दिग्गज देशों से इतर क्रिकेट फैन्स को बांग्लादेश से टूर्नामेंट जीतने की कम ही उम्मीदें होंगी, इसलिए उन पर दबाव भी उतना नहीं होगा। अगर टीम ग्रुप मैचों से आगे तक पहुंचती है, तो उसे फैन्स और बोर्ड दोनों ही टीम के अच्छे प्रदर्शन में गिनेंगे। पहले भी ऐसा देखा गया है कि किसी कमजोर मानी जा रही टीम ने बड़ा उलटफेर किया हो। जैसे कि 1983 विश्व कप में किसी ने भी भारत के जीतने की बात नहीं सोची होगी। कपिल देव की कप्तानी में खेल रही टीम इंडिया पर किसी तरह का दबाव नहीं था। कम अपेक्षाओं के साथ खिलाड़ी बिना दबाव के खेल सकते हैं। हालांकि, इसके लिए टीम में मशरफे की मौजूदगी काफी हद तक निर्णायक होगी।
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