5 कारण भारत को न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ नहीं बनानी चाहिए स्पिनरों की मददगार पिच

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भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच 3 टेस्ट मैचो की शुरुआत 22 सितंबर से कानपुर के ग्रीन पार्क मैदान पर होगी, जिसके साथ ही भारत के लंबे क्रिकेट सीज़न का आग़ाज़ भी हो जाएगा। भारत को इस सीज़न में 13 टेस्ट मैच खेलने हैं। न्यूज़ीलैंड के साथ 3 टेस्ट मैचो की सीरीज़ के बाद 5 टेस्ट मैचो की श्रृंखला के लिए इंग्लैंड अक्तूबर में भारत दौरे पर आएगी। इंग्लैंड के बाद एक टेस्ट के लिए बांग्लादेश की भी मेज़बानी करेगा भारत। फिर 4 टेस्ट सीरीज़ के लिए ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम भी भारत दौरे पर आने वाली है। भारत में होने वाले टेस्ट मैच ज़्यादातर स्पिनरों की मददगार पिच पर खेले जाते हैं, और नतीजा एकतरफ़ा हो जाया करता है। क्या भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच भी स्पिनरों की मददगार धीमी और टूटी पिच बनाना सही होगा ? हमें लगता है ऐसा करना टीम इंडिया को भारी भी पड़ सकता है, जानिए वह कौन से 5 कारण हैं जिसकी वजह से हम ये कहने पर मजबूर हैं। #1 न्यूज़ीलैंड के पास भी हैं शानदार स्पिनर्स ऐसा देखा गया है कि भारतीय क्रिकेट टीम को अपने घर में खेलते हुए स्पिन गेंदबाज़ों से काफ़ी मदद मिला करती है, क्योंकि विदेशी बल्लेबाज़ों को स्पिन खेलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पिछले 5 सालों मे ये बातें बदलती जा रही हैं, भारत दौरे पर आने वाली टीमों के पास भी अब बेहतरीन स्पिनर्स हो गए हैं जो भारत में उन्हीं की मुफ़ीद पिचों पर भारतीय बल्लेबाज़ों को अपना शिकार बनाते रहे हैं। 2012-13 का भारतीय क्रिकेट सीज़न सभी को याद होगा जब इंग्लैंड क्रिकेट टीम ने ग्रेम स्वान और मौंटी पानेसर जैसे गेंदबाज़ों के साथ भारत का दौरा किया था, और टीम इंडिया को सीरीज़ में शिकस्त देकर लौटी थी। 4 साल बाद एक बार फिर ऐसा माना जा रहा है कि बीसीसीआई स्पिनरों की मददगार पिच बनाने पर ज़ोर दे रहा है। लेकिन अच्छा होगा ऐसा न हो, क्योंकि न्यूज़ीलैंड के पास इस टीम में इश सोढ़ी, मिचेल सांटनर और मार्क क्रेग के तौर पर स्पिनरों की तिकड़ी है जिन्हें थोड़ी सी भी मदद पिच से मिल गई तो, भारत के लिए ख़तरा हो सकता है। नागपुर में सांटनर और सोढ़ी ने किस तरह नागपुर की स्पिन फ़्रेंडली पिच पर भारत को वर्ल्ड टी20 में 79 रनों पर ढेर कर दिया था, ये सभी के ज़ेहन में ज़िंदा है। #2 बड़े नामों के पास बड़ा स्कोर करने का मौक़ा नहीं होगा kohill-1473253186-800 टेस्ट क्रिकेट में दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए बड़े खिलाड़ियों का अच्छा और बड़ा प्रदर्शन भी मायने रखता है। क्रिकेट फ़ैंस ये सोचकर मैदान का रुख करते हैं कि उनके चहेते और बड़े स्टार रनों का अंबार लगाएंगे, लेकिन ऐसा न होने पर उन्हें निराशा हाथ लगती है। एक आदर्श भारतीय