एबी डीविलियर्स, क्रिकेट जगत का ये वो नाम है जिसके दुनिया भर में फैंस हैं। उनके फैंस यही चाहेंगे कि डीविलियर्स हमेशा इसी तरह खेलते रहें। कोई नहीं चाहेगा कि डीविलियर्स संन्यास ले लें। हालांकि हर खिलाड़ी को संन्यास लेना पड़ता है। डीविलियर्स सीमित ओवरों के बेहतरीन खिलाड़ी हैं। हालांकि टेस्ट में भी उनका रिकॉर्ड काफी अच्छा है। डीविलियर्स अब तक 106 टेस्ट मैच खेल चुके हैं। जिसमें 50.46 की औसत से वो 8, 074 रन बना चुके हैं। एक कैलेंडर ईयर में इस वक्त बहुत क्रिकेट हो रही है। ऐसे में उनके सामने अपने आपको फिट बनाए रखने की चुनौती है। डीविलियर्स 32 साल के हो चुके हैं। अपने क्रिकेट करियर में उन्होंने कई बुलंदियों को छुआ है, कमी है तो बस एक चीज की और वो है वर्ल्ड कप का खिताब। ऐसे में डीविलियर्स जरुर चाहेंगे कि उनके क्रिकेट करियर के दौरान साउथ अफ्रीका की टीम एक बार वर्ल्ड कप जरुर जीते। वर्ल्ड कप शुरु होने में अभी 2 साल का वक्त है। ऐसे में डीविलियर्स अपने आपको तब तक फिट जरुर रखना चाहेंगे ताकि वो अपने इस सपने को पूरा कर सकें। डीविलियर्स को अगर फिट रहना है तो इसके लिए सबसे जरुरी यही होगा कि वो टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लें। हालांकि वो बहुत ही अच्छे खिलाड़ी हैं और अफ्रीकी टीम चाहती है कि वो हर मैच में खेलें। इसलिए टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेना उनके लिए आसान काम नहीं होगा। लेकिन हम आपको यहां बता रहे हैं वो 5 कारण जिसकी वजह से डीविलियर्स को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लेना चाहिए। 1.चोट की वजह से उनका वर्ल्ड कप जीतने का सपना अधूरा रह सकता है आजकल के दौर में काफी क्रिकेट होने लगा है। इंटरनेशनल क्रिकेट शेड्यूल काफी बिजी हो गया है। घंटों की ट्रेनिंग, मीडिया से बातचीत और सबसे अहम खिलाड़ी साल में लगभग 10 महीने अपने घर से दूर रहते हैं। इतना ज्यादा क्रिकेट का असर खिलाड़ियों की फिटनेस पर भी पड़ता है। खिलाड़ियों के चोटिल होने के आसार बढ़ जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि खिलाड़ी चोट की वजह सालों तक मैच नहीं खेल पाते हैं और इससे उनका इंटरनेशनल करियर भी खतरे में पड़ जाता है। जब से डीविलियर्स ने साउथ अफ्रीका के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलना शुरु किया तब से शायद कुछ ही मैच होंगे जिसका डीविलियर्स हिस्सा ना रहे हों। हालांकि पिछले साल उनकी ये निरंतरता टूट गई। चोट की वजह से वो 3 टेस्ट सीरीज नहीं खेल पाए। डीविलियर्सको एल्बो में प्रॉब्लम थी। ज्यादातर कुछ दिनों के इलाज के बाद ये चोट ठीक हो जाती है लेकिन डीविलियर्स की चोट गहरी है जो कि उनके लिए एक चिंता का विषय है। पिछले साल कैरेबियन प्रीमियर लीग के दौरान वो चोटिल हो गए जिसकी वजह से श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ वो टेस्ट सीरीज नहीं खेल पाए। डीविलियर्स का एक ही सपना है कि 2019 में साउथ अफ्रीका वर्ल्ड कप जीते। ऐसे में तब तक उन्हें अपने आपको फिट बनाए रखना जरुरी है। अगर वो टेस्ट क्रिकेट से संन्यास नहीं लेंगे तो निश्चित तौर पर चयनकर्ता उन्हें टीम में चुनेंगे। ऐसे में उनके लिए अपने आपको फिट रखना मुश्किल हो जाएगा। अगर उनकी एल्बो एंजरी गहरी हो गई तो 2019 के वर्ल्ड कप में खेलना उनके लिए आसान नहीं रहेगा। 2.टेस्ट में टीम को अच्छा कप्तान मिल चुका है 2011 वर्ल्ड कप से साउथ अफ्रीका के बाहर होने के बाद ग्रीम स्मिथ ने कप्तानी छोड़ दी थी। जिसके बाद एबी डीविलियर्स को टीम का कप्तान बनाया गया। वहीं जब टेस्ट में हाशिम अमला को स्मिथ की जगह कप्तान बनाया गया तो डीविलियर्स थोड़ा निराश हुए। डीविलियर्स हमेशा से टेस्ट मैचों में भी टीम की कप्तानी करना चाहते थे। हालांकि उनका ये सपना भी पूरा हो गया। हाशिम अमला के कप्तानी छोड़ने के बाद डीविलियर्स को टेस्ट टीम की भी कमान सौंप दी गई। हालांकि डीविलियर्स ज्यादा दिन कप्तान नहीं रह पाए। उन्होंने मात्र 2 मैचों में कप्तानी की जिसमें 36 रन बनाए। इनमें से 3 बार तो वो बिना खाता खोले आउट हो गए। जिस तरह से महेंद्र सिंह धोनी को पता था कि उनके टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद विराट कोहली टीम को अच्छी तरह से संभाल सकते हैं। ठीक उसी तरह डीविलियर्स को टीम में एक अच्छा कप्तान दिख गया। फाफ डू प्लेसी के रुप में साउथ अफ्रीका की टीम को एक बेहतरीन कप्तान मिला। जब डीविलियर्स की गैरहाजिरी में डू प्लेसी को स्टैंड इन कप्तान बनाया गया तो उन्होंने शानदार तरीके से टीम का नेतृत्व किया तो सभी को लगा कि डीविलियर्स की जगह पर डू प्लेसी शानदार विकल्प साबित हो सकते हैं। इसके बाद उन्हें टीम का कप्तान बना दिया गया। 