बल्लेबाज़ी, गेंदबाज़ी की तरह फ़ील्डिंग भी क्रिकेट के खेल का अहम पहलू है। एक अच्छे बल्लेबाज़ और गेंदबाज़ के लिए कोई दिन बुरा हो सकता है, लेकिन एक फ़ील्डर को पूरी पारी में कई बार रन रोकने का मौका मिलता है जो टीम की जीत में मददगार होता है। जो फ़ील्डर अच्छा कैच लेता है और सही वक़्त पर रन आउट करता है उसे भी वही सम्मान मिलना चाहिए जो विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों को दिया जाता है। इस बात में कोई शक नहीं कि पिछले कुछ सालों में जडेजा जैसा फ़ील्डर टीम इंडिया को नहीं मिला है। उनमें वो हुनर है जो मैच के दौरान अपनी फ़ील्डिंग के दम पर नतीजे को पलट सकते हैं। अश्विन भले ही मैदान में इतने तेज़ दौड़ नहीं लगा सकते और न ही फ़ील्डिंग के दौरान इतने फुर्तीले हैं, लेकिन स्लिप में वो कैच लेने और गेंद रोकने में माहिर हैं। अगर कुलदीप और चहल की बात करें तो पाएंगे कि फ़ील्डिंग के मामले में ये दोनों अश्विन और जडेजा की जगह नहीं ले पाए हैं। इसका ख़ामियाज़ा टीम इंडिया को भुगतना पड़ सकता है।