#2 स्पिनर की अहमियत में बदलाव
किसी भी हुनरमंद खिलाड़ी के लिए टेस्ट क्रिकेट किसी चुनौती से कम नहीं होता है। क्रिकेटर को अलग-अलग हालात और माहौल के हिसाब से खेलना पड़ता है। स्पिन गेंदबाज़ी भी इस खेल का अहम हिस्सा होता है। अगर भारतीय उपमहाद्वीप की बात करें तो पिच चौथे या 5वें दिन ही टूटना शुरू हो जाती है, इसलिए आख़िरी दो दिनों में स्पिनर की अहमियत काफ़ी बढ़ जाती है। जिस पिच पर स्विंग और सीम गेंदबाज़ी होती है वो भी 5वें दिन ही टर्न लेना शुरू करती है। कई टेस्ट टीम जिनमें ख़ासकर एशिया की कुछ टीमें स्पिनर को मैच में खेलाना या खेलना पसंद करती है। इसलिए आख़िरी दिन स्पिनर से गेंदबाज़ी कराई जाती है ताकि ज़रूरी विकेट मिल सके। मुमकिन है कि 4 दिनों के टेस्ट मैच में स्पिनर की अहमियत घट सकती है।
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