रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा भले कुछ सालों से टीम इंडिया के अहम सदस्य रहे हों, लेकिन साल 2015 के वर्ल्ड कप के बाद इन दोनों के सितारे गर्दिश में हैं। इन दोनों खिलाड़ियों के प्रदर्शन में ज़बरदस्त गिरावट आई है जो साल 2017 की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफ़ी में देखने को मिली और टीम इंडिया को पाकिस्तान के हाथों हार का सामना करना पड़ा। यही वजह थी कि 2019 के वर्ल्ड कप की तैयारियों को लेकर टीम मैनेजमेंट ने बेहतर फिरकी गेंदबाज़ की तलाश शुरू कर दी थी। टीम इंडिया में कुलदीप यादव और युज़वेंद्र चहल को मौका दिया गया और फिर जैसे क्रांति सी आ गई। कुलदीप ने 23 मैच में 19.35 की औसत और 24.08 की स्ट्राइक रेट से 48 विकेट हासिल किए। चहल ने 26 मैच में 23.87 की औसत और 30.29 की स्ट्राइक रेट से 45 विकेट हासिल किए हैं। वहीं 2015 वर्ल्ड कप के बाद अश्विन ने 15 मैच में 40.58 की औसत और 45.4 की स्ट्राइक रेट से 17 विकेट लिए हैं और जडेजा ने 17 मैच में 67.83 की औसत और 77.5 की स्ट्राइक रेट से 12 विकेट हासिल किए । भारत की फिरकी जोड़ी कुलदीप और चहल ने मिलकर दक्षिण अफ़्रीका में 6 वनडे मैच में 33 विकेट हासिल किए थे। जब से इन दोनों गेंदबाज़ों का जलवा कायम है। कुलदीप-चहल की कामयाबी ने जडेजा और अश्विन के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं। हाल में ही इंग्लैंड में ख़त्म हुई वनडे सीरीज़ के बाद ये साबित हो गया कि टीम मैनेजमेंट को 2019 वर्ल्ड कप से पहले कई पहलुओं पर काम करने की ज़रूरत है। हो सकता है कि सीनियर स्पिनरों को एक और मौका मिल जाए। हम यहां उन 5 वजहों को लेकर चर्चा कर रहे हैं जिससे अश्विन और जडेजा की 2019 वर्ल्ड कप से पहले वनडे में वापसी की जा सकती है। अनुभव अश्विन और जडेजा ने तीनों फ़ॉर्मेट में टीम इंडिया के लिए काफ़ी योगदान दिया है। अश्विन परंपरागत ऑफ़ स्पिनर हैं। उनकी गेंदबाज़ी में विविधता देखी जा सकती है। जब वो फ़ॉम में होते हैं तो कोई गेंदबाज़ उनके सामने टिक नहीं पाता है। जडेजा की बात करें तो वो घातक गेंदबाज़ी करते हैं वो अलग-अलग स्पीड से बॉलिंग करते हुए बल्लेबाज़ों को चकमा देते हैं। ऐसा लगता है कि उनकी कलाई में जादू है। इन दोनों के बास ज़बरदस्त अनुभव है जो कि इनके दोबारा चयन की वजह बन सकता है। कप्तानी में सहयोग जडेजा और अश्विन जडेजा काफ़ी वक़्त से टीम इंडिया से जुड़े हैं, ऐसे में उन्हें खेल की अच्छी-ख़ासी समझ है। किसी भी टीम में सीनियर खिलाड़ी के होने का काफ़ी फ़ायदा मिलता है और इससे कप्तान विराट कोहली को खिलाड़ियों को संभालने में आसानी होगी। नए गेंदबाज़ इन दोनों सीनियर्स से काफ़ी कुछ सीख सकते हैं। चूंकि जडेजा और अश्विन अनुभवी हैं ऐसे में वो विराट कोहली को कई बार बॉलिंग के मामले में ज़रूरी सलाह दे सकते हैं।