5 वजहें जो बताती हैं कि शिखर धवन को क्यों अभी भी कमतर आंका जाता है

हाल ही में शिखर धवन ने 100वां अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय मैच खेला, जिसमें उन्होंने शतक जमाया। इस शतक के साथ ही, धवन ने करियर के शुरूआती 100 वनडे मैचों में किसी भारतीय द्वारा सर्वाधिक शतकों के विराट कोहली के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। साथ ही 100 वनडे के बाद खाते में सर्वाधिक रनों के रिकॉर्ड्स की लिस्ट में वह 4309 रनों के साथ दूसरे स्थान पर हैं, जबकि दक्षिण अफ्रीका के हाशिम अमला (4808) पहले स्थान पर। फ़िलहाल क्रिकेट फ़ैन्स जब भी टीम इंडिया के स्टार बल्लेबाज़ों की बात करते हैं तो उनमें रोहित शर्मा, विराट कोहली और धोनी के ही नाम आम होते हैं और धवन कहीं न कहीं नज़रअंदाज होते हुए दिखते हैं। आइए जानते हैं उन 5 प्रमुख वजहों के बारे में, जिनके चलते धवन को उतनी तवज्जो नहीं मिल पाती, जितने के वह हक़दार हैं।

#5 जोखिम लेते हुए विकेट गंवाना

धवन को अक्सर, आक्रामकता में लापरवाही करते हुए अपना विकेट गंवाने का दोषी बताया जाता है। तथ्यों के मुताबिक़, अभी तक 95 में से 44 बार धवन बड़े और रिस्की शॉट्स लगाने में अपना विकेट गंवा चुके हैं। लेकिन दूसरा पक्ष यह है कि उनके साथ ओपनिंग करने वाले रोहित शर्मा पूरे धैर्य के साथ अपनी पारी को गढ़ते हैं और उन्हें लय पाने के लिए वक़्त लगता है। ऐसे में धवन के पास आक्रामक रवैया अपनाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचता। उनका खेल ही इस तरह का है और उनके अच्छे फ़ॉर्म के लिए शायद यही शैली उपयुक्त भी है। धवन के ऊपर पारी को एक तेज़ शुरूआत देने की जिम्मेदारी रहती है।

#4 बड़ी शतकीय पारियां क्यों नहीं खेलते धवन?

वनडे मे शिखर के नाम पर कुल 13 शतक हो चुके हैं। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2015 विश्व कप में दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ 137 रनों का था। उनकी बल्लेबाज़ी की शैली को देखते हुए फ़ैन्स को उनसे बड़ी शतकीय पारियों की उम्मीद रहती है, जिस मामले में धवन अक्सर उन्हें निराश ही करते हैं। यहां पर भी हमें शिखर धवन की भूमिका को ध्यान में रखना चाहिए। धवन के साथी ओपनर रोहित शर्मा बड़ी पारियां खेलने में माहिर हैं। रोहित 5 बार 150 या इससे अधिक रनों की पारियां खेल चुके हैं, जिनमें 3 दोहरे शतक भी शामिल हैं। क्रिकेट एक टीम गेम है और धवन एक टीम मैन की भूमिका बख़ूबी अदा करते हैं।

#3 फ़ॉर्म बरक़रार नहीं रख पाते

शिखर धवन जब फ़ॉर्म में होते हैं, तब बहुत ही कम ओवरों में वह मैच का रुख़ बदलने का माद्दा रखते हैं, लेकिन फ़ैन्स और चयनकर्ताओं, दोनों को ही उनसे शिकायत रहती है कि वह लंबे समय तक अपनी लय को बरक़रार नहीं रख पाते। अभी तक के करियर में कई बार ऐसे मौके आ चुके हैं, जब लगता है कि धवन का अंतरराष्ट्रीय करियर अब अपने आख़िरी पड़ाव पर पहुंच चुका है, लेकिन हर बार धवन आलोचनाओं को ग़लत साबित करते हुए शानदार वापसी करते हैं।

#2 चयन में अनियमितता

चयनकर्ताओं की नज़र में धवन के आकलन में अनियमितता, धवन के लिए हमेशा से ही चिंता का सबब बनी रही है। टेस्ट में ख़राब प्रदर्शन के चलते उन्हें वनडे टीम से बाहर कर देना तर्कसंगत नहीं है। वनडे में उन्होंने ख़ुद को हमेशा एक अच्छे विकल्प के तौर पर पेश किया है। इस तरह की अनियमितता का असर खिलाड़ी के मनोबल पर पड़ता है और धवन जैसे खिलाड़ी के साथ ऐसा व्यवहार उपयुक्त नहीं।

#1 मैदान पर गंभीरता को लेकर उठे सवाल

मैदान पर धवन के रवैये पर भी अक्सर सवाल उठाए जाते हैं। जहां एक तरफ फ़ैन्स इसे धवन का स्टाइल समझते हैं और काफ़ी पसंद करते हैं, वहीं दूसरी ओर आलोचक, मैच के दौरान धवन की इन हरकतों (उदाहरण के तौर पर शतक लगाने के बाद 'गब्बर' स्टाइल में हेलमेट और बैट दिखाना) को लापरवाही से जोड़कर देखते हैं। लापरवाही और बेपरवाही में बहुत बारीक फ़र्क होता है और धवन के लिए ग़लत अवधारणा बनाने वालों को इस पर विचार करना चाहिए। अपनी भावनाएं ज़ाहिर करने का सबका एक अलग तरीक़ा हो सकता है। आप बेशक किसी ख़ास तरीक़े से इत्तिफ़ाक़ न रखते हों , लेकिन उसे अनुचित ठहराना भी जायज़ नहीं। लेखकः अश्वित अभिराज अनुवादकः देवान्श अवस्थी

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