एक समय था जब विरोधी टीमें बांग्लादेश को कमजोर समझती थीं। लगभग हर मैच में टीम मैच जीतने से ज्यादा, अपना सम्मान बचाने के लिए जूझती थी। जीत उनके लिए एक ख्वाब की तरह होती थी। हालांकि, अब हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं। बांग्लादेश का क्रिकेट हर दिन बेहतर हो रहा है। पिछले 2 सालों में टीम ने व्यापक सुधार दिखाया है। आईसीसी टूर्नामेंट्स में भारत, पाकिस्तान और साउथ अफ्रीका जैसी दिग्गज टीमों को हार का स्वाद चखाया है। बंगाल टाइगर अब 2019 विश्व कप के लिए जोरदार तैयारी कर रहे हैं। आगामी 2 सालों में टीम को काफी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का अनुभव मिलने वाला है। आइए जानते हैं कि किन वजहों से बांग्लादेश विरोधियों के लिए बन सकता है बुरा ख्वाब... #5 प्रतिभावान युवा खिलाड़ी बांग्लादेश की हालिया टीम में उनके अब तक के सबसे प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ी शामिल हैं। तस्कीन अहमद, सौम्य सरकार, सब्बीर रहमान और मुस्तफिजुर रहमान टीम के 4 मजबूत स्तंभ हैं। इन खिलाड़ियों की टीम में अपनी पक्की जगहें हैं। 2015 से बांग्लादेश ने सफलता की जो सीढ़ियां चढ़ना शुरू किया है, उनमें इन खिलाड़ियों का अहम योगदान है। मुस्तफिजुर रहमान भारत के बैटिंग लाइनअप के लिए पहले ही काफी मुश्किलें खड़ी कर चुके हैं। तस्कीन अहमद ने भी उनका खूब साथ निभाया। साउथ अफ्रीका के खिलाफ सौम्य सरकार के प्रदर्शन के बल पर टीम सीरीज भी जीत चुकी है। सब्बीर अहमद टी-20 रैंकिंग के टॉप-10 में शामिल होकर अपनी क्षमता साबित कर ही चुके हैं। इतना ही नहीं, टीम की अंडर-19 यूनिट भी लगातार ऐसे ही प्रतिभाशाली खिलाड़ी दे रही है। जिनमें से मेहदी हसन पहले ही अंतरराष्ट्रीय टीम में जगह पा चुके हैं और अपना कमाल भी दिखा चुके हैं। #4 अनुभव पक्का करने का समय अगले विश्व कप तक बांग्लादेश के ये युवा खिलाड़ी, अनुभव के मामले में और अधिक पक्के हो जाएंगे और तरह-तरह की विपरीत परिस्थितियों से जूझने के लिए तैयार भी। यह तो स्वाभाविक ही है कि जितना अधिक क्रिकेट वे खेलेंगे, उनका खेल और अधिक बेहतर होता जाएगा। टीम को अभी घरेलू धरती पर ऑस्ट्रेलिया के साथ साथ 2 टेस्ट मैच खेलने हैं। इसके बाद वह 2 टेस्ट, 3 वनडे और 2 टी-20 मैचों के लिए दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर होंगे। ऐसी दिग्गज टीमों के खिलाफ खेलना, निश्चित तौर पर युवा खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ा देगा। टीम के युवाओं ने अभी तक ज्यादातर क्रिकेट घरेलू जमीन पर ही खेला है, इसलिए विदेशी धरती पर उनका पक्का होना अभी बाकी है। अगले विश्व कप से पहले उन्हें इसका पर्याप्त मौका मिल सकेगा। #3 चरम पर होंगे टीम के सबसे मजबूत खिलाड़ी हालिया बांग्लादेश टीम के सबसे मजबूत और अनुभवी खिलाड़ी हैं, शाकिब अल हसन, तमीम इकबाल, मुश्फिकुर रहीम, महमूदुल्लाह रियाद और मशरफे मुर्तजा। आमतौर पर क्रिकेट में खिलाड़ी (खासकर बल्लेबाज) 30-33 की उम्र के बीच करियर के चरम पर होते हैं। 