पिछले कुछ सालों में ऐसा देखने को मिला है कि वो टीम जिसने वर्ल्ड क्रिकेट को अपनी झोली में समेत रखा है या फिर अपने अपने दौर में वर्ल्ड क्रिकेट पर राज कर रही हैं, ऐसी टीमों के प्रथम श्रेणी संरचना बेहद मज़बूत रहती है। इसलिए माना जाता है कि किसी भी बड़ी टीम को और भी बड़ा बनने के लिए अपने बेंच स्ट्रेंथ को मज़बूत रखना चाहिए। शायद यही वो वजह है कि अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों को घरेलु क्रिकेट पर भी ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना चाहिए। देखा जाये तो सभी क्रिकेटिंग बोर्ड के लिए ये ज़रूरी है कि वो अपने घरेलु सेट-अप का स्तर काफी ऊंचा रखे। ताकि उसमें जो भी खिलाड़ी हिस्सा ले वो काफी प्रतिभाशाली होना चाहिए। इस नीति से एक फायदा ये भी हो सकता है कि जब कोई भी अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी घरेलु क्रिकेट में खेलने आये तो उसे एक कड़ा और मज़बूत साथी और प्रतिद्वंदी भी मिले। सामान्य रूप से अगर देखा जाये तो ये अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों की ज़िम्मेदारी होती है कि प्रथम श्रेणी क्रिकेट या घरेलु क्रिकेट को और भी मज़बूत और बेहतर बनाये। उपयुक्त लिखी बातों को देखकर ये कहना बिल्कुल भी ग़लत नहीं होगा कि एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी को घरेलु क्रिकेट के माध्यम से अपने आप में सुधार करने का मुका मिल सकता है और इन खिलाड़ियों को जब भी मौका मिले घरेलु क्रिकेट खेलते रहना चाहिए।