3. टेस्ट टीम में अब कई मैच जिताऊ खिलाड़ी हैं पिछले कुछ सालों में डीविलियर्स का साउथ अफ्रीकन टीम की सफलता में बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कई मैच अकेले दम पर जिताए। हर प्रारुप में वो साउथ अफ्रीका के सबसे होनहार खिलाड़ी हैं। टेस्ट और वनडे दोनों में उनका औसत 50 से ऊपर है। हालांकि एल्बो इंजरी के बाद से उनके प्रदर्शन में गिरावट आने लगी। पिछली 2 सीरीज में उनका औसत घटकर 30 रह गया है। जो कि उनकी क्षमता से बिल्कुल भी मेल नहीं खाते। हालांकि उनकी गैरमौजूदगी में भी साउथ अफ्रीका को टेस्ट मैचों में शानदार सफलता मिली। ना केवल घरेलू बल्कि विदेशों में भी टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया। टीम ने श्रीलंका, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीमों के खिलाफ सीरीज जीती। इससे पता चलता है कि टेस्ट मैचों में साउथ अफ्रीका की टीम अब उन पर ज्यादा निर्भर नहीं है। अब टीम में कई मैच जिताऊ खिलाड़ी हो गए हैं। इसलिए डीविलियर्स अगर संन्यास ले लें तो टीम पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। 4. सिर्फ वनडे मैचों पर फोकस करने के लिए साउथ अफ्रीकन क्रिकेट टी के लिए डीविलियर्स ने हर तरीके से योगदान दिया है। उन्होंने शानदार बल्लेबाजी की, शानदार फील्डिंग की, विकेटकीपिंग की और कप्तानी भी की। अपने देश के लिए जितना वो कर सकते थे उन्होंने किया। फिर भी उनका वर्ल्ड कप जीतने का सपना अभी पूरा नहीं हुआ है। साउथ अफ्रीकन टीम मैनेजमेंट ने हाल ही में जो फैसले लिए हैं उससे साफ पता चलता है कि उनका पूरा ध्यान अब 2019 वर्ल्ड कप पर है। इसलिए डीविलियर्स तब तक हर तरह से फिट रहना चाहते हैं। शायद 2019 का वर्ल्ड कप डीविलियर्स का आखिरी वर्ल्ड कप हो इसलिए वो कतई इसको मिस करना नहीं चाहेंगें। अगर डीविलियर्स को 2019 वर्ल्ड कप तक फिट रहना है तो उन्हें टेस्ट से संन्यास ले लेना चाहिए ताकि वो पूरी तरह से तरोताजा रहें और अपना पूरा ध्यान वनडे मैचों पर लगा सकें। डीविलियर्स ने खुद कहा है कि' जिस तरह से आज के बिजी क्रिकेट शेड्यूल चल रहे हैं उसमें तीनों प्रारुपों में तालमेल बनाए रखना काफी चुनौती का काम है, खासकर 32 साल की उम्र में। उन्होंने कहा कि ज्यादातर क्रिकेटर 35 साल की उम्र में संन्यास ले लेते हैं और मेरी उम्र 32 साल है ऐसे में 2019 वर्ल्ड कप तक मैं लगभग 35 साल तक हो जाउंगा। उन्होंने कहा कि हो सकता है तब तक मैं फिट रहूं और साथी खिलाड़ियों के साथ वर्ल्ड कप उठा सकूं। अगर डीविलियर्स टेस्ट से संन्यास ले लेते हैं तो वो अपनी फैमिली को भी ज्यादा टाइम दे पाएंगे। इससे वो तरोताजा महसूस करेंगें। 5. टी-20 लीग्स में अपनी धाकड़ बल्लेबाजी से दर्शकों का मनोरंजन क्या कोई ये सोच सकता है कि डीविलियर्स टेस्ट मैच ना छोड़ें, बल्कि टी-20 मैच छोड़ दें, बिल्कुल नहीं। डीविलियर्स टी-20 के बेहतरीन खिलाड़ी हैं। जहां कहीं भी वो क्रिकेट खेलने जाते हैं वहां उन्हें काफी सारा प्यार मिलता है। दुनिया की किसी भी टी-20 लीग में डीविलियर्स खेलने जाएं उनको साउथ अफ्रीका की ही तरह प्यार और सम्मान मिलता है। भारत में भी उनके करोड़ों फैन हैं। टी-20 में अपनी बल्लेबाजी से वो फैंस का भरपूर मनोरंजन करते हैं। हर टी-20 लीग में उनके शॉट देखने लायक होते हैं। ऐसे में टेस्ट की जगह अब उनको अपना पूरा ध्यान सीमित ओवरों के क्रिकेट में लगाने की कोशिश करनी चाहिए। इस वजह से भी डीविलियर्स टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले सकते हैं। ताकि उनका पूरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ सीमित ओवरों के खेल पर रहे। लेखक-साक्षी अनुवादक-सावन गुप्ता