2019 विश्व कप के दौरान मशरफे को छोड़कर बाकी सभी अनुभवी खिलाड़ी 30-33 साल के बीच होंगे। साथ ही, पिछले कुछ सालों में, खासकर 2012 एशिया कप के बाद से इन खिलाड़ियों ने लगातार विकास दिखाया है। आंकड़े इस बात को साबित करते हैं। एशिया कप से पहले तमीम इकबाल का वनडे औसत 28.84 का था, जिसे सुधाकर उन्होंने 44.54 का कर लिया है। रहीम का औसत इस वक्त तक 25.47 का था, जिसे सुधाकर वह 40.86 के पायदान तक ले आए हैं। इसी तरह, महमूदुल्लाह भी एशिया कप से पहले 30.53 के औसत पर थे। टूर्नामेंट के बाद से वह 38.71 के औसत के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं। शाकिब के बारे में कुछ कहने की आवश्यकता ही नहीं, क्योंकि तीनों प्रारूपों में उनका प्रदर्शन इतना शानदार रहा है कि वह तीनों में सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर के रूप में उभरकर सामने आए हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, अगले विश्व कप तक इन खिलाड़ियों के चरम पर होने की कल्पना करना बेमानी नहीं है। #2 हारने को कुछ नहीं दिग्गज देशों से इतर क्रिकेट फैन्स को बांग्लादेश से टूर्नामेंट जीतने की कम ही उम्मीदें होंगी, इसलिए उन पर दबाव भी उतना नहीं होगा। अगर टीम ग्रुप मैचों से आगे तक पहुंचती है, तो उसे फैन्स और बोर्ड दोनों ही टीम के अच्छे प्रदर्शन में गिनेंगे। पहले भी ऐसा देखा गया है कि किसी कमजोर मानी जा रही टीम ने बड़ा उलटफेर किया हो। जैसे कि 1983 विश्व कप में किसी ने भी भारत के जीतने की बात नहीं सोची होगी। कपिल देव की कप्तानी में खेल रही टीम इंडिया पर किसी तरह का दबाव नहीं था। कम अपेक्षाओं के साथ खिलाड़ी बिना दबाव के खेल सकते हैं। हालांकि, इसके लिए टीम में मशरफे की मौजूदगी काफी हद तक निर्णायक होगी। #1 मशरफे मुर्तजा जब मशरफे ने 2014 में टीम की कमान संभाली थी, तब बांग्लादेश की वनडे में 9वें स्थान पर था। लेकिन अब बांग्लादेश की रैंकिंग 7 है और वो किसी भी टीम को हराने का माद्दा रखती है। मशरफे मुर्तजा ने अपनी कप्तानी में खिलाड़ियों में जिस स्तर का धैर्य विकसित किया, वह काबिले तारीफ है। मुर्तजा एक योद्धा की तरह हैं। उन्हें अपने करियर को जारी रखने के लिए अपने ही घुटनों से रोज लड़ना पड़ता है। उनके विकलांग होने और पूरी जिंदगी व्हीलचेयर पर रहने का भी खतरा है क्योंकि उनके घुटने की हालत नाजुक है। हर बार जब वह खेलते हैं, तब उनके घुटनों पर दबाव पड़ता है। इसके बावजूद भी वह लगातार देश के लिए लड़ रहे हैं। मशरफे अपनी गेंदबाजी से नहीं बल्कि अपनी नेतृत्वक्षमता से सभी खिलाड़ियों को एकजुट रखते हैं। बांग्लादेश ने पाक, भारत और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को हराया, विश्व कप और चैंपियन्स जैसे बड़े टूर्नामेंट्स में नॉक-आउट तक पहुंचा। यह सब हुआ मुर्तजा के नेतृत्व में।