अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटरों के घरेलु क्रिकेट खेलने के 5 सकारात्मक पहलू

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भारत ने हाल में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की सीरीज खेली है। भारत ने इस सीरीज़ को 2-0 से जीत लिया था। भारत के लिए इस सीरीज़ में एक बड़ी बात निकल कर सामने ये आई कि कुछ बड़े खिलाड़ी जो कुछ समय से खराब फॉर्म से गुज़र रहे थे अब अपनी ले पकड़ चुके हैं और अच्छा प्रदर्शन कर टीम और चयनकर्ताओं को अपने फॉर्म में होने का संकेत भी दे दिया है। हालांकि क्रिकेट में खिलाड़ी अपने फॉर्म और टीम में अपनी जगह बनाने को लेकर बेहद चिंतित रहते हैं। इस खेल में दिगज्जों का ऐसा मानना है कि जबतक आपका प्रदर्शन अच्छा चल रहा है आप टीम की ज़रुरत हैं पर जिस दिन आपका प्रदर्शन नीचे खिसका टीम को आपकी ज़रुरत नहीं। ये कोई लफ्ज़ी बातें नहीं बल्कि ऐसा कई बार देखा और सुना भी गया है और तो और कई बड़े बड़े खिलाड़ियों के साथ होता भी दिखा है। लेकिन इसके ठीक विप्रीत कुछ खिलाड़ियों का ये मानना है कि टीम में शामिल किये जाने और उसके बाद सही मौका मिलने पर बेहतरीन प्रदर्शन करने पर खिलाड़ियों के अन्दर पूरी तरह से आत्मविश्वास भी भर जाता है। ऐसा ही कुछ मानना है भारतीय टीम के दिग्गज ऑफ अपिनर आर अश्विन का। अश्विन इस सीरीज से पहले बेहद खराब फॉर्म से जूझ रहे थे पर वेस्टइंडीज़ दौरे पर अश्विन ने बल्ले और गेंद दोनों से शानदार प्रदर्शन किया। हालांकि ये तो बात थी भारतीय खिलाड़ियों की पर अगर विश्व क्रिकेट के बाकी खिलाड़ियों पर भी नज़र दौड़ाई जाये तो क्रिकेट के कुछ पूर्व दिग्गजों का मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के लिए किसी भी खिलाड़ी को घरेलु क्रिकेट आवश्यक रूप में खेलना चाहिए। घरेलु क्रिकेट खेलने से खिलाड़ियों का फिटनेस काफी सही रहता है और वो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में लम्बे समय तक खेल सकते हैं। इसके अलावा बहुत सारे ऐसे और कारण हैं जो ये ज़ाहिर करते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटरों को घरेलु क्रिकेट खेलना चाहिए। आइये नज़र डालते हैं ऐसे ही पांच कारणों पर: #1 घरेलु परिस्थितियों में मैच अभ्यास पिछले कुछ सालों से घरेलु टीमें हमेशा पिच को अपनी मज़बूती के अनुसार के अनुसार तैयार किया करती हैं। देखा जाये तो ये प्रक्रिया इस फैसले को बहुत हद तक सही भी साबित कर देती है। भारत में हमेशा से स्पिन गेंदबाजों का बोलबाला रहा है इसी का एक बड़ा कारण है कि भारतीय पिच धीमी और स्पिनिंग प्रकृति की होती है। इसी के साथ साथ भारतीय बल्लेबाज़ इस परिस्थिति में आसानी से खुद को ढ़ालने में कामयाब हो पाते हैं। शायद यही वजह है कि भारतीय बल्लेबाज़ विदेशी स्पिनरों को खेलने में हिचकिचाते नहीं हैं। देखा जाये तो ये खिलाड़ियों का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार अच्छा प्रदर्शन करने का इससे बेहतर अवसर और दूसरा कोई हो ही नहीं सकता कि वो जितना ज्यादा से ज्यादा हो घरेलु क्रिकेट खेलें। #2 घरेलु प्रतिभाओं को आंकने का मौका 2 एक अच्छा और बड़ा अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी बनने के लिए किसी भी टीम के खिलाड़ियों घरेलु क्रिकेट का ज्यादा से ज्यादा अनुभव होना चाहिए। इससे बड़ी बात ये निकलकर सामने आती है कि टीम के चयनकर्ताओं के पास प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कमी नहीं होगी। टीम के चयनकर्ताओं के साथ साथ कोच और कप्तान के लिए भी ये बेहद आसन हो