5 कारण जो दर्शाते हैं कि डेविड वॉर्नर को गेंदबाजी करना काफी मुश्किल है

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क्रिकेट जगत में अपनी तूफानी बल्लेबाजी से डेविड वॉर्नर ने विपक्षियों को परेशान कर रखा है | डेविड वॉर्नर के पास इतनी क्षमता है कि मात्र कुछ ओवरो में वो मैच का रुख पलट सकते हैं | अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनका पर्दापण काफी चौंकाने वाला रहा, क्योंकि बिना किसी रणजी मैच के अनुभव के उन्हें ऑस्ट्रेलियाई टीम में शामिल किया गया | साउथ अफ्रीका के खिलाफ टी-20 मैच में धमाकेदार डेब्यू करने के साथ ही उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा | क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में वॉर्नर लाजवाब बल्लेबाजी करते हैं, और अगर वो अपने पूरे लय में होते हैं तो उन्हें आउट करना लगभग नामुमकिन सा हो जाता है | एक खिलाड़ी के तौर पर उनकी परिपक्कवता और लीड करने की क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उन्हें ऑस्ट्रेलियाई टीम का उप कप्तान बनाया गया तो क्रिकेट जगत में सब ये मानने लगे कि उनमें ऑस्ट्रेलियाई टीम को लीड करने की क्षमता है | आइए आपको बताते हैं कि अपने लय में होने पर डेविड वॉर्नर को गेंदबाजी करना क्यों मुश्किल है-


  1. गेंद के लेंथ को समझने की झमता-

अच्छी बल्लेबाजी के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज है गेंद की लेंथ को पिक करना, उसके हिसाब से अपने शॉट खेलना | जितने भी कामयाब बल्लेबाज रहे हैं उनके पास लेंथ की समझ बहुत अच्छी थी | डेविड वॉर्नर के पास भी ये टैलेंट कूट-कूटकर भरा हुआ है, वो गेंद की लेंथ को जल्दी भांप लेते हैं और उसी हिसाब से स्ट्रोक खेलते हैं | लेंथ के हिसाब से वो तय करते हैं कि किस बॉल पर उन्हें रक्षात्मक तरीके से खेलना है और किस बॉल पर आक्रामक तरीके से | इस वजह से उनको गेंदबाजी करने में गेंदबाजों को काफी दिक्कतें आती हैं | 2. गेंदबाज के हाथ से गेंद छूटने के साथ ही उसे पढ़ने की क्षमता-

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इस प्वाइंट को हम पिछले प्वाइंट से जोड़ सकते हैं | क्योंकि अगर बल्लेबाज को किसी भी गेंद की लेंथ को जज करना है तो उसे गेंदबाज की कलाई और वो गेंद कहां लाकर छोड़ता है उसे ध्यान से देखना होगा | उदाहरण के लिए अगर गेंदबाज गेंद को पहले छोड़ता है तो गेंद फुल लेंथ होगी, उस हिसाब से बैट्समैन अपने शॉट खेल सकता है | डेविड वॉर्नर इस कला में माहिर हैं, वो गेंदबाज को बड़े ध्यान से देखते हैं, उसके हिसाब उनका फुटवर्क काम करता है | 3. गेंदबाज पर हावी होने की क्षमता-

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वॉर्नर हमेशा गेंदबाजों पर हावी होकर खेलते हैं | अपने टी-20 डेब्यू के साथ ही उन्होंने हमेशा खुलकर बल्लेबाजी की है, फिर चाहे वो टेस्ट क्रिकेट ही क्यों ना हो | टीम की स्थिति कैसी भी हो अगर उन्हें कमजोर गेंद मिलती है तो वे उसे सीमा रेखा के पार भेजने में संकोच बिल्कुल नहीं करते हैं | इसलिए गेंदबाज हमेशा दबाव में रहता है कि अगर उसने कमजोर गेंद की तो उसे भारी कीमत चुकानी होगी | इससे गेंदबाज मानसिक रूप से दबाव में आ जाता है और अपनी पूरी क्षमता से गेंदबाजी नहीं कर पाता है | अक्सर देखा गया है कि वॉर्नर टीम को तेज शुरूआत दिलाते हैं, इससे टीम का एक पेस सेट हो जाता है | वहीं इससे आने वाले बल्लेबाज भी दबाव में नहीं रहते हैं और वो अपना स्वभाविक गेम खेल सकते हैं | 4. शानदार फुटवर्क और अजीबोगरीब शॉट-

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काफी समय से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को स्पिन का अच्छा खिलाड़ी नहीं माना जाता था | लेकिन वॉर्नर के साथ ऐसा नहीं है, वो स्पिन को दबाने के लिए अपने पैरों का शानदार इस्तेमाल करते हैं | वो जब शॉट के लिए जाते हैं तो उनके मन में कोई दुविधा नहीं होती है | वॉर्नर लेंथ को भांप कर क्रीज का काफी अच्छे से इस्तेमाल करते हैं, जिससे उन्हें गेंदबाजी करना काफी मुश्किल हो जाता है| फ्रंटफुट और बैकफुट दोनों ही जगह से वो काफी अच्छा शॉट लगाते हैं | इसके अलावा वो कुछ रिवर्स हिट और स्विच हिट जैसे अजीबोगरीब शॉट भी खेलते हैं, जिससे विपक्षी कप्तान को फील्डिंग जमाने में भी काफी दिक्कत होती है | 5. गेंद को जोर से मारने की क्षमता-

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इन सब खासियत के अलावा वो गेंद को काफी जोर से मार सकते हैं | अगर उन्होंने ठान लिया कि गेंद सीमा रेखा के पार पहुंचानी है, तो कोई भी बाउंड्री चाहे कितनी भी लंबी क्यों ना हो, गेंद बाउंड्री पार ही जाएगी | अपनी इसी क्षमता के कारण वो सीमित ओवरों के खेल में सबसे बड़े मैच विनर के रूप में उभरे हैं | यहां तक कि टेस्ट क्रिकेट में भी वो इसी धुंआधार अंदाज में खेलते हैं, जिससे विपक्षी टीम एकदम असहाय सी हो जाती है | इससे फायदा ये होता है कि विपक्षी टीम का कैप्टन अपनी ज्यादातर फील्डिंग बाउंड्री पर लगाता है, जिससे बीच के ओवरों में सिंगल लेकर स्कोर बोर्ड को बढ़ाए रखना आसान हो जाता है |

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