पिछले कुछ सालों में डीविलियर्स का साउथ अफ्रीकन टीम की सफलता में बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कई मैच अकेले दम पर जिताए। हर प्रारुप में वो साउथ अफ्रीका के सबसे होनहार खिलाड़ी हैं। टेस्ट और वनडे दोनों में उनका औसत 50 से ऊपर है। हालांकि एल्बो इंजरी के बाद से उनके प्रदर्शन में गिरावट आने लगी। पिछली 2 सीरीज में उनका औसत घटकर 30 रह गया है। जो कि उनकी क्षमता से बिल्कुल भी मेल नहीं खाते। हालांकि उनकी गैरमौजूदगी में भी साउथ अफ्रीका को टेस्ट मैचों में शानदार सफलता मिली। ना केवल घरेलू बल्कि विदेशों में भी टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया। टीम ने श्रीलंका, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीमों के खिलाफ सीरीज जीती। इससे पता चलता है कि टेस्ट मैचों में साउथ अफ्रीका की टीम अब उन पर ज्यादा निर्भर नहीं है। अब टीम में कई मैच जिताऊ खिलाड़ी हो गए हैं। इसलिए डीविलियर्स अगर संन्यास ले लें तो टीम पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।