीं बना पाए। कीवी कप्तान डेनियल विट्टोरी की शानदार कप्तानी के चलते भारतीय टीम सिर्फ 149 रन ही बना पाई। जवाब में राइडर और ब्रेंडन मैकुलम ने तेज गेंदबाजों पर आते ही प्रहार कर अपने इरादों को स्पष्ट कर दिया। जहीर खान के अलावा, अन्य तेज गेंदबाजों में से कोई भी किसी भी तरह के दबाव बनाने में असफल रहा। अनगिनत अन्य मुकाबलों की तरह, भारतीय टीम को अपने स्पिनरों पर निर्भर होना पड़ा ताकि वे टीम को वापसी कर सकें। हरभजन सिंह और रवींद्र जडेजा ने मध्य में शानदार गेंदबाजी की। जिससे कीवी टीम थोड़ा दबाव में आई। यहीं पर टीम को दो डेथ ओवर स्पेशलिस्ट गेंदबाजों की कमी खली। कानपुर में भारत के पास दो डेथ ओवर स्पेशलिस्ट गेंदबाज थे जिसकी वजह से कीवी टीम अंतिम 4 ओवरों में विकेट होते हुए भी 35 रन नहीं बना पाई। लेकिन उस समय भारतीय टीम के पास ऐसे गेंदबाजों की कमी थी जो कि डेथ ओवर स्पेशलिस्ट हों। जहीर खान पहले ही अपने 4 ओवरों का कोटा पूरा कर चुके थे। उन्होंने अपने आखिरी ओवर में अहम विकेट भी निकाले थे लेकिन अंतिम ओवर में इरफान पठान ने मैकलम के पाले में गेंद डाल दी जिस पर उन्होंने दो छक्के जड़कर कीवी टीम को जीत दिला दी।