जाता है कि वो किस खिलाडी को टीम में रखे और किसे बाहर बैठाये। उदाहरण के तौर पर अगर भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली दिलीप ट्रॉफी का फाइनल खेले तो उन्हें युवा प्रतिभाओं जैसे कुलदीप यादव को नज़दीक से देखने का मौका मिल सकता है जिससे अंतर्राष्ट्रीय टीम में उन्हें जगह बनाने में आसानी हो सकेगी। #3 घरेलु खिलाड़ियों का प्रभाव 3 आईपीएल यानी इंडियन प्रीमियर लीग के सफल होने का मुख्य कारण देखा जाये तो इसमें हिस्सा लेने वाले अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों की भूमिका बेहद अहम रही है। इन अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों के टीम में रहने से युवा खिलाड़ियों को काफी कुछ सीखने को मिलता है जिससे इन युवा खिलाड़ियों को अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए काफी आत्मविश्वास मिलता है। वैसे तो अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों को घरेलु क्रिकेट खेलने का ज्यादा मौका नहीं मिल पाता है लेकिन जब भी इन खिलाड़ियों को घरेलु क्रिकेट खेलने का मौका मिलता है वो चूकते नहीं है और इससे उन्हें युवा खिलाड़ियों के साथ खेलने और उन्हें समझने का मौका भी मिलता है। #4 घरेलु क्रिकेट खेलकर अपनी तकनीक को सुधार सकते हैं 4 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटरों के लिए घरेलु क्रिकेट एक और मायने में बेहद फायदेमंद हो सकता है और वो ये कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में मैच के दौरान हुई तकनीकी ग़लतियों को इन घरेलु क्रिकेट में खेल कर सुधारा जा सकता है। इससे एक और फायदा है कि खिलाड़ी कैमरे से दूर भी रहेंगे और अपनी तकनीकी ग़लतियों पर पूरा ध्यान लगाकर सुधार भी कर सकते हैं। घरेलु क्रिकेट के ठीक बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का मौका बन जाता है इसलिए खिलाड़ियों को अपनी ग़लतियों को एक अच्छे विरोधी टीम के सामने सुधार करने का मौका मिलता है। #5 खिलाड़ियों के खेल स्तर में सुधार 5 पिछले कुछ सालों में ऐसा देखने को मिला है कि वो टीम जिसने वर्ल्ड क्रिकेट को अपनी झोली में समेत रखा है या फिर अपने अपने दौर में वर्ल्ड क्रिकेट पर राज कर रही हैं, ऐसी टीमों के प्रथम श्रेणी संरचना बेहद मज़बूत रहती है। इसलिए माना जाता है कि किसी भी बड़ी टीम को और भी बड़ा बनने के लिए अपने बेंच स्ट्रेंथ को मज़बूत रखना चाहिए। शायद यही वो वजह है कि अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों को घरेलु क्रिकेट पर भी ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना चाहिए। देखा जाये तो सभी क्रिकेटिंग बोर्ड के लिए ये ज़रूरी है कि वो अपने घरेलु सेट-अप का स्तर काफी ऊंचा रखे। ताकि उसमें जो भी खिलाड़ी हिस्सा ले वो काफी प्रतिभाशाली होना चाहिए। इस नीति से एक फायदा ये भी हो सकता है कि जब कोई भी अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी घरेलु क्रिकेट में खेलने आये तो उसे एक कड़ा और मज़बूत साथी और प्रतिद्वंदी भी मिले। सामान्य रूप से अगर देखा जाये तो ये अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों की ज़िम्मेदारी होती है कि प्रथम श्रेणी क्रिकेट या घरेलु क्रिकेट को और भी मज़बूत और बेहतर बनाये। उपयुक्त लिखी बातों को देखकर ये कहना बिल्कुल भी ग़लत नहीं होगा कि एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी को घरेलु क्रिकेट के माध्यम से अपने आप में सुधार करने का मुका मिल सकता है और इन खिलाड़ियों को जब भी मौका मिले घरेलु क्रिकेट खेलते रहना चाहिए।