क्रिकेट फ़ैंस देखना चाहता है कि उनका चहेता स्टार जैसे विराट कोहली या शिखर धवन एक बड़ी और आकर्षक पारी खेले। भारतीय क्रिकेट फ़ैंस को अच्छी बल्लेबाज़ी देखना ज़्यादा पसंद है न कि अच्छी गेंदबाज़ी। सच्चाई यही है कि एक भारतीय क्रिकेट फ़ैंस आज भी चौकों और छक्कों की बारिश को विकेट के पतझड़ से ज़्यादा तवज्जो देता है। #3 दिलचस्प और रोमांचक मुक़ाबलों की कमी kalscm-1473253327-800 जब टेस्ट मैच गेंदबाज़ों की मददगार पिच पर होते हैं तो स्वाभाविक है स्कोर कम होना। जिस वजह से व्यक्तिगत छोटे स्कोर के साथ साथ टीम का स्कोर भी ज़्यादा बड़ा देखने को नहीं मिलता है। भारत और दक्षिण अफ़्रीका के बीच हुई टेस्ट सीरीज़ में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था, जब 4 टेस्ट मैचो की सीरीज़ में उच्चतम स्कोर रहा था 215 रन। दिल्ली के फ़िरोज़शाह कोटला में हुए टेस्ट को छोड़ दें तो सभी टेस्ट दो से ढाई दिन में ख़त्म हो गए थे। इस लिहाज़ से क्रिकेट फ़ैंस के लिए ये मायूस करने वाला खेल बन जाता है, कोई भी क्रिकेट प्रेमी एक अच्छे और रोमांचक मुक़ाबले के लिए स्टेडियम में टिकट ख़र्च कर आना चाहते हैं। #4 तेज़ गेंदबाज़ बस एक दर्शक बन जाते हैं booo-1473253540-800 स्पिन फ़्रेंडली पिचों पर एक बात और देखने को मिलती है कि स्टेडियम में बैठे दर्शकों की तरह मैदान के अंदर भी कुछ दर्शक होते हैं। जो बस चीज़ों को देखते रहते हैं और उसके अलावा वह अपने आप को असहाय महसूस करते हैं। हम बात कर रहे हैं तेज़ गेंदबाज़ों की, और अगर भारत ने न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ सूखी और टर्न लेने वाली पिच बनाईं तो उन्हें ये सोच लेना चाहिए कि दोनों ही टीमों में अच्छे तेज़ गेंदबाज़ मौजूद हैं। लिहाज़ा तेज़ गेंदबाज़ अपने आपको बस एक दर्शक न समझें, इस बात का ध्यान भी बीसीसीआई और भारतीय क्रिकेट टीम को रखना होगा। कहीं ऐसा न हो कि पिच देखने के बाद जडेजा, अश्विन, सोढ़ी और सांटनर के मुंह में तो पानी आए, लेकिन इशांत, शमी, बोल्ट और साउदी मायूस हो जाएं। #5 गेंद और बल्ले के बीच तालमेल नहीं IMG_1232-e1349200154254 सीमित ओवर क्रिकेट में ये बहस हमेशा से चली आ रही है कि गेंद और बल्ले के बीच कोई तालमेल नहीं है। सीमित ओवर क्रिकेट बल्लेबाज़ों के लिए बना दिया गया है, जहां बल्लेबाज़ ख़ूब रन बनाते हैं और गेंदबाज़ों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसा लगता है कि अब ठीक इसके उलट भारत में बल्लेबाज़ों के लिए ऐसी पिच बनाकर मुश्किल पैदा की जा रही है, जहां रन बनाने में काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़े। तो वहीं स्पिन गेंदबाज़ बड़ी आसानी से ही एक के बाद एक विकेट झटकते हुए जश्न मनाते रहें। ज़ाहिर तौर पर बीसीसीआई और भारतीय क्रिकेट टीम को इन तमाम पहलुओं पर ध्यान देना ज़रूरी है, ताकि एकतरफ़ा नहीं बल्कि एक अच्छी और रोमांचक सीरीज़ का क्रिकेट फ़ैंस मज़ा उठा सकें।

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