सटीक लाइन और लेंथ इंग्लैंड की पिच अब वैसी नहीं हैं जैसा कि कुछ साल पहले हुआ करती थी। इंग्लैंड की परंपरागत पिच सीम गेंदबाज़ों के लिए मददगार होती हैं और उस पर घास की छोटी परत होती है। इंग्लैंड में पिछले कुछ सालों से जिस तरह की पिच पर क्रिकेट खेली जा रही है वो बल्लेबाज़ों के लिए काफ़ी मददगार है। वहां की पिच अब ज़्यादा सूखी और स्पिन गेंदबाज़ों के लिए मददगार है। ऐसे में अश्विन और जडेजा के नाम पर विचार किया जा सकता है। फिरकी गेंदबाज़ों से विकेट की उम्मीद तो रहती है, लेकिन जब चीज़ें उनके हिसाब से नहीं चल रही होतीं तो ज़्यादा रन लुटाने की संभावना बढ़ जाती है। हांलाकि इंग्लैड की मौजूदा पिच पर ज़्यादा रन बन रहे हैं और मैच का स्कोर की काफ़ी बढ़ जा रहा है। अगर जडेजा और अश्विन को मौका मिले तो न सिर्फ़ विकेट हासिल करने में, बल्कि रन रोकने में भी कामयाब हो सकते हैं।फ़ील्डिंग बल्लेबाज़ी, गेंदबाज़ी की तरह फ़ील्डिंग भी क्रिकेट के खेल का अहम पहलू है। एक अच्छे बल्लेबाज़ और गेंदबाज़ के लिए कोई दिन बुरा हो सकता है, लेकिन एक फ़ील्डर को पूरी पारी में कई बार रन रोकने का मौका मिलता है जो टीम की जीत में मददगार होता है। जो फ़ील्डर अच्छा कैच लेता है और सही वक़्त पर रन आउट करता है उसे भी वही सम्मान मिलना चाहिए जो विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों को दिया जाता है। इस बात में कोई शक नहीं कि पिछले कुछ सालों में जडेजा जैसा फ़ील्डर टीम इंडिया को नहीं मिला है। उनमें वो हुनर है जो मैच के दौरान अपनी फ़ील्डिंग के दम पर नतीजे को पलट सकते हैं। अश्विन भले ही मैदान में इतने तेज़ दौड़ नहीं लगा सकते और न ही फ़ील्डिंग के दौरान इतने फुर्तीले हैं, लेकिन स्लिप में वो कैच लेने और गेंद रोकने में माहिर हैं। अगर कुलदीप और चहल की बात करें तो पाएंगे कि फ़ील्डिंग के मामले में ये दोनों अश्विन और जडेजा की जगह नहीं ले पाए हैं। इसका ख़ामियाज़ा टीम इंडिया को भुगतना पड़ सकता है।अच्छी बल्लेबाज़ी की क़ाबिलियत: अश्विन और जडेजा ने ये साबित किया है कि वो निचले क्रम में अच्छी बल्लेबाज़ी करने का हुनर रखते हैं। ये दोनों जब वनडे टीम में थे तब लगातार बल्ले से कमाल दिखा रहे थे। उनकी मौजूदगी में टीम इंडिया के बैटिंग लाइन-अप को मज़बूती मिलती थी। अगर मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज़ नकाम रहते थे तब अश्विन और जडेजा ही रन बनाते थे। भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी एक दशक से ज़्यादा वक़्त तक टीम इंडिया की जान रहे। जब धोनी फ़ॉम में नहीं थे तब टीम मैनेजमेंट ने कई बल्लेबाज़ों को मिडिल ऑर्डर में आज़माया लेकिन उसका कुछ ख़ास फ़ायदा नहीं मिला। टीम इंडिया की तरफ़ से ज़्यातार रन रोहित शर्मा, शिखर धवन और विराट कोहली ही बना रहे हैं। जडेजा ने वनडे में 10 अर्धशतक और 155 विकेट हासिल किए हैं। बाएं हाथ के इस खिलाड़ी ने टेस्ट क्रिकेट में भी 10 अर्धशतक लगाए हैं। उनका वनडे में स्ट्राइक रेट 85 के आसपास है जो उनकी क़ाबिलियत को साबित करता है। आर अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट में 4 शतक और 11 अर्धशतक लगाए हैं। हांलाकि वो वनडे में जडेजा जितने कामयाब नहीं हो पाए हैं लेकिन वो एक अच्छे बल्लेबाज़ी साझेदार की भूमिका निभाते हैं। वो टीम की ज़रूरत के वक़्त काफ़ी काम आते हैं। अगर अश्विन और जडेजा को टीम में वापस बुला लिया जाए हैं भारत की बल्लेबाज़ी में धार आ जाएगी। किसी भी बड़े स्कोर को बनाना या उसे पार करना आसान हो जाएगा। अब ये चयनकर्ताओं और कप्तान विराट कोहली पर निर्भर करता है कि वनडे में जडेजा और अश्विन को जगह मिलती है या नहीं। लेखक- बारकाएडमाइरर्स अनुवादक- शारिक़ुल होदा