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एक अच्छा और बड़ा अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी बनने के लिए किसी भी टीम के खिलाड़ियों घरेलु क्रिकेट का ज्यादा से ज्यादा अनुभव होना चाहिए। इससे बड़ी बात ये निकलकर सामने आती है कि टीम के चयनकर्ताओं के पास प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कमी नहीं होगी। टीम के चयनकर्ताओं के साथ साथ कोच और कप्तान के लिए भी ये बेहद आसन हो जाता है कि वो किस खिलाडी को टीम में रखे और किसे बाहर बैठाये। उदाहरण के तौर पर अगर भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली दिलीप ट्रॉफी का फाइनल खेले तो उन्हें युवा प्रतिभाओं जैसे कुलदीप यादव को नज़दीक से देखने का मौका मिल सकता है जिससे अंतर्राष्ट्रीय टीम में उन्हें जगह बनाने में आसानी हो सकेगी।
Edited by Staff Editor